भीम जन्मभूमि

डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की जन्मस्थली

भीम जन्मभूमि मध्य प्रदेश के Baba Saheb डॉ॰ आम्बेडकर जी नगर (महू) में स्थित Baba Saheb भीमराव आम्बेडकर जी की जन्मस्थली स्मारक है। आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक सैन्य छावनी महू के काली पलटन इलाके में हुआ था।[1] यहां मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी जन्मस्थली पर एक भव्य स्मारक बनाया है, जिसे 'भीम जन्मभूमि' नाम दिया गया है। स्मारक की नींव 14 अप्रैल 1991 को 100 वीं आम्बेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा द्वारा रखीं गई थी।[2] स्मारक की रचना वास्तुकार ईडी निमगडे द्वारा की गयी थी। बाद में स्मारक को 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया था।[3]

चित्र:Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar Ji a Memorial Mhow.jpg
भीम जन्मभूमि स्मारक

हर साल देश विदेश से लाखों आम्बेडकर तथा बौद्ध अनुयायी और पर्यटक आम्बेडकर को अभिवादन करने इस जन्मभूमि पर जाते हैं। यह स्थान भोपाल से लगभग 220 और इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आम्बेडकर को अभिवादन करने के लिए भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 125 वीं आम्बेडकर जयंती के दिवस पर दौरा किया था।[4] 2018 में 127 वीं आम्बेडकर जयंती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महू का दौरा करके बाबासाहब आम्बेडकर को अभिवादन किया था।[5] पंचतीर्थ के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे आम्बेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक महत्वपूर्ण स्थान है।

इतिहास संपादित करें

डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल ने पुणे में पंतोजी स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने सेना में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में स्कूल में शिक्षक बन गए। तब उन्हें प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत किया गया। हेडमास्टर के काम के 14 साल बाद, उन्हें मेजर (सुबेदार) के रूप में सेना में पदोन्नत किया गया। बाद में, वह महू में नौकरी के लिए रुक गये। क्योंकि महू युद्ध का सैन्य मुख्यालय था। 14 अप्रैल, 1891 को महू के काली पलटन क्षेत्र में भीमाबाई और रामजी बाबा को एक पुत्र हुआ। जिसे उसके माता पिता ने भीमराव नाम दिया भीमराव को भीमा, भिवा या भीम कहाँ जाता था, जो आगे चलकर बाबासाहेब आम्बेडकर नाम से प्रसिद्ध हुये। अस्पृश्यता के उन्मूलन के कारण, भारतीय संविधान का गठन और सामूहिक बौद्ध धम्म दीक्षा और अन्य गतिविधियां, आम्बेडकर को विश्व स्तर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में पहचान मिली और इस जगह को अपना महत्व प्राप्त हुआ। इसलिए उनका जन्मस्थान, भारतीय लोगों के लिए पवित्र भूमि बन गया, और आम्बेडकर के अनुयायी बड़ी संख्या में इस जन्मभूमि को देखने के लिए आने लगे।[6]

डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक सोसायटी संस्थापक अध्यक्ष भन्ते धर्मशीलजी ने मार्च 1991 में स्मारक का भूमिपूजन करने के लिए मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को आमन्त्रित किया। जन्मभूमी पर निर्मित होने वाले स्मारक का नक्शा वास्तुविद ई.डी. निमगड़े द्वारा तैयार किया गया और जयंती समारोह की तैयारी शुरू की गई।

12 अप्रैल 1991 को डॉ. अम्बेडकर का अस्थि कलश भंतेजी मुंबई से लेकर महू आए। 14 अप्रैल 1991 को बाबासाहेब की स्वर्ण जयंती के दिवस पर मुख्यंमंत्री सुंदरलाल पटवा ने स्मारक का शिलायन्यास किया, उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी और मंत्री भेरूलाल पाटीदार भी थे कार्यक्रम की अध्यक्षता भन्ते धर्मशील ने की थी। मध्य प्रदेश सरकार ने आगे एक सुंदर एवं भव्य स्मारक का निर्माण किया और उसे 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया।[7]

रचना संपादित करें

 
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के आम्बेडकर की मुर्ति को पुष्प अर्पित करते हुए, 14 अप्रैल 2016
 
नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के अंदर बाबासाहेब एवं रमाबाई के मुर्तियो को फुल अर्पित करते हुए

स्मारक की संरचना बौद्ध वास्तुकला की तरह है। स्मारक के प्रवेश द्वार के पास अपने एक हाथ मे भारतीय संविधान की पुस्तक लिए आम्बेडकर की एक बडी मूर्ति स्थापित की गई है। मुर्ति के उपर भीम जन्मभूमि यह नाम अंकित हैं और उसके उपर बडा अशोक चक्र यह बौद्ध चिह्न हैं। स्मारक के सामने और स्मारक के शीर्ष पर बौद्ध ध्वज हैं।

[[स्मारक]]

स्मारक के मुख्य हाल के अंदर यहां डॉ. भीमराव आम्बेडकर को एक कुर्सी पर बैठे हुए तथा उनकी पत्नी रमाबाई आंबेडकर को साथ खड़े दिखाया गया है। इन मूर्तियों के पीछे ही अम्बेडकर के पिता सूबेदार रामजी और माता भीमाबाई की तस्वीर लगी है। इसके अलावा इस हाल में आम्बेडकर का जीवन चित्रण करते हुए म्यूरल्स लगे हुए है। जो उनके जीवन संघर्ष का चित्रण करते है। इसी मुख्य हॉल के बीचो बीच ऑस्ट्रेलियन मार्बल से निर्मित स्मारक की प्रतिकृति का निर्माण किया गया हे ! बाबासाहेब आंबेडकर के पवित्र अस्थि कलश को 6 दिसंबर २०२१ को इस प्रतिकृति के शीर्ष पर स्थापित किया गया !

स्मारक के ऊपर वाले हॉल को धम्म हॉल कहते है। यहां बौद्ध धम्म के प्रवर्तक तथागत बुद्ध और 14 अक्टूबर 1956 में नागपुर में बौद्ध धम्म दीक्षा देने वाले भन्ते चंद्रमणी महास्थविर की प्रतिमाए है, जिनके समक्ष अम्बेडकर को अभिवादन की मुद्रा में दिखाया गया है। यहाँ धम्म दीक्षा समारोह को चित्रित किया गया है। इस हॉल में तथा इसके बाहरी पैसेज में भी मुख्य हॉल में लगे म्यूरल्स की भांति अम्बेडकर के जीवन का वर्णन करने वाले म्यूरल्स का कार्य अभी सरकार के अधीन होकर अधूरा पड़ा है।

स्मारक के पीछे की और भिक्षु निवास हे

कार्यक्रम एवं योजनाएं संपादित करें

प्रदेश सरकार द्वारा आम्बेडकर जयंती पर महू में हर साल 'सामाजिक समरसता सम्मेलन' आयोजित किया जाता हैं। इसके अलावा यहां विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं।[8]


यह भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Bharat Ratna Honorable Dr. B. R. Ambedkar Smarak, Mhow Cantonment | Directorate General Defence Estates". www.dgde.gov.in (अंग्रेज़ी में). मूल से 27 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  2. "Indore News in Hindi – आंबेडकर स्मारक की आधारशीला रखने महू आए थे पूर्व मुख्यमंत्री पटवा". www.patrika.com. मूल से 27 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  3. "महू में बनेगा आम्बेडकर स्मारक". फॉरवर्ड प्रेस. 2015-01-01. मूल से 27 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  4. "प्रधानमंत्री मोदी ने महू में डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर के जन्म स्थान का दौरा किया". www.narendramodi.in. मूल से 28 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  5. "बाबासाहेब की जन्मस्थली पर राष्ट्रपति के रूप में आना मेरा सौभाग्य: रामनाथ कोविंद– News18 हिंदी". News18 India. मूल से 27 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  6. "https://www.mahanews.gov.in/Home/HomeDetails.aspx?str=Zc1ZAXs1gyI=". www.mahanews.gov.in. अभिगमन तिथि 2018-05-27. |title= में बाहरी कड़ी (मदद)[मृत कड़ियाँ]
  7. "Indore News in Hindi – आंबेडकर स्मारक की आधारशीला रखने महू आए थे पूर्व मुख्यमंत्री पटवा". www.patrika.com. मूल से 27 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.
  8. "आम्बेडकर जयंती पर महू के स्मारक पहुंचने वाले कोविंद पहले राष्ट्रपति". m.hindi.webdunia.com. मूल से 28 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-27.