भूमध्य सागर के आईबीरियाई बेसन की प्रसिद्ध पत्थर की कला

भूमध्य सागर के आईबीरियाई बेसन की प्रसिद्ध पत्थर की कला

युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
भूमध्य सागर के आईबीरियाई बेसन की प्रसिद्ध पत्थर की कला
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम
भूमध्य सागर के आईबीरियाई बेसन की प्रसिद्ध पत्थर की कला के स्थल
देश स्पेन
प्रकार सांस्कृतिक
मानदंड iii
सन्दर्भ 874
युनेस्को क्षेत्र विश्व धरोहर स्थल
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख 1998 (22nd सत्र)

स्पेन में भूमध्य सागर के आईबीरियाई बेसन के पास 700 से अधिक स्थलों जिन्हें सामूहिक रूप से लेवनटाइन कला कहा जाता है, सबको मिलाकर यूनेस्को के ज़रिए एक विश्व धरोहर स्थल के रूप में 1998 में घोषित किया गया था। यह सभी स्थल स्पेन के पूर्वी हिस्से में आते हैं और यहाँ पर पत्थर की कला पाई जाती है जो शुरू के पत्थर के दौर से या शायद बाद के पत्थर के दौर से सम्बंधित है। इस कला में कुछ छोटे से चित्रित इंसानों और जानवरों के चित्र हैं जो बहुत ही आगे के दौर की तकनीक से बने थे और आज भी वह बाक़ी हैं। यह कई बातों के लिए उल्लेखनीय है जिसमें शायद सबसे ज़्यादा इलाक़े तक फैले कला के स्थल शामिल हैं। हालांकि नाम भूमध्य सागर से सम्बंधित है, मगर कुछ स्थल सागर के पास होने के बावजूद भी अधिकतर सागर से दूर आरागोन और कास्तिले-ला मानचा में हैं। इसे अक्सर लेवनटाइन कला कहा जाता है जो मध्य स्पेन से होने का संकेत है न कि लेवान्त क्षेत्र में होने का संकेत है।

वहाँ मौजूद चित्रों के सम्य पर काफ़ी बहस हुई है, और क्या वह पत्थर के औज़ार के इस्तेमाल के दौर के बीच के दौर का है, शुरू के दौर का है या लगभग आख़री के दौर का है, यह पूरी तरह से तय नहीं है। हालांकि यह पत्थर के औज़ार के इस्तेमाल के दौर के शुरू के दौर की कुछ झलकियों से शुरू होता है मगर आगे चलकर अलग-अलग दौर की झलकियाँ दिखाता है मगर एक ज़रूरी सिलसिला साफ़ दिखाई देता है। [1] यूनेस्को के हिसाब से, शायद विश्व विरासत स्थल में सबसे पुरानी कला के अनुसार 8000 ईसा पूर्व और 3500 ईसा पूर्व के आसपास रही है जैसाकि हाल के उदाहरण से पता चलता है। इसलिए कला सांस्कृतिक परिवर्तन की अवधि तक फैला है। यह मुख्य रूप से शिकारी से आर्थिक प्रणाली का उपयोग कर रहे लोगों के जीवन को दर्शाता है। [2][3] यह वह लोग हैं जो धीरे-धीरे उनके सांस्कृतिक सामान में नए दौर के तत्व शामिल करते रहे हैं। बाद के दौर में देखा जा सकता है कि कुछ पुरुषों ने घोड़ों को चलाया और कुछ पशु पालन की परम्परा पाई गई हैं। कालक्रम के हिसाब से आईबीरियाई योजनाबद्ध कला और लेवनटाइन कला के साथ मिलकर चलती है और कला के दोनों प्रकार के उदाहरण कुछ जगहों पर पाए जा सकते हैं। समान रूप से बाद के समय के दर्शकों को आकर्षित करना जारी है जिसमें कुछ जगहों पर आईबीरियाई और लातीनै भाषा में शिलालेख का पाया जाना दिखाया गया है जैसा कि एल कोगुल की गुफाओँ में उदाहरण में देखा गया है। यहाँ हो सकता है कि पहली से उतारी गई तस्वीरों को फिर से उतारा गया था।[4]

ऐसा लगता है कि चित्रों का उतारा जाना उत्तरी अफ़ी़क़ा से आबादी के यहाँ पर आ जाने और यहाँ के लोगों के साथ-घुल मिल जाने के बाद किया गया था।[5]

पहली बार 1903 में खोज किया गया था। स्पेन के प्रचीनतम इतिहास पर शोध और लिखने वाले जुआन काबरे(स्पेनी भाषा में: Juan Cabre) ने सबसे पहले इसके बारे में पढा था। [6] उन्होंने इसे क्षेत्रीय आधार पर सबसे पहले के समय पत्थर की कला का नाम दिया था। मगर कुछ अन्य इतिहासकारों ने इस दावे पर सन्देह प्रकट किया था क्योंकि इस कला में कोई जानवरों के चित्र नहीं मिलते जो कि अक्सर उस समय की कला में झलकता था। [7]

लेवनटाइन कला को पहली बार 1903 में खोज किया गया था। स्पेन के प्रचीनतम इतिहास पर शोध और लिखने वाले जुआन काबरे(स्पेनी भाषा में: Juan Cabre) ने सबसे पहले इसके बारे में बारीकी से पढ़ा था। लेवनटाइन कलाउन्होंने इसे क्षेत्रीय आधार पर सबसे पहले के समय के पत्थर की कला का नाम दिया था। मगर कुछ अन्य इतिहासकारों ने इस दावे पर सन्देह प्रकट किया था क्योंकि इस कला में कोई जानवरों के चित्र नहीं मिलते जो कि अक्सर उस समय की कला में झलकता था। एंटोनियो बेलट्रान मार्टिनेज (स्पेनी भाषा में: Antonio Beltrán Martínez) और कुछ दूसरे इतिहासकारों ने इस पत्थर लेवनटाइन कला के औज़ार इस्तेमाल करने के दरमियानी समय जोड़ा है। इसी समय को मानते हुए रिपिओ (स्पेनी भाषा में: Ripio) ने 1960 के दशक में एक नए समय चक्र को माना है जिसके मुताबिक़ कला चार हिस्सों में बाँटी गई हैं:

  1. प्रकृतिक
  2. एक शैली के रूप में स्थिर
  3. एल शैली के रूप में परिस्थित के अनुरूप बदलने वाली
  4. परिस्थित के मुताबिक़ एक रूप से दूसरे रूप में बदलने के आख़रो भाग में

विशेषताएँ

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यहाँ पर कला एक व्यापक क्षेत्र पर दिखाई देता है जो कि कई हज़ार वर्षों की अवधि में बनाया गया था। यह अधिकांश रूप से माना गया है कि यह शैली के रूप में इस विकास एक लम्बे समय से चला आ रहा था जिसमें कुछ हद तक स्थानीय विविधता देखी जा सकती है। इतिहासकारों के बीच इस विविधता की चर्चा के विवरण को पर कई मतभेद पाए जाते हैं।

ऐसा लगता है कि कलाकारों ने उतारने के लिए पक्षियों के पंख का इस्तेमाल किया है। यह इस्तेमाल बड़े ही पेचीदा और अभूतपूर्व तरीक़े से किया गया था। कुछ चित्रों को उतारने के बजाए दीवारों को खुरचकर बनाया गया है। उतारे गए चित्र के पात्र बहुत ही छोटे हैं जो एक से आठ (तीन से बीस सेंटीमीटर) की इंचों की ऊँचाई रखते हैं और एक या दो रंगों में पाए गए हैं। ऱंग भ़रने का सामान बहुत ही बारीक था। इस कभी-कभी लाल मिट्टी या कोएले का इस्तेमाल किया गया है। इन तस्वीरों को एक लाइम्स्केल के एक पतली-सी परत के माध्यम से दीवारों से रिसते हुए पानी से संरक्षित किया गया है। [8] कुछ कलाकृतियों पर एक से अधिक उतारे गए रंग की कोटिंग है जिससे कुछ इतिहासकारों ने यहाँ पर लम्बे समय के दौरान कई-कई बार रंग किए जाने की बात को सही ठहराया है, हालाँकि इस बात को विश्वस्तरीय रूप से मान्यता नहीं मिली है। [9]

लेवनटाइन कला में हालाँकि मानव आकृति का पाया जाना अपने आप में दुर्लभ है, लेकिन यहाँ पर विशेष रूप से पाया जाना इतिहासकारों के गहरे शोध का विषय है। यहाँ मानव आकृति न केवल मौजूद है बल्कि यह चित्रकला का एक मुख्य विषय भी है। एक और विशेषता यह है जहाँ-जहाँ मानव चित्र जानवरों के साथ आते हैं तो मानवों को दौड़ते हुए दृश्य में दिखाया गया है। इसी श्रेणी की चित्रों में विश-प्रसिद्ध "कोगुल के नृतकों का चित्र" (Dancers of Cogul) एक बहुत ही अच्छी मिसाल गिनाई जाती है। दीवारों पर चित्रित अधिकांश चित्र शिकार करने से जुड़े हैं। इसके अलावा यहाँ पर युद्ध और नृत्य के दृश्य भी मिलते हैं। चूँकि उस समय कृषि प्रारंभ हो चुका था, यहाँ पर खेती से सम्बंधित चित्र भी देखे जा सकते हैं। आज के युग कि तरह उस समय के युग में भी जानवर पाले जाते थे और चित्रों से यही देखने में आता है। कुछ दृश्यों में शहद निकालना भी देखा जा सकता है। इन में प्रमुख रूप से क्युएवास दे ला अरन्या एन बिकॉर्प (Cuevas de la Araña en Bicorp) के चित्र प्रसिद्ध हैं। इनसानों की तस्वीरों में शरीर का ऊपरी हिस्सा बिना कपड़ों के है परन्तु महिलाओं को स्कर्ट पहने दिखाया गया है। पुरुषों को कभी स्कर्ट, लंगोट या फिर किसी प्रकार के पतलून पहने हुए दिखाया गया है। कभी-कभी चित्रों में पगड़ी या मखौटा भी देखा गया है जिससे शायद सामाजिक रुतबा झलकता है। कुछ लोग इस वेषा-भूशा को अमरीकी रेड इंडियन्स के पूर्वजों से जोड़ते हैं जहाँ सर पर पगड़ी का होना सरदार होने का संकेत था। [10] कुछ युद्ध के चित्र किसी एक पक्ष को शारिरिक बनावट, कपड़ों और शस्त्रों के आधार पर भिन्न दिखाते हैं, हालाँकि इसका सही अर्थ समझना बेहद मुश्किल है। [11] युद्ध में एक ही पक्ष के चित्रों में भी योद्धाओं के महत्व को "बढ़ा-चढ़ाका साँड-जैसे बाज़ू फैले हुई रानों" के साथ दिखाया जाता था तो कभी-कभी इन निचले स्तर के कपड़ों के साथ दिखाया गया है जो टखनों से मुड़े हुए कपड़ो के सथ हो। साधारण स्थल सेना को केवल जुड़े हुए किरदारों के रूप में दिखाया गया है।[12]

 
हेनरी ब्रुएल का कोगुल नृत्य

इस दौर में समूह के विषयों में रचना का एक बेहतर भावना विकसित हो चुकी थी, जिसके दृश्य की प्रस्तुति जानवरों के हवा में छलांग मारने जैसे चित्रों में देखी जा सकती है। मानव चहरों को कई भावनाओं के साथ दिखाया गया या फिर उन्हें भी दूसरे जानवरों की तरह हवा में उड़ते या आसमान को छूते हुए दिखाया गया है। पाँव को कई बार विपरीत दिशाओं में दिखाया गया है। दिखाए गए दृश्य कई बार ड्रामे के दृश्य हैं। चित्रों में कई बार मृत और लेटे हुए पुरुष और जानवार दिखाए गए हैं। कभी-कभी लोगों के पीव युद्ध से जुड़े चित्र बेहद लम्बे और काफ़ी से ज़्यादा जगह घेरते थे जैसा कि कई युद्ध चित्रों में दिखाया गया है जहाँ पर चवालीस के लगभग पुरुषों के चित्र दिखाई पड़ते है। [13] युद्ध में तीर-अंदाज़ों द्वारा विरोधी सेना के सैनिकों को मारना साफ़ दिखाई देता है। एक चित्र में एक पुरुष को फाँसी दिया जाना दिखाई दिया है। ऐसा लगता है कि लड़ाई के यह दृश्य बाद के दौर की चित्रकला से सम्बंधित हैं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सारे दृश्य गासुल्ला और वल्लोता गोरगेस (Gasulla and Valltota Gorges) के पास से हैं जो कास्तेल्लोन प्रान्त में है। [14]

तीर-अन्दाज़ी के धनुष को उस समय अति-महत्वपूर्ण समझा गया था। यह उस समय का सबसे प्रमुख हथियार था। [15] कुछ गुफाओं में शिकारी और दूर के शिकार जानवर के बीच की दूरी को व्यक्त करने के लिए एक परिष्कृत और प्रभावी समाधान की राह दिखाने के शिकार जानवार का पीछा करने साधन और अचूक निशाना लगाने का तरीक़ा दिखाने वाले चित्र दिखाए गए हैं। [16]

स्त्री-पुरुष सम्बंध

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कुछ चित्रों में बड़ी संख्या के साथ हथियारबंद लोगों को नृत्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाया गया है। कुछ अन्य चित्रों में महिलाओं को भी नाचते और सम्भत: गाते हुए दिखाया गया है। महिलाओं के नृत्य में ऐसा लगता है कि उनके पाँव स्थिर हैं और केवल अपने हाथों और शरीर के ऊपरी भाग का प्रयोग किया गया है। स्त्री-पुरुष सम्बंध की एक प्रमुख झलक एल कोगुल की गुफाओं (Caves of El Cogul) में देखी जा सकती है जहाँ ग्यारह औरतें एक नग्न पुरुष स्कर्ट पहनी हुई चित्रित हैं जबकि पुरुष लिंग प्रतिमान के साथ देखा जा सकता है। [17]

चित्र-कला में मानव शरीर का प्रदर्शन

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मानव शरीर को दिखाने में कई सरों को उतारा गया है जिनकी अलग-अलग विशेषताएँ हैं:

  • कभी-कभी एक गोलाईदार आकार दिखाया गया है।
  • मानव शरीर के ऊपरी भाग को नग्न अवस्था में दिखाया गया है।
  • कभी-कभी पाँव को ढाँकने के लिए कपड़े दिखाई देते हैं।
  • कभी-कभी शरीर के गुप्त अंगों को दिखाया गया है।
  • कभी-कभी पुरुषों के लिंग प्रतिमान को चित्रित किया गया है।

लेवनटाइन कला में मुख्य रूप से तीर, लकड़ियाँ, तरकश, थैले और काम में आने वाली रस्सियाँ जैसे औज़ार दिखाए गए हैं। इन सभी को मानव शरीर से किसी न किसी प्रकार से सम्बंधित बताया गया है। तीरों को श्रेणी से अलग रखा गया है। अधिकांश चित्रों में तीरों यूँ ही ज़मीन पर गिरा हुआ दिखाया गया है जैसे कि निशाना छूट गया हो। [18]

 
एक गुफा के अन्दर

पेड़-पौधों का लेवनटाइन कला में स्थान

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लेवनटाइन कला में धर्ती की बनावट को कोई महत्व नहीं दिया गया है। पेड़-पौधों के उगाने का भी बहुत कम चित्रित किया जाना दिखता है। एक दिलचस्प अपवाद मशरूम का उगना है जो कि संभवतः सिलोसिबे हिस्पानिका (Psilocybe hispanica) का चित्रित किया जाना है। [19]

जानवरों का लेवनटाइन कला में स्थान

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इसके विपरीत, लेवनटाइन कला में जानवारों अक्सर प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसमें विशेष रूप से बड़े दूध देने वाले जानवर जो शिकार में काम आते हैं या जो पालतू बन सकते हों, उल्लेखनीय हैं (भले चित्रित किए जाने के समय जानवर पालतू न रहे हों)। परिन्दों, मछलियों (तट के निकट दिखाई पड़ने वाली) और कीड़े-मकोड़ों को कम ही दिखाया गया है। एक अपवाद मकड़ी और मधु-मक्खियों को शहद जमा करने की तस्वीर में उतारा जाना है। कुछ जानवर जो दिखाए गए हैं, वह आज के दौर के प्रजातियों में दिखाई पड़ते हैं। जानवरी को जिस प्रकार और जितनी बार दिया जाता है, उसी से उस स्थान के समय-इतिहास को तय किया जाता है। कुछ जानवरों के बारे में दावा किया गया है कि ये हिम काल (बर्फ़ के समय) के हैं और आज के योरप में विलूप्त हो चुके हैं। परन्तु यह मामला विवादों घिरा हुआ है। कुछ जानवारों को आवश्यकता से अधिक मात्रा में रंग चढ़ाए गए हैं ताकि उनकि प्रजाति को बदला जा सके, जिससे बदले हुए समय की नई प्रजातियों को शामिल किया जा सके। दिखाई गई मुख्य प्रजातियाँ इस प्रकार हैं:

  • हिरण
  • बकरे, वह जानवर जो अधिक रूप से चित्रित है।
  • जंगली सूअर
  • गाय और बैल: हालाँकि कुछ बैलों को निश्चित रूप से शिकार करके उन्हें भोजन के रूप में प्रयोग किया गया था, मगर दूसरों को पालने के काम में लाया गया था। सेलवा पस्कुआला (Selva Pascuala) में बैल का एक चित्र है। [20]
  • कुत्ते: हालाँकि कुत्तों को कम ही दिखाया गया है, मगर बर्राक दे ला पल्ला (Barranc de la Palla) में एक शिकार के दृश्य में दिखाए गए हैं।

जानवर कभी अकेले तो कभी समूहों में दिखाई देते है। जानवरों के प्रतिनिधित्व का एक जिज्ञासा-भरी विशेषता यह है कि वे आम तौर पर परिचित सींग और खुरों के साथ किए जाते हैं।

प्रदर्शित चित्रकला में हालांकि माने और मतलब धार्मिक हो सकते हैं या कम से कम "शिकार का जुनून" हो सकता है, मगर यह भी सम्भव है कि उन्हें केवल जीवन के तरीक़े को धूम-धाम से सजाकर प्रस्तुत करना भी हो सकता है। [21]

यह विश्व धरोहर स्थल कैटालोनिया, आरागोन, कैसिल-ला मांचा, मर्सिया, वालेंसिया और अंदालूसिया के स्वायत्त समुदायों के राज्यक्षेत्र के भीतर आता हैं। इसके अलावा ग्रेनेडा के प्रांत और पायरेनीस तक फैला है जो इस क्षेत्र से सम्बंधित है। इसे 1985 में बिएन दे इंतेरेस कल्चरल घोषित किया गया था।

कला सामान्यतः पत्थर के आश्रयों (प्राकृतिक सीमा से संरक्षित) और सूर्य के प्रकाश को आसानी से प्रवेश कर सकने वाली उथली गुफाओं में पाया जाता है। ऐसी कोई स्पष्ट वरीयता नहीं है कि पत्थर के किन आश्रय का हिस्सा कला के लिए प्रयोग किया जाता है। कभी यह उच्च या आधे मार्ग से ऊपर की दीवारों पर किया जा सकता है। जगहों को बस्ती के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया था और यहाँ कचरा जमा या जैविक अवशेष नहीं मिलते जिससे जगह की तिथि तय हो सके। कई स्थल ज़ाहिरी रूप से बाहुत अधिक सजे हैं और कई चित्र एक के ऊपर दूसरे बनाए गए हैं। कभी-कभी एक स्थल के निकट कोई और स्थल चित्रकला नहीं रखता है। यह स्थल अधिकतर पहाड़ी इलाक़ों में स्थित हैं और इस कारण खेती के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

पर हो सकता है कि यह स्थल शिकार के लिए उपयुक्त हों क्योंकि यहाँ से शायद किसी जानवर को रोक कर उसका शिकार किया जा सकता है।

सामान्य में संरक्षण की स्थिति ख़राब है हालांकि, विभिन्न कोशिशें स्थानीय स्तर पर स्थलों की रक्षा के लिए शुरू किए गए हैं, उदाहरण के लिए, विल्लर डेल हुमो (Villar del Humo) की नगर पालिका ने एक सांस्कृतिक पार्क नामित किया है।

संरक्षित स्थलों की सूची

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एक स्थल

यह 727 पत्थर के स्थलों, गुफाओं, या पहाड़ी दीवारो की सूची है जहाँ चित्रित प्रतिनिधित्व पाए जाते हैं जैसे कि यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है। यह स्थल तेईस प्रान्तों और छः क्षेत्रों में फैले हुए हैं।

  • वलेन्सियन समुदाय: 301 स्थान
    • अलिकान्ते प्रांत: 130 स्थान
    • कास्टेलॉन प्रांत: 102 स्थान
    • वेलेंसिया प्रांत: 69 स्थान
  • आरागॉन: 132 स्थान
    • टेरवेल प्रांत: 67 स्थान
    • वेस्का प्रांत: 47 स्थान
    • ज़रागोज़ा प्रांत: 18 स्थान
  • कैसिल-ला मांचा: 93 स्थान
    • आल्बासेते प्रान्त: 79 स्थान
    • कुएम्का प्रांत: 12 स्थान
    • ग्वाडलहारा के प्रांत: 2 स्थान
  • मर्सिया क्षेत्र: 72 स्थान
  • अंदलूसिया: 69 स्थान

2006 में अंदलूसिया की संसद की संस्कृति समिति मलागा और काडीज़ के प्रांतों के पत्थर कला को आईबीरियाई प्रायद्वीप के भूमध्य पत्त्थर कला के भाग माने जाने का अनुरोध पर सहमत हुई थी।

    • जाएन प्रांत: 42 स्थान
    • अल्मेरिया प्रांत: 25 स्थान
    • ग्रेनेडा प्रांत: 2 स्थान
    • कैटालोनिया: 60 स्थान
    • तारागोना प्रांत: 39 स्थान
    • लिएदा प्रांत: 16 स्थान
    • बार्सिलोना प्रांत: 5 स्थान
  1. Washburn, 211; Sandars, 86-93
  2. Rock Art of the Mediterranean Basin on the Iberian Peninsula Archived 2017-07-11 at the वेबैक मशीन, UNESCO
  3. Sandars, 87
  4. Sandars, 87; Beltrán Martínez, 57
  5. Sandars, 87, but see Washburn, 211 who disputes this.
  6. 'El arte rupestre en España
  7. Beltrán Martínez, Chapter 7; Washburn, 199-203
  8. Sandars, 87-89
  9. Beltrán Martínez, 56-57; Sandars, 87-88
  10. Sandars, 89-96; Nash, 82, 84 on headdresses
  11. Nash, 82; Washburn, 207-208
  12. Nash, 83-84; 84 quoted; see also Washburn, 203
  13. Beltrán Martínez, 48-50, says up to 35; Nash, 74 (Table 2) has higher figures; see also Washburn, 206-210
  14. Nash, 75, including Table 1, 79-80, 79 quoted.
  15. Sandars, 89-96; Beltrán Martínez, 54-55
  16. Sandars, 93-94
  17. Washburn, 209; Beltrán Martínez, 50-52
  18. Beltrán Martínez, 55
  19. Akers BP, Ruiz JF, Piper A, Ruck CA. (2011). "A prehistoric mural in Spain depicting neurotropic Psilocybe mushrooms?". Economic Botany. डीओआइ:10.1007/s12231-011-9152-5.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  20. Selva Pascuala cave murals Archived 2014-11-01 at the वेबैक मशीन, Daily Mail
  21. Beltrán Martínez, 56-58 and Washburn, 202-203, support a religious interpretation; Sandars, 95-96 is more non-commital.

इन्हें भी देखिए

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  • Beltrán Martínez, Antonio, Rock Art of the Spanish Levant, 1982, Cambridge University Press, ISBN 0-521-24568-0, 9780521245685
  • Nash, George, "Assessing rank and warfare strategy in prehistoric hunter-gatherer society: a study of representational warrior figures in rock-art from the Spanish Levant" in: M. Parker Pearson & I.J.N. Thorpe (eds.), Warfare, violence and slavery in prehistory: proceedings of a Prehistoric Society conference at Sheffield University, 2005, Archaeopress, ISBN 1-84171-816-5, 9781841718163, Fully online, Bristol University
  • Sandars, Nancy K., Prehistoric Art in Europe, Penguin (Pelican, now Yale, History of Art), 1968 (nb 1st edn.)
  • Washburn, Sherwood Larned, Social Life Of Early Man, 1962, Routledge (reprint 2004), ISBN 0-415-33041-6, 9780415330411

आगे पढ़ने के लिए

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  • For a fuller bibliography, see the end of Nash

(in Spanish)

  • Anna Alonso Tejada, Alexandre Grimal: Las pinturas rupestres de la Cueva de la Vieja (The cave paintings of Cueva de la Vieja), Town council of Alpera, 1990 (ISBN 84-86919-20-7).
  • Anna Alonso Tejada, Alexandre Grimal: Introducción al arte levantino a través de una estación singular: la Cueva de la Vieja (Alpera, Albacete) (Introduction to Levantine Art through a single season: the Cueva de la Vieja (Alpera, Albacete)), Cultural Association Malecon Alpera, 1999 (ISBN 84-605-9066-6).
  • Anna Alonso Tejada, Alexandre Grimal: L'Art Rupestre del Cogul. Primeres Imatges Humanes a Catalunya (The cave art of Cogul. first human images in Catalonia), Pagès Editors, LLeida, 2007 (ISBN 978-84-9779-593-7)
  • Manuel Bendala Galán: La antigüedad: de la prehistoria a los visigodos (Antiquity: From prehistory to the Visigoths), Silex, 1997 (ISBN 84-7737-021-4)

बाहरी कड़ियाँ

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