भूरा बौना
भूरा बौना या ब्राउन ड्वार्फ़ ब्रह्माण्ड में ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो आकार में गैस दानव ग्रहों और तारों के दरम्यान का स्थान रखती हैं। भूरे बौने गैस के बने होते हैं, जिसमें हाइड्रोजन और हिलियम प्रधान होती हैं। भूरे बौनों का आकार तारों से छोटा होता है और उनमें इतना गुरुत्वाकर्षण नहीं होता के उनमें हाइड्रोजन गैस के परमाणुओं के कुचले जाने से नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) की प्रक्रिया शुरू हो, लेकिन कुछ अन्य भारी तत्वों का संयलन आरम्भ अवश्य हो जाता है - जैसे की ड्यूटेरियम और लिथियम का। गैस दानव ग्रहों में बिलकुल किसी प्रकार का संयलन नहीं होता। वैज्ञानिकों में कुछ विवाद है के किस आकार पर वास्तु गैस दानव नहीं रहती और भूरा बौना बन जाती है और किस आकार पर तारा बन जाती है। अनुमान है के बृहस्पति से १३ गुना ज़्यादा द्रव्यमान (मास) होने पर भूरा बौना और ७५ गुना ज़्यादा द्रव्यमान होने पर तारा बन जाता है।[1]
नाम की उत्पत्ति
संपादित करेंतारे भी गैस दानवों की तरह गैस के बने होते हैं, लेकिन तारे इतने बड़े होते हैं के उनमें मौजूद हाइड्रोजन गैस के परमाणु गुरुत्वाकर्षण के दबाव से नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) की प्रक्रिया के ज़रिये मिलकर हीलियम बनाना शुरू कर देते हैं। इस संयलन में बहुत उर्जा और प्रकाश पैदा होता है और यही तारों से निकलने वाली रोशनी का स्रोत है। भूरे बौनों में इतना दबाव नहीं लेकिन उनमें जो अन्य तत्वों का संयलन होता है माना जाता है के उस से उन में धीमा भूरे रंग का प्रकाश आ जाता है। इसलिए उन्हें भूरा बौना कहा जाता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Boss, Alan (2001-04-03). "Are They Planets or What?". Carnegie Institution of Washington. मूल से 28 सितंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-06-08.