भेंगेपन की शल्यचिकित्सा

स्ट्रैबिस्मस सर्जरी (इसके अलावा: एक्स्ट्रा ओक्यूलर मसल सर्जरी, नेत्र मांसपेशीय शल्य चिकित्सा, या नेत्र संरक्षण शल्यचिकित्सा) वह  शल्यक्रिया है जो  एक्स्ट्रा ओक्यूलर मांसपेशियों पर की जाती है ताकि भेंगापन, आँखों का गलत संरेखण ठीक किया जा सके। प्रत्येक वर्ष लगभग 1.2 मिलियन शल्यक्रियाओं के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक्सट्राओक्यूलर मसल सर्जरी आंख की तीसरी सबसे आम शल्यक्रिया है।[1] ज्ञात इतिहास में सबसे पुरानी सफल स्ट्रैबिस्मस/भेंगेपन की शल्यक्रिया 26 अक्टूबर 1839 को जोहान फ्रेडरिक डेफेनबाख द्वारा 7 वर्षीय भेंगे  बच्चे पर की गयी थी; इससे पहले कुछ अन्य प्रयास 1818 में बाल्टिमोर के विलियम गिब्सन, सामान्य शल्यचिकित्सक और मेरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर, द्वारा किये गए थे।[2]

कुछ एक्स्ट्राओक्यूलर मांसपेशी तंतुओं को काटकर स्ट्रैबिस्मस/तिर्यक दृष्टि/भेंगेपन का इलाज करने का विचार 1837 में न्यूयॉर्क के नेत्ररोग विशेषज्ञ जॉन स्कडर द्वारा अमेरिकी समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया था।[3]

प्रकार संपादित करें

 
मेडिकल रेक्टस मांसपेशी को निकालना
  • आँख की मांसपेशी की सर्जरी आमतौर पर स्ट्रैबिस्मस/भेंगेपन को ठीक करती है और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:[4] [5]
    • ढीला / पकड़ कमजोर करने वाली प्रक्रियाएं
      • निकासी/रिसेशन में मांसपेशी के अंतिम छोर (अस्थि या भीतरी हिस्से से जोड़ने वाले छोर) को इसके मूल की ओर ले जाना शामिल है।
      • मायक्टोमी
      • मायोटोमी
      • टेनेक्टोमी
      • टेनोटोमी
    • कसने / मजबूत करने वाली प्रक्रियाएं
      • उच्छेदन (रीसेक्शन) में आंख की मांसपेशियों में से किसी एक को अलग करना, मांसपेशियों के कतिपय भाग को मांसपेशियों के दूरस्थ छोर से हटाना और मांसपेशी को आंख से फिर से जोड़ना शामिल है।[6]
      • टकिंग/भीतर दबाना
      • एडवांसमेंट (अग्र वृद्धि) आँख की माँसपेशी को नेत्रगोलक पर इसके जोड़ के मूल स्थान से हटाकर अधिक आगे की स्थिति पर जोड़ना होता है।
    • स्थानांतरण (ट्रांसपोजिशन) / पुनर्स्थापना (रिपोजिशनिंग) प्रक्रियायें
    • समायोज्य टांका शल्यक्रिया (एडजस्टेबल सूचर सर्जरी) वह प्रक्रिया है जिसमें सिलाई के माध्यम से एक्स्ट्राओक्यूलर मांसपेशी को फिर से जोड़ा जाता है, और टाँके को पहले शल्यक्रिया दिवस को छोटा या बड़ा किया जा सकता है ताकि बेहतर नेत्र (ओक्यूलर) संरेखण प्राप्त किया जा सके।[7]

स्ट्रैबिस्मस सर्जरी (भेंगेपन की शल्यक्रिया ) एक दिन की प्रक्रिया है। मरीज को मात्र कुछ घंटे अस्पताल में बिताने पड़ते हैं, और शल्यक्रिया पूर्व तैयारी भी अधिक श्रम व समय नहीं लेती। शल्यक्रिया की औसत अवधि परिवर्तनशील है, और प्रत्येक क्रिया में अलग-अलग समय लग सकता है। शल्यक्रिया के बाद, रोगी को कुछ पीड़ा और और लालिमा होना आम है। पुनः शल्यक्रिया के मामलों में, सामान्यतया अधिक दर्द होता है। मांसपेशियों का उच्छेदन निकासी/रिसेशन की तुलना में शल्यक्रिया पश्चात् अधिक पीड़ा देता है। इसमें लाली आना ज्यादा देर तक रहता है और शल्यक्रिया पश्चात् शुरूआती समय में उल्टी की शिकायत हो सकती है।

शल्यचिकित्सक रोगी को आँखें ढंकने के लिए एक आवरण प्रदान करता है जो प्रकाश को प्रवेश करने से रोकता है। मरीजों को यह आवरण जरूर इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि आँखों को उद्दीपन (जैसे, प्रकाश, आँखों को घुमाना) असुविधाजनक हो सकता है।

परिणाम संपादित करें

संरेखण और कार्यकारी परिवर्तन संपादित करें

अत्यधिक एवं न्यून सुधार:  शल्यक्रिया के परिणामस्वरूप नेत्र पूरी तरह से (ऑर्थोफ़ोरिया) या लगभग संरेखित हो सकते हैं, या हो सकता है कि सुधार/बदलाव जरुरत से ज्यादा या कम हुआ हो, और इसलिए आगे और उपचार अथवा शल्यक्रिया की जरुरत पड़े। यदि रोगी को शल्यक्रिया के पश्चात् कुछ हद तक द्विनेत्रीय संलयन की प्राप्ति हो जाती है तो उम्मीद की जा सकती है कि आँखें लम्बे समय तक संरेखित रहेंगी, यदि संलयन बिलकुल नहीं हो पाता तो यह संभावना कम होती है। शिशु एसोट्रोपिया के मरीजों पर हुए एक अध्ययन में जहाँ मरीजों को शल्यक्रिया के छ माह बाद या तो समान आकार न्यून-कोण एसोट्रोपिया (8 डाईओप्टर्स) था या न्यूनकोण एक्सोट्रोपिया था, यह पाया गया कि जिन्हें न्यूनकोण एसोट्रोपिया था उनमें न्यूनकोण एक्सोट्रोपिया वाले रोगियों के मुकाबले पाँच वर्ष पश्चात संरेखित नेत्रों की संभावना अधिक थी।[8] इस बात के कुछ प्रायोगिक/अनिश्चित सबूत हैं कि अगर शिशु एसोट्रोपिया के रोगी का शल्यचिकित्सीय उपचार जल्दी शुरू किया जाता है, तो रोगी बेहतर द्विनेत्री दृष्टि प्राप्त कर पाते हैं। (देखें: शिशु एसोट्रोपिया )।

अन्य विचलन:  अलम्बवत मांसपेशियों के विकारों के मामले में स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के परिणामस्वरूप आंखों का संरेखण बिगड़ा हुआ बना रह सकता है। सबसे पहले, वियोजित ऊर्ध्व विचलन आ सकता है। ऐसे संकेत-साक्ष्य मिले हैं कि यदि बच्चे की शल्यचिकित्सा बहुत ही छोटी उम्र में करा दी जाती है तो इस विचलन की तीक्ष्णता कम हो सकती है।[9] दूसरा, स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के परिणामस्वरूप सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव साइक्लोडेविएशन (विचलन) हो सकते हैं, संभवतः साइक्लोट्रोपिया और घूर्णी द्वि दृष्टि (साइक्लोडिपोपिया) हो सकते हैं, यदि दृश्य प्रणाली इसकी भरपाई नहीं कर पाए।[10] [11]

शुद्ध क्षैतिज रेक्टस मांसपेशीय शल्यचिकित्सा के लिए, यह ज्ञात है कि ऊर्ध्वाधर विचलन, ए और वी पैटर्न और साइक्लोट्रोपिया का पूर्वानुमान किया जा सकता है या कुछ सर्जिकल सावधानियां बरत कर उनसे बचा जा सकता है।[12]

व्यावहारिक विचार-विवेचना: स्ट्रैबिस्मस सर्जरी में बहुधा मिलने वाला एक परिणाम निरंतर/क्रमगत माइक्रोट्रोपिया है (इसे मोनोफिक्सेशन सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है)।[13]

कार्यात्मक सुधार और आगे के लाभ: बड़े लंबे समय तक यह माना जाता रहा था कि लंबे समय से भेंगेपन से ग्रसित वयस्क रोगी केवल सौदर्य सुधार प्राप्त कर सकते हैं; हाल के वर्षों में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इस प्रकार के रोगियों में संवेदी संलयन हुआ है, बशर्ते कि शल्यक्रिया-पश्चात चालन संरेखण बहुत अधिक हो।[14] शल्यक्रिया पूर्व अन्दर की ओर भेंगेपन के मामले में शल्यक्रिया द्वारा सुधार किये जाने पर रोगी का द्विनेत्री दृश्य क्षेत्र बढ़ जाता है, और इससे उसकी परिधीय दृष्टि में सुधार होता है। इसके अलावा, नेत्रीय संरेखण की बहाली से रोगी को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक और आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं (यह भी देखें: स्ट्रैबिस्मस के मनोसामाजिक प्रभाव) )।

जटिलताएं संपादित करें

शल्यचिकित्सा के बाद पहले कुछ हफ्तों में अक्सर डिप्लोपिया हो जाता है।

शल्यचिकित्सा के बाद शायद ही कभी या बहुत कम होने वाली जटिलताओं में शामिल हैं: नेत्र संक्रमण, स्कलेलर वेध के मामले में रक्तस्राव, मांसपेशियों में खराबी या टूट, या दृष्टि की हानि।

नेत्र माँसपेशी शल्यचिकित्सा से निशान/स्कारिंग (फाइब्रोसिस) बन जाता है; यदि निशान हो, तो इसे आंख के सफेद हिस्से पर उभरे और लाल ऊतक के रूप में देखा जा सकता है। सर्जरी के दौरान माईटोमाइसिन सी के उपयोग से फाइब्रोसिस को कम किया जा सकता है। [15]

एक अपेक्षाकृत नई विधि में जो मुख्य रूप से स्विस नेत्र-रोग विशेषज्ञडैनियल मोजोन द्वारा तैयार की गई है, मिनिमली इनवेसिव स्ट्रैबिस्मस सर्जरी (MISS)[16] [17] है जिसमें जटिलताओं के जोखिम को कम करने और शीघ्रतर द्राश्यिक सामान्यीकरण व घाव भरने की संभावित क्षमता है। ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हुए, नेत्र-श्लेष्मला में पारंपरिक शल्यचिकित्सा की तुलना में छोटे चीरे लगाये जाते हैं। 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन बतलाता है कि MISS विधि से शल्यचिकित्सा कराने वाले लोगों में दीर्घावधि परिणाम पारंपरिक विधि जैसे ही थे, लेकिन MISS के बाद शल्यक्रिया पश्चात  नेत्रश्लेष्मलाशोथ और पलकों में सूजन की शिकायत व जटिलताएं कम पायी गयी।[18] MISS का उपयोग सभी प्रकार की भेंगेपन की शल्यक्रियाओं को करने के लिए किया जा सकता है, जैसे  रेक्टस मांसपेशी निकासी, उच्छेदन, स्थानांतरण, प्रवलन और यहाँ तक कि सीमित गतिशीलता के मामले में भी। [19]

बहुत कम मामलों में, भेंगेपन की शल्यचिकित्सा के दौरान ऑक्युलोकार्डियाक रिफ्लेक्स के कारण जीवन को खतरा उत्पन्न कर देने वाली जटिलताएं आ सकती हैं।[उद्धरण चाहिए]

यह भी देखें संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

  1. Hertle, Richard. "Eye Muscle Surgery and Infantile Nystagmus Syndrome". American Nystagmus Network. मूल (Microsoft Word document) से 18 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-10-10.
  2. Gunter K. von Noorden: Binocular Vision and Ocular Motility: Theory and management of strabismus, Chapter 26: Principles of Surgical Treatment Archived 2014-04-13 at the वेबैक मशीन, telemedicine.orbis.org
  3. Leffler CT, Schwartz SG, Le JQ (2017). "American Insight into Strabismus Surgery before 1838". Ophthalmology and Eye Diseases. 9: 1179172117729367. PMID 28932129. डीओआइ:10.1177/1179172117729367. पी॰एम॰सी॰ 5598791.
  4. "Surgery Encyclopedia - Eye Muscle Surgery". मूल से 27 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अप्रैल 2020.
  5. Strabismus Surgery
  6. "Strabismus.com - Strabismus Surgery". मूल से 27 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अप्रैल 2020.
  7. Parikh, RK; Leffler, CT (July 2013). "Loop suture technique for optional adjustment in strabismus surgery". Middle East African Journal of Ophthalmology. 20 (3): 225–228. PMID 24014986. डीओआइ:10.4103/0974-9233.114797. पी॰एम॰सी॰ 3757632.
  8. Kushner BJ1 Fisher M (1996). "Is alignment within 8 prism diopters of orthotropia a successful outcome for infantile esotropia surgery?". Arch Ophthalmol. 114 (2): 176–180. PMID 8573021. डीओआइ:10.1001/archopht.1996.01100130170010.
  9. Yagasaki, T.; Yokoyama, Y. O.; Maeda, M. (Jul 2011). "Influence of timing of initial surgery for infantile esotropia on the severity of dissociated vertical deviation". Jpn J Ophthalmol. 55 (4): 383–388. PMID 21647566. डीओआइ:10.1007/s10384-011-0043-1.
  10. See section "Discussion" in: Pradeep Sharma; S. Thanikachalam; Sachin Kedar; Rahul Bhola (January–February 2008). "Evaluation of subjective and objective cyclodeviation following oblique muscle weakening procedures". Indian Journal of Ophthalmology. 56: 39–43. PMID 18158402. डीओआइ:10.4103/0301-4738.37594. पी॰एम॰सी॰ 2636065.
  11. H. D. Schworm; S. Eithoff; M. Schaumberger; K. P. Boergen (February 1997). "Investigations on subjective and objective cyclorotatory changes after inferior oblique muscle recession". Investigative Ophthalmology & Visual Science. 38 (2). पपृ॰ 405–412. मूल से 21 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अप्रैल 2020.
  12. Khawam, E.; Jaroudi, M.; Abdulaal, M.; Massoud, V.; Alameddine, R.; Maalouf, F. (2013). "Major review: Management of strabismus vertical deviations, A- and V-patterns and cyclotropia occurring after horizontal rectus muscle urgery with or without Oblique Muscle Surgery". Binocul Vis Strabolog Q Simms Romano. 28 (3): 181–192. PMID 24063512.
  13. Guthrie, ME; Wright, KW (September 2001). "Congenital esotropia". Ophthalmol Clin North Am. 14 (3): 419–24, viii. PMID 11705141. डीओआइ:10.1016/S0896-1549(05)70239-X.
  14. Edelman PM (2010). "Functional benefits of adult strabismus surgery". Am Orthopt J. 60: 43–47. PMID 21061883. डीओआइ:10.3368/aoj.60.1.43.
  15. Kersey, J. P.; Vivian, A. J. (Jul–Sep 2008). "Mitomycin and amniotic membrane: a new method of reducing adhesions and fibrosis in strabismus surgery". Strabismus. 16: 116–118. PMID 18788060. डीओआइ:10.1080/09273970802405493.
  16. Mojon DS: Minimally invasive strabismus surgery. In: Eye. (Lond). 29, 2015, S. 225–233.
  17. Mojon DS: Comparison of a new, minimally invasive strabismus surgery technique with the usual limbal approach for rectus muscle recession and plication. In: Br J Ophthalmol. 91, 2007: 76–82.
  18. Gupta P, Dadeya S, Kamlesh, Bhambhawani V: Comparison of Minimally Invasive Strabismus Surgery (MISS) and Conventional Strabismus Surgery Using the Limbal ApproachJ Pediatr Ophthalmol Strabismus. 2017;54:208-215..
  19. Asproudis I, Kozeis N, Katsanos A, Jain S, Tranos PG, Konstas AG : A Review of Minimally Invasive Strabismus Surgery (MISS): Is This the Way Forward? Adv Ther. 2017;34:826-833.

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