मंगोलिया के लोगों की घूमन्तू परम्परा का मंगोली साहित्य पर गहरा प्रभाव है। आधुनिक साहित्य के जन्म से पूर्व 1920 तक की सात शताब्दियों में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए- मंगोलिया के रहस्य का इतिहास, गेजेर खाँ की कथा (Geserin tuuji) और जनगर (Janggar)। इन्हें मंगोली साहित्य के तीन शिखर कहा जाता है। ये तीनों ही यूरेशियाई घास के मैदानों की लम्बी परम्परागत नायकत्वपूर्ण परम्परा का दर्शन कराने वाले महाकाव्य हैं।

मंगोल भाषा का इतिहास प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक, इन तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है। 12वीं शताब्दी तक की भाषा को प्राचीन मंगोल, 13वीं से 16वीं शताब्दी की भाषा को मध्यकालीन मंगोल तथा 17वीं शताब्दी के बाद की भाषा को आधुनिक मंगोल कहते हैं। मध्यकालीन और आधुनिक मंगोल में बहुत अंतर नहीं है। प्राचीन मंगोल के बारे में स्पष्ट ज्ञात नहीं है।

मंगोल साहित्य का इतिहास 13वीं शताब्दी के मध्य भाग में बने मंगोलिया के रहस्य का इतिहास (Mongolin nuuca tobcoo) से आरम्भ होता है। तथाकथित आधुनिक साहित्य 1921 में हुई अनक्रांति के आसपास से आरंभ होता है परंतु अब तक महत्व की रचनाएँ अधिक नहीं हैं। आधुनिक साहित्य के जन्म से पूर्व 1920 तक की सात शताब्दियों में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए-मंगोलिया के रहस्य का इतिहास, गेजेर खाँ की कथा (Geserin tuuji) और जनगर (Janggar)

"मंगोलिया के रहस्य का इतिहास" शीर्षक ग्रंथ में मंगोल जाति के जन्म से लेकर चिनगिस खाँ तक का इतिहास है और चिनगिस खाँ पर विशेष बल दिया गया है। यह बहुत सरल और सुंदर भाषा में लिखा गया है तथा बीच बीच में कविताएँ भी मिली हुई हैं। इसमें छोटी सी कमजोर जाति के मंगोल लोगों के इकट्ठे होकर केंद्रीय सत्तात्मक देश बनाने, परिवारप्रधान समाज से बदलकर जागीरदारी समाज बनने तथा छोटे से जागीरदारों के इकट्ठे होकर बहुत प्रबल देश बनने तक का इतिहास वर्णित है।

"गेसेर खाँ की कथा" पौराणिक कथा पर आधारित एक पुरुष की कहानी है। इसमें जागीरदार ओर पुजारी वर्ग के विरूद्व लड़नेवाली जनता की प्रशंसा की गई है।

"जन्गर" पश्चिमी मंगोलिया में बनी एक ऐतिहासिक कथा है। इसमें एक पुरुष के कार्यो के माध्यम से जनता के कल्याण और सुख पर जोर दिया गया है।

ऐतिहासिक ग्रंथों में इतिहास का मणि (Erdeni-yin Tobci), सुनहरा इतिहास (Altan Tobci) बहुत प्रसिद्ध हैं। दोनों चिनगिस खाँ और उसके उत्तराधिकारियों के इतिहास हैं। इनमें प्राचीन मंगोल की पौराणिक कथाएँ, लोकथाएँ आदि संकलित हैं।

आधुनिक साहित्य 1921 की जनक्रांति तथा जागीरदारी प्रथा के विरुद्ध जनता के संघर्ष से प्रेरित होकर विकसित हुआ है। इस संघर्ष के इतिहास पर आधारित समाजवादी यथार्थवादी विचपर ही आधुनिक साहित्य का मूल स्रोत है।

इस काल के D. Nacagdorji, C, Damding sureng, C. Lodoidamba, D. Sengge, C. Oidob आदि लेखकों ने जागीरदारी शक्तियों के विरूद्व जनता के संघर्ष में जनता की विजय तथा नई और पुरानी विचारधाराओं के संघर्ष पर आधारित अच्छी कृतियाँ प्रस्तुत की हैं। उनमे नैचगदोरजी आधुनिक साहित्य का पिता कहलाता हैं। उनका काव्य नाटक विशेष संबंध के तीन (त्रिकोण प्रेम) (ucirtai gurban tologai) बहुत प्रसिद्ध हें। डैमडिनसूरेंग कृत "अविवाहिता" (gologdsan keuken) भी बहुत अच्छी रचना हैं। यह जागीरदारी समाज में दुःखमय जीवन व्यतीत कर रही एक स्त्री के आधुनिक सामाजवादी समाज में ही आनंद प्राप्त करने की कथा है। इस प्रकार कुछ अच्छी रचनाएँ निकलने लगी हैं। यद्यपि आधुनिक साहित्य अभी हाल ही में आरंभ हुआ हैं तथापि उसका भविष्य उज्जवल हैं।

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