जैन धर्म में निम्नलिखित पाँच व्रतों को महाव्रत कहा जाता है-

  1. अहिंसा (हिंसा न करना)
  2. सत्य (झूठ न बोलना अर्थात् सदैव सत्य बोलना)
  3. अस्तेय (चोरी न करना)
  4. ब्रह्मचर्य (इंद्रिय निग्रह करना )
  5. अपरिग्रह (धन का संग्रह न करना)
जैन प्रतीक चिन्ह और पाँच महाव्रत

पांचवा व्रत ब्रह्मचर्य महावीर द्वारा प्रतिपादित किया गया है