मार्ताण्ड वर्मा (उपन्यास)
मार्ताण्ड वर्मा, केरल का साहित्यकार सी॰ वी॰ रामन पिल्लै का १८९१ में प्रकाशित हुआ एक मलयालम उपन्यास है। राजा रामा वर्मा के अंतिम शासनकाल से मार्ताण्ड वर्मा का राज्याभिषेक तक वेनाड (तिरुवितांकूर) का इतिहास आख्यान करना एक अतिशयोक्तिपूर्ण कथा[1][2] रूप में ही इस उपन्यास प्रस्तुत किया है। कोल्लवर्ष ९०१-९०६[3] (ग्रेगोरी कैलेंडर: १७२७-१७३२) समय में हुआ इस कहानी का शीर्षक पात्र को सिंहासन वारिस का स्थान से हटाने के लिए पद्मनाभन तम्पि और एटुवीटिल पिल्लयों ने लिटाया दुष्कर्म योजनाओं से संरक्षित करना अनन्तपद्मनाभन, माँकोयिकल कुरुपु और सुभद्र लोगों के कोशिशों और संबंधित घटनाओं से आगे बढ़ता है कथानक। इस उपन्यास, भारतीय उपमहाद्वीप और पश्चिमी, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परंपराओं के समृद्ध संकेतों का उपयोग करता है।
लेखक | सी॰ वी॰ रामन पिल्लै |
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मूल शीर्षक | മാർത്താണ്ഡവർമ്മ |
अनुवादक | |
भाषा | मलयालम |
शैली | अतिशयोक्तिपूर्ण कथा ऐतिहासिक उपन्यास |
प्रकाशक | मलयालम: लेखक (१८९१) बी॰ वी॰ बुक डिपो (१९११-१९२५) कमलालया बुक डिपो (१९३१-१९७१) साहित्य प्रवरतक सहकरण संघम (१९७३ से) लिटिल प्रिंस पब्लिशरस (१९८३) पूर्णा पब्लिकैशनस (१९८३ से) डी॰ सी॰ बुक्स (१९९२ से) केरल साहित्य अकादमी (१९९९) तमिल: कमलालया बुक डिपो (१९५४) साहित्य अकादमी (२००७) हिन्दी: केरल हिन्दी प्रचार सभा (१९९०) |
प्रकाशन तिथि | जून ११, १८९१ |
प्रकाशन स्थान | भारत |
अंग्रेज़ी प्रकाशन | १९३६ - कमलालया बुक डिपो १९७९ - सटेरलि़ङ पब्लिषेर्स १९९८ - साहित्य अकादमी |
मीडिया प्रकार | छपाई (अजिल्द, सजिल्द) |
आई.एस.बी.एन | [[Special:BookSources/ISBN+81-7690-000-1%3C%2Fbr%3EISBN+81-7130-130-4 |ISBN 81-7690-000-1 ISBN 81-7130-130-4]] Parameter error in {{isbn}}: Invalid ISBN. |
इसके बाद | धरमराजा, राम राजा बहदूर |
उपन्यास के ऐतिहासिक तत्वों को अनंतपद्मनाभन और पारुकुट्टी की प्रेम कहानी के साथ-साथ अनंतपद्मनाभन के वीरतापूर्ण कार्रवाइयों द्वारा समर्थित किये जाते हैं, जबकि रूमानियत के पहलुओं को ज़ुलेखा के एकतरफा प्यार और परुकुट्टी की अपने प्रेमी के लिए लालसा से प्रस्तुत की जाती हैं। वेनाड की अतीत की राजनीति को एट्टुवीटिल पिल्लयों की परिषद, पद्मनाभन तम्बी के लिए सिंहासन के बाद के दावे, तख्तापलट के प्रयास, सुभद्रा के देशभक्तिपूर्ण आचरण और अंत में विद्रोह के दमन के बाद उसकी दुःखद अंत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इतिहास और कल्पित कथा का आपस में जुड़ा प्रतिनिधित्व वर्णन श्रेण्यत शैली के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जिसमें विभिन्न पात्रों के लिए स्थानीय भाषाएं, आलंकारिक अलंकरण, और बीते समय के लिए उपयुक्त भाषा की नाटकीय और पुरातन शैली का मिश्रण शामिल है।
यह उपन्यास मलयालम भाषा और दक्षिण भारत में प्रकाशित हुआ पहला ऐतिहासिक उपन्यास है। १८९१ में लेखक द्वारा स्वयं प्रकाशित पहला संस्करण, मिश्रित समीक्षाओं सकारात्मक प्राप्त हुआ, लेकिन पुस्तक की बिक्री ने महत्वपूर्ण राजस्व का उत्पादन नहीं किया। १९११ में प्रकाशित संशोधित संस्करण, एक बड़ी सफलता थी और एक बहुविक्रीत बन गया। १९३३ के चलचित्र रूपांतरण मार्ताण्ड वर्मा ने उस समय उपन्यास के प्रकाशकों के साथ कानूनी विवाद को जन्म दिया और स्वत्वाधिकार उल्लंघन का विषय बनने वाली मलयालम में पहली साहित्यिक कृति बन गई। इस उपन्यास का अंग्रेजी, तमिल और हिंदी में अनुवाद किया गया है, और इसे कई बार संक्षिप्त संस्करणों और अन्य क्षेत्रों जैसे चलचित्र और रंगमंच के साथ साथ रेडियो, टेलीविज़न, और चित्रकथा में भी रूपांतरित किया गया है।[4]
उपन्यास में वर्णित त्रावणकोर की ऐतिहासिक कहानी लेखक के बाद के उपन्यासों, धरमराजा (१९१३) और रामराजाबहदूर (१९१८-१९१९) में जारी है। प्रश्नगत उपन्यास सहित इन तीन उपन्यासों को मलयालम साहित्य में सीवी के ऐतिहासिक आख्यान और सीवी के उपन्यास त्रयी के रूप में जाना जाता है। केरल और तमिलनाडु में विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत पाठ्यक्रमों के साथ-साथ केरल राज्य शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया इस उपन्यास मलयालम साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है।[5][6]
पात्रों के सम्बंध
संपादित करेंपात्रों के रिश्तों | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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वंशावली-लेखाचित्र-टिप्पणियाँ
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इन्हें भी देखें
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संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑
C.V. रामन् पिल्लै; B.K. मेनोन् (१९३६). MARTHANDA VARMA (अंग्रेज़ी में) (First Ed. संस्करण). तिरुवनन्तपुरम: कमलालया बुक डिप्पो.
A Historical Romance
सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link) - ↑ बिन्दु मेनोन्. M (जून २००९). "Romancing history and historicizing romance". Circuits of Cinema: a symposium on Indian cinema in the 1940s and '50s (अंग्रेज़ी में). नई जिल्ली: Seminar: Internet Edition. मूल से 23 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2010.
- ↑ C.V. रामन् पिल्लै (१८९१). മാർത്താണ്ഡവർമ്മ [मार्ताण्ड वर्मा] (मलयालम में) (१९९१ संस्करण). कोट्टयम: साहित्य प्रवरतक सहकरण संघम. पपृ॰ २६, २२१.
- ↑ "Novel and Short Story to the Present Day" [आज तक का उपन्यास और लघुकथा]. History of Malayalam Literature [मलयालम साहित्य का इतिहास] (अंग्रेज़ी में). मूल से 11 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2010.
- ↑ राजी अजेष् (२००४). "മലയാള ചരിത്ര നോവലുകളുടെ വഴികാട്ടി" [मलयालम साहित्य में ऐतिहासिक उपन्यासों के मार्गदर्शन] (मलयालम में). मूल से 3 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2010.
- ↑ T. शशी मोहन् (२००५). "ചരിത്രം, നോവല്, പ്രഹസനം = സി വി" [इतिहास, उपन्यास, प्रहसन = सी॰ वी॰] (मलयालम में). वेबदुनिया मलयालम, २१ मार्च २००८. मूल से 7 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 दिसंबर 2010.
शब्दावली
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संपादित करें- ((विभिन्न योगदानकर्ता)) (1992). "साहित्य अकादमी नेशनल सेमिनार ओन मार्ताण्ड वर्मा (Sahitya Akademi National Seminar on Martanda Varma)". नेशनल सेमिनार. नेशनल सेमिनार ओन मलयालम क्लासिक मार्ताण्ड वर्मा. नई दिल्ली: भारतीय साहित्य अकादमी.
- मीनाक्षी मुखर्जी (1992). पी॰ के॰ राजन (संपा॰). "मर्त्ताण्ड वर्मा एंड द हिस्टोरिकल नावेल इन इंडिया (Marthanda Varma and the Historical Novel in India)" [मर्त्ताण्ड वर्मा और भारत में ऐतिहासिक उपन्यास]. लिटक्रिट (अंग्रेज़ी में). तिरुवनंतपुरम: लिटक्रिट. XVIII (1 & 2).
- मीना टी॰ पिल्लै (2012). "मॉडर्निटी एंड द फेटिशीसिंग ऑफ़ फीमेल चेस्टिटी: सी॰वी॰ रामन पिल्लै एंड द ऐंगज़ाइअटीस ऑफ़ दी अर्ली मॉडर्न मलयालम नावेल (Modernity and the Fetishising of Female Chastity: C.V. Raman Pillai and the Anxieties of the Early Modern Malayalam Novel)" [आधुनिकता और महिला शुद्धता का आकर्षण: सी॰वी॰ रामन पिल्लै और प्रारंभिक आधुनिक मलयालम उपन्यास की चिंताएँ]. साउथ ऐश़न रिव्यु (अंग्रेज़ी में). फ्लोरिडा: साउथ ऐश़न लिटरेरी एसोसिएशन. XXXIII (1).