मिज़ो पूर्वोत्तरी भारत, पश्चिमी बर्मा व पूर्वी बांग्लादेश में जड़े रखने वाला एक जातीय समूह है। वे मिज़ो भाषा और कुकी भाषा-परिवार की कुछ अन्य भाषाओं के मातृभाषी हैं। वर्तमानकाल में मिज़ो समुदाय पूर्ण भारत के लगभग सभी मुख्य नगरों में पाये जाते हैं। अधिकांश मिज़ो ईसाई मत के अनुयायी हैं हालांकि उनकी कुछ परम्परागत आस्थाएँ भी हैं। मिज़ो लोगों का साक्षरता दर ९१% है, जो भारत के सभी समुदायों में सबसे ऊँची श्रेणी पर है।[1][2]

मिज़ो
सन् २०१५ में ह्नाहथिआल में कुछ भारतीय मिज़ो विद्यार्थी
कुल जनसंख्या
लगभग १५ लाख (मिज़ोरम में), ५० लाख (विश्वभर में)
विशेष निवासक्षेत्र
पूर्वोत्तरी भारत, बर्मा, बांग्लादेश
भाषाएँ
लुशाई दुहलियन, मारा, म्हार, लई पावी, पाइते, गंग्ते, बौम, ज़ोतुंग, ज़ोफेई, सेनथांग, थादोऊ, वाइफेइ, मोलसोम, बियाते, दारलोंग, ज़ोऊ
धर्म
ईसाई धर्म
सम्बन्धित सजातीय समूह
ज़ोमी, चिन, कुकी, शान, करेन, कचिन

नामोत्पत्ति

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"मिज़ो" शब्द मिज़ो भाषा के दो शब्दों को मिलाकर बना है। "मिज़ो" में "मि" का अर्थ "व्यक्ति" या "लोग" है। "ज़ो" शब्द को लेकर विवाद है। कुछ के अनुसार इसका मतलब "ऊची भूमि" है - यदि यह सही है तो "मिज़ो" का अर्थ "पहाड़ के लोग" है। इतिहासकार लालथंगलिआना द्वारा प्रस्तुत एक अन्य मत के अनुसार "ज़ो" का मतलब "ठंडा प्रदेश" है - यानि "मिज़ो" का अर्थ "ठंडी जगह वाले लोग" हो सकता है।

मिज़ो समुदाय की कई परम्परागत शाखाएँ मानी जाती हैं जिनमें लुशाई, मारा, लई, म्हार, पावी और गंग्ते शामिल हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. R. L. Thanzawna, C. G. Verghese (1997). A History of the Mizos, Volume 1. Vikas Publishing House.
  2. Lalthangliana B (2001) The history of Mizos in India, Burma and Bangladesh.