मुल्तान सूर्य मंदिर
मुल्तान सूर्य मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मुल्तान शहर में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर है। सूर्य देव को समर्पित इस मंदिर को 'आदित्य सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।[1][2] मंदिर के प्रसिद्ध आदित्य मूर्ति को 10 वीं शताब्दी के अंत में मुल्तान के नए राजवंश इस्माइली शासकों द्वारा नष्ट कर दिया गया था।[3][4]
मुल्तान सूर्य मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | सूर्य |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | मुल्तान, पंजाब पाकिस्तान |
भौगोलिक निर्देशांक | 30°11′52″N 71°28′11″E / 30.19778°N 71.46972°Eनिर्देशांक: 30°11′52″N 71°28′11″E / 30.19778°N 71.46972°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मन्दिर |
स्थान
संपादित करेंमंदिर को मध्ययुगीन अरब के भूगोलवेत्ता अल-मुकद्दासी द्वारा उल्लेख किया गया था, जो कि शहर के हाथीदांत और कसेरा बाज़ारों के बीच मुल्तान के सबसे अधिक आबादी वाले हिस्से में स्थित था।
पृष्ठभूमि
संपादित करेंप्राचीन मुल्तान एक सौर-पूजा संप्रदाय का केंद्र था जो प्राचीन मुल्तान सूर्य मंदिर पर आधारित था। इस मंदिर में लोगों का विश्वास इसलिए था की मंदिर की आदित्य मूर्ति लोगों के रोग मुक्त कर सकता है।
इतिहास
संपादित करेंमुल्तान के मूल सूर्य मंदिर का निर्माण कृष्ण और जाम्बवती के पुत्र सांबा ने अपने कुष्ठरोग के लक्षणों से राहत पाने के लिए आज से 5000 से अधिक वर्ष पहले किया था।[5][6][7]
मुल्तान को पहले कश्यपपुरा के नाम से जाना जाता था। ग्रीक एडमिरल स्काईलेक्स ने 515 ईसा पूर्व सूर्य मंदिर का उल्लेख किया गया था। इसके बाद ह्वेन त्सांग ने 641 ईस्वी में मंदिर का दौरा किया था, और बड़े लाल रूबीयों से बनी आंखों के साथ शुद्ध सोने से बनी सूर्य भगवान की एक मूर्ति का वर्णन भी उल्लेख किया था।[8] इसके दरवाजों, खम्भों और शिखर में सोने, चांदी और रत्नों का बहुतायत से इस्तेमाल किया गया था। हजारों हिंदू नियमित रूप से मुल्तान में सूर्य देव की पूजा करने के लिए जाते थे। कहा जाता है कि ह्वेन त्सांग ने कई देवदासियों को भी मन्दिर में देखा है। ह्वेन त्सांग, इस्तखारी और अन्य यात्रियों ने अपने यात्रा-वृत्तान्त में अन्य मूर्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि मंदिर में शिव और बुद्ध की मूर्तियाँ भी स्थापित थीं।
8 वीं शताब्दी ईस्वी में मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में उमय्यद ख़िलाफ़त द्वारा मुल्तान की विजय के बाद, सूर्य मंदिर मुस्लिम सरकार के लिए आय का महान स्रोत बन गया था। मुहम्मद बिन कासिम ने मंदिर के पास एक मस्जिद का निर्माण किया, जो बाजार के केंद्र में सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाला स्थान था।[9][10][11][12]
अल बेरुनी ने 11 वीं शताब्दी ईस्वी में मुल्तान का दौरा किया था। उसने लिखा कि हिंदू तीर्थयात्री अब मन्दिर में दर्शन के लिए नहीं आते थे क्योंकि यह उस समय तक पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था और इसका पुनर्निर्माण कभी नहीं हुआ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Journal of Indian history: golden jubilee volume. T. K. Ravindran, University of Kerala. Dept. of History. 1973. पृ॰ 362. मूल से 12 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवंबर 2019.
- ↑ [1] Archived 2016-02-01 at the वेबैक मशीन Survey & Studies for Conservation of Historical Monuments of Multan. Department of Archeology & Museums, Ministry of Culture, Government of Pakistan.
- ↑ Flood, Finbarr Barry (2009). Objects of Translation: Material Culture and Medieval "Hindu-Muslim" Encounter. Princeton University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780691125947. मूल से 21 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवंबर 2019.
- ↑ Divine Prostitution By Nagendra Kr Singh. 1997. पृ॰ 44. मूल से 8 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवंबर 2019.
- ↑ Bhagawan Parashuram and evolution of culture in north-east India. 1987. पृ॰ 171.
- ↑ Region in Indian History By Lucknow University. Dept. of Medieval & Modern Indian History. 2008. पृ॰ 79.
- ↑ Ancient India and Iran: a study of their cultural contacts by Nalinee M. Chapekar, pp 29-30
- ↑ MacLean, Derryl N. (1989). Religion and Society in Arab Sind. BRILL. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789004085510.
- ↑ Wink, André (1997). Al- Hind: The slave kings and the Islamic conquest. 2, Volume 1. BRILL. पपृ॰ 187–188. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789004095090. मूल से 12 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 दिसंबर 2019.
- ↑ Al-Masʿūdī. Muruj adh-dhahab wa ma'adin al-jawahir, I. पृ॰ 167.
- ↑ De Goeje. Ibn Hauqal. पपृ॰ 228–229.
- ↑ Jackson, Roy (2014). What is Islamic Philosophy?. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781317814047. मूल से 20 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 March 2017.