मुहम्मद तकी अमानी (5 मई 1926 - 21 जनवरी 1991) एक भारतीय सुन्नी इस्लामी विद्वान, न्यायविद, उर्दू लेखक और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र संकाय के डीन थे। [1] [2] उन्हें इस्लामी न्यायशास्त्र पर उनके कार्यों के लिए जाना जाता है, और उनकी पुस्तक फ़िक़्ह इस्लामी का तारीखी पास-ए-मंज़र इस्लामी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इस्लामी अध्ययन में मास्टर डिग्री के लिए एक आवश्यक पठन है। [3] अमीनी जामिउल उलुम, कानपुर और मदरसा अमीनिया के पूर्व छात्र थे। अपने करियर के दौरान, उन्होंने दारुल उलूम नदवतुल उलमा में पढ़ाया और अजमेर में दारुल उलूम मुइनिया में प्राचार्य के रूप में कार्य किया। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र संकाय में डीन प्रोफेसर बने और 1986 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने रिकंस्ट्रक्शन ऑफ कल्चर एंड इस्लाम, इज्तेहाद का तारीखी पास-ए-मंजर और अहकाम-ए-शरिया में हालत-ओ-ज़माना की रियात सहित दिगर किताबें लिखीं

जीवनी संपादित करें

साहित्यिक कार्य संपादित करें

संदर्भ संपादित करें

  1. Cerulli, Enrico (1969). "Questions actuelles de Droit musulman au Pakistan: Les Uṣūl al-fiqh; la donation; le contrôle des naissances". Studia Islamica. Brill Publishers (29): 108. JSTOR 1595089. डीओआइ:10.2307/1595089.
  2. Ahmed, Moinuddin (1992). The Urgency of Ijtihad. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171511518.
  3. Islamic University of Science & Technology. "DEPARTMENT OF ISLAMIC STUDIES: IUST" (PDF). iustlive.com. पृ॰ 30. मूल (PDF) से 10 अप्रैल 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 April 2020.