मोम की पर्त (अंग्रेज़ी:वैक्स कोटिंग) फलों और सब्जियों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने का आधुनिक तरीका है, किंतु इसे प्रेज़र्वेशन से भिन्न समझें।[1] इसका प्रयोग विशेषकर परिवहन के समय फलों और सब्जियों को सड़ने और गलने से बचाने के लिए किया जाता है। इसमें एक प्रकार का खाद्य मोम (एडीबल वैक्स) का प्रयोग होता है। इस खाद्य मोम की एक महीन पर्त फलों और सब्जियों के छिलके के ऊपर चढ़ाई जाती है। इससे ये फल, इत्यादि आठ से बारह दिनों तक मौसम के प्रभाव से बचे रहते हैं व सड़ते या गलते नहीं हैं।[2] यह मोम स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है, यदि खाद्य मोम ही प्रयोग किया गया है। एक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि उत्पादों का लगभग ६५ प्रतिशत ही बाजारों तक पहुंच पाता है, बाकी परिवहन के दौरान खराब होकर बेकार हो जाता है। इस प्रकार किसानों के लाभ में भी फर्क पड़ता है, व दूसरी ओर ये फलों के मूल्व की वृद्धि करता है।[2]

वैक्स कोटिंग वाले फल चमकदार होने से मन लुभाते हैं

इस प्रक्रिया के लिए प्रयोग होने वाला के खाद्य श्रेणी का मोम सेंपरफ्रेश है, जिससे फलों और सब्जियों पर कोटिंग करने से इनकी ताजगी कई दिनों तक बनी रहती है।[2] फलों और सब्जियों पर पर्त चढ़ाने का यह बहुत सस्ता तरीका है। साधारण मोम की पर्त मात्र उन फलों व सब्जियों पर चढ़ायी जाती थीं, जिनके छिलके मोटे होते थे, जैसे लौकी, तुरई आदि, किंतु बाजारों में उपलब्ध नये मोम सेंपरफ्रेश को किसी भी तरह के छिलके (मोटे हों या पतले) वाले फलों और सब्जियों पर चढ़ाई जा सकती है।[2] सेंपरफ्रेश से पर्त चढ़ाने के लिए उसमें ओलिक एसिड और ट्राईइथेलॉल एमाइन का मिश्रण बनाते हैं। फिर इस घोल से फलों और सब्जियों पर छिड़काव किया जाता है। अन्य खाद्य मोम की पर्त चढ़ाने के लिए सब्जियों को मोम के पिछले घोल में डुबाकर निकाल लिया जाता है और इसे छाया में सूखा लिया जाता है। इस प्रक्रिया से सब्जियों पर जल्दी फफूंद नहीं लगती। यहां ये ध्यानयोग्य है, कि सेंपरफ्रेश की पर्त चढ़ाने के बाद भी फलों और सब्जियों को छाया में सुखाना उतना ही आवश्यक होता है। इस प्रकार रखरखाव व परिवहन की असुविधा के कारण किसानों को होने वाले भारी नुकसान से बचने का यह बेहतर तरीका है। सेंपरफ्रेश एवं अन्य खाद्य मोम आसानी से बाजार में उपलब्ध होते हैं। फलों और सब्जियों पर इस मोम की पर्त चढ़ाने का खर्च लगभग १५-१५ पैसे प्रति किलो आता है। इसके अलावा इस पर्त को चढ़ाने के बाद फलों में चमक भी आ जाती है, जो ग्राहकों को लुभाती हैं।[2] कृषि अनुसंधानों में यह पाया गया है कि कानरेवा वैक्स की पर्त चढ़ाने से सब्जियों की चमक तो बढ़ती ही है, साथ ही नमी बरकरार रहने से लंबी अवधि तक इनको भंडारगृह में रख कर किसान इनको ओने-पौने दामों पर बेचने की मजबूरी से बच सकते हैं।

मानक मोम की पर्त के अलावा अन्य सस्ते उपलब्ध मोम स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। इनमें खासकर विदेशों से आने वाले फलों आदि से सावधाण रहना चाहिये। छत्रपति शाहूजी महराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के औषधि विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰ सी.जी. अग्रवाल के अनुसार विदेशों से आयातित मोम की पर्त वाले फल विशेषकर सेब किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। यह मोम पाचन क्रिया को हानि पहुंचा सकता है और इसमें उपस्थित रसायन धीरे-धीरे पेट में एकत्र होकर आंतों को निकसान पहुंचाते हैं जिससे अल्सर होने का खतरा संभव है। कार्सोजेनिक होने के कारण यह यकृत और वृक्क को भी क्षति पहुंचा सकते हैं।[3]

  1. वैक्स कोटिंगहिन्दुस्तान लाइव(हिन्दी)३ अक्टूबर,२००९। सौरभ सुमन
  2. वैक्स कोटिंग से नहीं सड़ेंगे फल व सब्जियां[मृत कड़ियाँ](हिन्दी)। बिज़नेस भास्कर।२१ सितंबर, २००९। डॉ॰ एस मुखर्जी, कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा, जयपुर
  3. विदेशी सेब के साथ मोम भी खा रहे हैं आप Archived 2016-03-13 at the वेबैक मशीन(हिन्दी)१९ जुलाई, २००९

बाहरी कड़ियाँ

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