मोरेश्वर नीलकण्ठ पिंगले (मोरेश्वर निळकंठ पिंगळे; 30 अक्टूबर 1919 -21 सितम्बर 2003) उपाख्य मोरोपन्त पिंगले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अग्रणी नेता थे। उन्हें मराठी में "हिन्दु जागरणाचा सरसेनानी", (हिन्दू जनजागरण के सेनापति) की उपाधि से विभूषित किया जाता है। आरएसएस के प्रचारक के रूप में उनके ६५ वर्ष के कार्यकाल में वे अनेक उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया जिसमें अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख का उत्तरदायित्व प्रमुख है। सन् १९७५ के आपातकाल के समय ६ अघोषित सरसंघचालकों में से वे भी एक थे। वे रामजन्मभूमि आन्दोलन के रणनीतिकार थे।

मोरेश्वर नीलकण्ठ पिंगले
जन्म 30 दिसम्बर 1919
जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत
मौत

21 सितम्बर 2003(2003-09-21) (उम्र 83)


नागपुर, महाराष्ट्र, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा नागपुर के मोरिस महाविद्यालय से कला स्नातक
धर्म हिन्दू
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

जीवनवृत्त संपादित करें

मोरोपंत पिंगले का जन्म 30 अक्टूबर 1919 को हुआ था। वे 1930 में संघ के स्वयंसेवक बने और डाक्टर हेडगेवार जी का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने नागपुर के मौरिस कालेज से बी.ए. तक का शिक्षा पूर्ण कर 1941 में प्रचारक जीवन की शुरुआत की। आरम्भ में वे मध्यप्रदेश में खंडवा के सह-विभाग प्रचारक बने। बाद में मध्यभारत के प्रांत प्रचारक तथा 1946 में महाराष्ट्र प्रांत के सह प्रांत प्रचारक का दायित्व संभाला। तत्पश्चात् पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक, अ.भा. शारीरिक प्रमुख, अ.भा. बौद्धिक प्रमुख, अ.भा.प्रचारक प्रमुख, अ.भा. सह सरकार्यवाह रहे। जीवन के अंतिम कालखण्ड में मोरोपंत अ.भा. कार्यकारिणी के आमंत्रित सदस्य थे।

प्रमुख कार्य संपादित करें

श्री मोरोपंत ने यूं तो जिस कार्य को हाथ में लिया पूर्णता तक पहुंचाया ही परंतु कुछ ऐसे कार्यों की विशेष चर्चा करनी जरूरी है जो केवल मोरोपंत जी के कारण ही सफल हो पाए-

  • छत्रपति शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रायगढ़ में भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई।
  • आंध्र प्रदेश स्थित पूज्य डाक्टर हेडगेवार के पैतृक गांव कंदकूर्ति में उनके परिवार के कुलदेवता के मन्दिर को भव्य रूप दिया।
  • नागपुर में स्मृति मन्दिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका।
  • किला पारडी (गुजरात) के पंडित सातवलेकर जी के स्वाध्याय मंडल के कार्य की पुनस्स्थापना।
  • महाराष्ट्र में वनवासी क्षेत्र में सेवा कार्य प्रारंभ करना ; जैसे देवबांध (ठाणे का सेवा प्रकल्प, कलवा स्थित कुष्ठरोग निर्मूलन प्रकल्प) आदि। महाराष्ट्र के सहकारी क्षेत्र में स्वयंसेवकों द्वारा संचालित बैंक
  • वे साप्ताहिक विवेक (मुम्बई) की विस्तार योजना के जनक थे तथा नाना पालकर स्मृति समिति (रुग्ण सेवा प्रकल्प, मुम्बई) की प्रेरणा उन्होंने ही दी थी।
  • गोरक्षा, गो-अनुसंधान तथा वैदिक गणित के प्रबल आग्रही।
  • लघु उद्योग भारती की स्थापना।
  • श्री गुरुजी स्मृति संकलन समिति द्वारा श्री गुरुजी के विचारों के संकलन के मार्गदर्शन में मीनाक्षीपुरम के मतान्तरण की घटना के पश्चात् संपूर्ण देश में संस्कृति रक्षा अभियान का कार्य।
  • 1982 से श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के विविध कार्यक्रम, जैसे श्रीराम शिलापूजन, शिलान्यास, रामज्योति आदि के मार्गदर्शक।
  • एकात्मता यात्रा के सूत्रधार।
  • 1973 में स्थापित बाबा साहब आपटे स्मारक समिति के अंतर्गत इतिहास संशोधन एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें