यमुनाबाई सावरकर या माई सावरकर (०४ दिसम्बर, १८८८- ०८ नवंबर १९६३) संघी विनायक दामोदर सावरकर की पत्नी थीं। इनका जन्म ४ दिसम्बर, १८८८ (तदनुसार मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, विक्रम संवत १९४५) को हुआ था। इनके पिता भाउराव (या रामचंद्र त्रयंबक) चिपलूनकर ठाणे के निकट जवाहर कस्बे के दीवान थे। सावरकर के साथ इनका विवाह फरवरी,[ [१९०१]] (तदनुसार माघ, वि॰सं॰१९५७) को हुआ था। इन्हें माई सावरकर नाम से अधिक प्रसिद्धि मिली। इनके पिता ने ही सावरकर की उच्च शिक्षा व लंदन जाने का बोझ वहन किया। आयु पर्यन्त ये सावरकर का समर्तन व सहयोग शांतिपूर्वक करते रहे।

माई ने रत्नागिरी में सावरकर के समाज सुधार कार्यक्रम के भाग के रूप में हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम आयोजित किए थे। इनके चार संताने हुईं। सबसे बडए प्रभाकर की मृत्यु बहुत पहले ही हो गई, जब सावरकर लंदन में थे। जनवरी १९२५ में सतारा में इनके एक पुत्री-प्रभात हुई। इनकी दूसरी पुत्री शालिनी एक रुग्ण बालिका थी, जिसकी अल्पायु में ही मृत्यु हो गई। मार्च, १९२८ को इनके एक पुत्र हुआ- विश्वास।

माई की मृत्यु ८ नवंबर, १९६३ (तदनुसार कार्तिक वद्य, अष्टमी, वि॰सं॰ २०२०) को मुंबई में हुई।

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