रघुकुल तिलक (7 जनवरी, 1900 -- 25 दिसम्बर, 1989) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो १९७७ से १९८१ तक राजस्थान के राज्यपाल रहे।

रघुकुल तिलक का जन्म 7 जनवरी, 1900 को उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर में हुआ। आपने इतिहास में एम.ए. किया और 1924 से 1926 तक खुरजा काॅलेज में व्याख्याता तथा 1928 से 1932 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में पुस्तकालयाध्यक्ष रहे। वर्ष 1932 में आपने सरकारी नीतियों के विरोध स्वरूप त्यागपत्र दे दिया और गोलमेज सम्मेलन के बाद गिरफ्तार हो गये। असहयोग आन्दोलन में आपने सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष 1932 से 1935 तक कारावास में रहे। वहां से छूटने पर वर्ष 1935 से 1938 तक काशी विद्यापीठ में व्याख्याता और वर्ष 1939 से 1946 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के निर्वाचित सदस्य रहे। [1]

वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण आप वर्ष 1942 से 1944 तक पुनः जेल गये। वर्ष 1944 में ही आप उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव नियुक्त किये गये। बाद में आपने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया और समाजवादी दल में शामिल हो गये। वर्ष 1952 से 1958 तक रेलवे सेवा चयन आयोग के उत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष रहे तथा वर्ष 1958 से 1960 तक राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य रहे। वर्ष 1961 तक आप सर्वोदय आन्दोलन में सक्रिय रहे तथा दिसम्बर, 1971 से अगस्त, 1974 तक आपने काशी विद्यापीठ के उपकुलपति पद पर कार्य किया।

अगस्त, 1974 से सितम्बर, 1976 तक आप गाँधी अध्ययन संस्थान, काशी के अवैतनिक कोषाध्यक्ष तथा प्रोफेसर रहे और 12 मई, 1977 से 8 अगस्त, 1981 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। इस अवधि में 22 जून, 1977 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा जो आपके कार्यभार संभालने से पूर्व 30 अप्रेल, 1977 को लागू हुआ था।

श्री तिलक का निधन 25 दिसम्बर, 1989 को एक सड़क दुर्घटना में हुआ।

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