रसाबली (ओड़िया: ରସାବଳି) ओडिशा , भारत का एक मीठा व्यंजन है। रसाबली को बलराम को परसाद के रूप में चढ़ाया जाता है , [1] और इसकी उत्पत्ति केन्द्रापड़ा के बलदेव मन्दिर में हुई थी। यह जगन्नाथ मन्दिर, पुरी के छप्पन भोग में से एक है।[2]

रसाबली
उद्भव
संबंधित देश केन्द्रापड़ा, ओडिशा[1]
देश का क्षेत्र ओडिशा, भारत
व्यंजन का ब्यौरा
मुख्य सामग्री छेना, रबड़ी

इसमें छेना के तले हुए चपटे लाल बभ्रु रंग के पैटीज़ होते हैं जिन्हें गाढ़ी रबड़ी में भिगोया जाता है। छेना को हस्ताकार के पैटीज़ में चपटा किया जाता है ताकि वे दूध को अधिक आसानी से अवशोषित कर सकें। रबड़ी को प्रायः कुचली हुई इलायची के साथ हल्का सीज किया जाता है।

  1. Mohanty, Gopinath (2003). Cultural Heritage of [Orissa]: pts. 1-2. Katak. State Level Vyasakabi Fakir Mohan Smruti Samsad. पृ॰ 650. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-902761-3-9.
  2. Mishra, Miśra, Durga Nandan, Narayan (2007). Annals & Antiquities Of The Temple Of Jagannatha. Sarup & Sons. पृ॰ 190. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7625-747-3.