यह सागर-रहली मार्ग पर रहली से करीब 20 किमी दूर देहार नदी के किनारे पर स्थित है। यह महाराजा छत्रसाल और धामोनी के मुगल फौजदार खालिक के बीच हुए एक युद्ध का साक्षी था। मराठा सूबेदार गोविंदराव पंडित ने रानगिर को अपना मुख्यालय बनाया था। समीप की पहाड़ी पर हरसिद्धी देवी का एक मंदिर है, जहां आश्विन और चैत्र के महीनों में देवी के सम्मान में मेला लगता है। चैत्र मेले का विशेष महत्व है और इस दौरान यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं।

सागर के पास स्थित रानगिर में हरसिद्धी माता का मंदिर