रानी तपस्विनी
रानी तपस्विनी (१८४२-१९०७) लक्ष्मी बाई की भतीजी तथा बेलुर के जमींदार नारायण राव की बेटी थीं। उनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। उन्होंने १८५७ के भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम में जमकर अंग्रेजों से लड़ाई की थी।
क्रान्ति की विफलता के बाद उन्हें तिरुचिलापल्ली की जेल में रखा गया था। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने संस्कृत और योग की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद कोलकाता में महिलाओं की शिक्षा के लिए काम करती रहीं। उनका निधन १९०७ में हुआ। रानी तपस्विनी का उल्लेख एक पाकिस्तानी लेखिका जहीदा हीना ने अपनी पुस्तक " पाकिस्तानी स्त्री : यातना और संघर्ष" में किया है। वे भारतीय उपमहाद्वीप में महिला शिक्षा पर अपने आलेख में उनका उल्लेख करती हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- सिंह, रामपाल (2009). भारतीय क्रांतिकारी वीरांगनाएँ. आत्माराम एंड संन्स. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-8346-017-8. नामालूम प्राचल
|coauthors=
की उपेक्षा की गयी (|author=
सुझावित है) (मदद)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंयह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |