रामजी नाईक
रामजी रामसिंग नाईक विदर्भ के एक प्रचलित समाज सुधारक थे। उन्होंने जंगल सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया।[1] कर्मयोगी रामजी नायक एक संस्कारी परिवार से आते थे, उनके पिताश्री रामसिंग दूडासिंग नायक (1825-1916) यह साहस और समाजरक्षा के लिये प्रचलित थे। जंगल , जमीन , जन (बिरादरी) के हित में उन्होंने सामंत और सरंजामी के खिलाफ आवाज भी उठाया। यह सामाजिक सुधार और सामाजिक न्याय की विरासत रामजी नाइक ने बरकरार रखी। उनका जन्म पवार कुल में एक किसान परिवार में तत्कालीन अकोला जिले के वरोली टांडा में हुआ। उनका विवाह वाईगौल की प्रतिष्ठीत रामावत परिवार की कन्या मंगलादेवी रामावत (1917-2017) से हुआ । आधुनिक महाराष्ट्र के शिल्पकार एवं हरितक्रांती के जनक वसंतराव नाईक के करिबी थे। रामजी नायक विदर्भ के प्रमुख समाज सुधार में से एक थे।
रामजी रामसिंग नाईक | |
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जन्म |
25 अगस्त 1915 वरोली जिला वाशीम ,विदर्भ |
मौत |
16 अक्टूबर 1995 (उम्र 80 वर्ष) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | समाजसुधारक, समाजसेवी |
जीवनसाथी | मंगलादेवी |
बच्चे | नारायणराव, विश्वनाथराव, आनंदराव |
माता-पिता | सकरीदेवी(माता) और रामसिंग (पिता) |
कर्मयोगी रामजी नाईक तत्कालीन गौर पंचायत के प्रतिष्ठित 'नायक' के रूप में प्रसिद्ध थे। यह निष्पक्ष और पारदर्शी अधिनिर्णय के लिए पंचक्रोशी में प्रचलित थे। उनकी सूझ-बूझ और चतुराई के कारण दूर-दूर तक हजारों अन्याय पीड़ितों को न्याय मिला। कारंजा लाड के रामविलास रामकिशन मारवाड़ी ने उन्हें इस कार्य के लिए पुरस्कार के रूप में पांच एकड़ जमीन भी दी। उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए वंचितों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।[2]
रामसिंग नायक (1825-1916) के पुर्वज राजपुताना से आते है। उनका परिवार विस्थापित होकर बरार प्रांत में आ बसा। पिताश्री राम सिंह दूडासिंग नायक ने धुमा खेमा सिंग नायक को साथ लेकर एक स्वतंत्र टांडा वसाहत की स्थापना की। इस वसाहत को बाद में उनके उपरांत 'रामजी नायकेरो - हेमा नायकेरो टांडो' (रामजी नायक का गांव) के नाम से भी जाना जाने लगा। रामसिंग दूडासिंग नायक ने निजाम से लेकर स्थानिक सामंत और सरंजामदार के अन्याय के खिलाफ बडा संघर्ष भी किया था। उनसे प्रेरणा लेकर रामजी नायक सामाजिक न्याय के लिये समर्पित रहे। वसंतराव नायक ने आदिवासियों, घुमंतू खानाबदोशों और भूमिहीनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'कसेल त्याची जमीन' के सिद्धांत पर योजना को हाथ में लेकर भूमिहीनों के लिए एक सहकारी कमिटी स्थापित करने का निर्णय लिया था। यह योजना मध्य प्रदेश से 'नवाटी' के नाम से बहुत लोकप्रिय हुई।रामजी नाइक को महानायक वसंतराव नाइक ने 'सामुदायिक सेवा समिति' के अध्यक्ष के रूप में चुना था , जो इसके तहत स्थापित अकोला जिले की सहकारी समिति के रूप में जानी जाती है। किंतु उन्होंने स्वंय को राजनीति से दूर रखा। जब वसंतराव नाइक मध्य प्रदेश के सहकारिता और दुग्ध मंत्री थे और द्विभाषी राज्य बंबई के कृषि मंत्री भी थे और बाद में महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बने, तब भी उन्होंने मुख्यधारा से वंचित तत्कालीन वरोली टांडा में रामजी नाइक के टांडा का दौरा किया था। उनके बीच का सामाजिक बंधन अंत तक बना रहा।[3]
सुधार आन्दोलन
संपादित करेंरामजी राम सिंह नाइक समाज सुधार आंदोलन के बरार , वैदर्भीय समाज सुधारकों में लोकप्रिय 'नाइक' में से एक थे। गौर पंचायत के माध्यम से उन्होंने समाज में सत्यनिष्ठा , शिक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रसार किया। दबे कुचले पिडीतोपर होनेवाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया। बहुजनों के अधिकारों के लिए बाबासाहेब नाइक, वसंतराव नाइक, पद्मश्री राम सिंह भानावत, बाबूसिंह नाइक, भीकुसिंह नाइक, आत्माराम नाइक, जातरसिंह नाइक, हीरासिंह पवार, अमरसिंह पवार, सखाराम मुडे, चोखलासिंह नाइक के साथ भी मिलकर लड़ाई लड़ी। इन सामाजिक नेताओं ने गौर बंजारा, आदिवासी, वंचित समुदायों को संगठित करने और उनमें जन जागरूकता पैदा करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने 'अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ' की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे महानायक वसंतराव नाइक द्वारा वर्ष 1953 में स्थापित गौर बंजारा समाज की मातृ संस्था के रूप में जाना जाता है। दिग्रस (यवतमाल) में आयोजित अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के स्थापना समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न लालबहादुर शास्त्री जी की प्रमुख उपस्थिति थी। कर्मयोगी रामजी नाईक ने समाज की कुरीतियों और अनिष्ट परंपरा पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए वंचितों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।[4]
16 अक्टूबर, 1995 को वृद्धापकाल से देहान्त हुआ। उनकी समाधी फतेहपुरी गड़ के स्थित है।
संदर्भ
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- ↑ जाधव, प्राचार्य जयसिंग (2024). "पाटनूर जंगल सत्याग्रह व उमरी बॅंक ऍक्शन". बंजारा पुकार.
- ↑ प्रा. जाधव, जयसिंगराव (2018). भूमिपुत्र की देन. लोकनेता पब्लिकेशन. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5321-266-7.
- ↑ याडीकार, पंजाब चव्हान (2024). लोकनायक वसंंतराव नाईकसाहेब. महाराष्ट्र: सुधीर प्रकाशन वर्धा. पपृ॰ 240, 241. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-971258-2-9.
- ↑ राठौर, हरिसींग (2023). हम गौर बंजारे. मुंबई: ओम प्रि़टस्.