रामस्‍वरूप चतुर्वेदी

रामस्‍वरूप चतुर्वेदी ( 1931-2003 ) हिन्‍दी साहित्‍य के उन समीक्षकों में से थे जो मुख्‍यतः भाषा की सृजनात्‍मकता को केन्‍द्र में रखकर समीक्षा कर्म में प्रवृत्‍त हुए थे।

जीवन-परिचय

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उनका जन्म 6 मई 1931 को हुआ था। उन्होंने आगरा से 1946 में हाईस्कूल किया, कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से बी.ए. की डिग्री ली और 1950 में इलाहाबाद चले गये। सन 1954 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए और प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए।

सन् १९५५ में सुषमा के साथ उनका विवाह हुआ। उनके तीन बेटे हैं - विनीत, विनय, विवेक। उनकी पुत्रवधुओं के नाम क्रमशः पल्लवी, दीपा एवं शेफाली हैं।[1]

24 जुलाई 2003 को ७२ वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।[2]

समीक्षात्मक दृष्टिकोण

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विचार और अनुभूति के संश्लेष से साहित्य या कि काव्य में अर्थ की सृष्टि होती है। इस प्रकार साहित्य में अर्थ की विकसनशील प्रक्रिया चलती रहती है जो देशकाल व व्यक्ति को छूती रहती है। सुनिश्चित प्रतिमानों या कि पैमानों के सहारे चाहे वे पुराने हों या नए कविता की निरंतर विकसनशील प्रक्रिया को समझा समझाया नहीं जा सकता है। प्रतिमानों के आधार पर कविता लिखी नहीं जाती तो समझी भी नहीं जाती। वस्तुतः कविता को समझना उसकी रचना प्रक्रिया का ही विस्तार है और कविता के अर्थ विस्तार की यह प्रक्रिया संभव करना ही आलोचक का प्रधान कर्म है। किसी आलोचक का जब किसी कविता से साक्षात्कार होता है तो प्रथम अनुभव भाषा से होता है फिर भाषा के सहारे उसके अर्थ का बोध करता है यह द्वितीयक अनुभव या कि काव्यानुभव का अनुभव है और फिर अर्थ के सहारे कविता के आधार अनुभव को ग्रहण करता है यह द्वितीयक अनुभव का अनुभव या कि काव्यानुभव के अनुभव का अनुभव है और यही आलोचना है जिसमें रचना का अर्थविस्तार स्वतः होता रहता है। इस प्रकार काव्य रचना और आलोचना में एक दृष्टिगत सामंजस्य होता है। जहाँ रचना यदि जीवन का अर्थविस्तार है तो आलोचना उस रचना का अर्थविस्तार है। काव्यानुभव के अनुभव का यही मर्म है जहाँ कविता को समझने के लिए कविता की समझ जरूरी है न कि किसी विचारधारा की। अधिकतर विचारधारा के आग्रही आलोचक कविता में निहित अनुभव और अर्थ का विस्तार करने की बजाय स्वयं अपनी अपनी विचारधारा का अर्थविस्तार देते हैं जो कि कविता या कि साहित्य के लिए हानिकर है।

लेखन-कार्य

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रामस्वरूप चतुर्वेदी के आरंभिक समीक्षापरक निबंध 1950 में प्रकाशित हुए। लेखन के क्षेत्र में उनकी विशेष रुचि आलोचना के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों रूपों में तथा भाषाशास्त्र एवं विचारों के साहित्य में रही है।[3] इन विषयों से संबंधित अनेक पुस्तकों की रचना उन्होंने की है

प्रकाशित कृतियाँ

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  1. शरत् के नारी पात्र (1955)
  2. हिन्दी नवलेखन (1960)
  3. आगरा जिले की बोली (1961)
  4. भाषा और संवेदना (1964)
  5. अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या (1968)
  6. हिंदी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियाँ (1969)
  7. कामायनी का पुनर्मूल्यांकन (1970)
  8. मध्यकालीन हिंदी काव्यभाषा (1974)
  9. नयी कविताएँ: एक साक्ष्य (1976)
  10. कविता यात्रा : रत्नाकर से अज्ञेय तक (1976)
  11. गद्य की सत्ता (1977)
  12. सर्जन और भाषिक संरचना (1980)
  13. इतिहास और आलोचक-दृष्टि (1982)
  14. हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास (1986)
  15. काव्यभाषा पर तीन निबंध (1989)
  16. प्रसाद-निराला-अज्ञेय (1989)
  17. साहित्य के नये दायित्व (1991)
  18. कविता का पक्ष (1994)
  19. समकालीन हिंदी साहित्य: विविध परिदृश्य (1995)
  20. हिंदी गद्य: विन्यास और विकास (1996)
  21. भाषा-संवेदना और सर्जन -1996 ('भाषा और संवेदना' एवं 'सर्जन और भाषिक संरचना' का संयुक्त संस्करण)
  22. तारसप्तक से गद्यकविता (1997)
  23. आधुनिक कविता-यात्रा -1998 ('प्रसाद-निराला-अज्ञेय' एवं 'तारसप्तक से गद्यकविता' का संयुक्त संस्करण)
  24. भारत और पश्चिम: संस्कृति के अस्थिर संदर्भ (1999)
  25. आचार्य रामचंद्र शुक्ल - आलोचना का अर्थ: अर्थ की आलोचना (2001)
  26. भक्ति काव्य-यात्रा (2003)
  27. हिन्दी काव्य का इतिहास (हिंदी काव्य-संवेदना का विकास) -2003 ('भक्ति काव्य-यात्रा', 'प्रसाद-निराला-अज्ञेय' एवं 'तारसप्तक से गद्य-कविता' का संयुक्त संस्करण। 'आधुनिक कविता-यात्रा' भी इन तीनों में से अंतिम दो पुस्तकों का संयुक्त संस्करण होने से इसी में समाहित है।[4])
  28. आलोचकथा (आत्मसंस्मरण-परस्मरण) -2004
  1. नये पत्ते (पत्रिका) -1952
  2. नयी कविता (पत्रिका) -1954
  3. क ख ग (पत्रिका) -1963
  4. हिंदी अनुशीलन (शोध त्रैमासिक) -1960 से 1984
  5. हिन्दी साहित्य कोश (दो भागों में) -1958 एवं 1963 (सहायक संपादक)
  • साधना सम्मान -1996
  • व्यास सम्मान -1996 ('हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास' के लिए)

इन्हें भी देखें

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  1. भारत और पश्चिम : संस्कृति के अस्थिर संदर्भ, रामस्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण-1999, अंतिम आवरण-फ्लैप पर उल्लिखित।
  2. आलोचकथा, रामस्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण-2004, पृष्ठ-9.
  3. आलोचकथा, रामस्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण-2004, अंतिम आवरण-फ्लैप पर उल्लिखित।
  4. हिन्दी काव्य का इतिहास, रामस्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज, संस्करण-2007, पृष्ठ-9.

बाहरी कड़ियाँ

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अतिरिक्त अध्ययन-सामग्री

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  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिंदी साहित्य का इतिहास, पंचम संस्करण: 2007, लोकभारती प्रकाशन, एम.जी. रोड, इलाहाबाद की भूमिका।
  • स्मृति और संस्मृति : रामस्वरूप चतुर्वेदी- संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा, साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2015
  • संवाद, संवेदना और प्रतिरोध : रामस्वरूप चतुर्वेदी- संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा,साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2016
  • रामस्वरूप चतुर्वेदी : आलोचकथाएँ-संपादक महेंद्र प्रसाद कुशवाहा,साहित्य भंडार प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2018