रामायण (राजगोपालाचारी)
रामायाण चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा रचित पौराणिक कथा पुस्तक है। इसका प्रथम प्रकाशन १९५७ में भारतीय विद्या भवन में हुआ।[1] यह पुस्तक वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का संक्षिप्त अंग्रेजी पुनर्लेखन है। इससे पहले उन्होंने कंब रामायण की रचना की।[2] राज जी ने उनकी महाभारत और इस पुस्तक को देशसेवा के रूप में बड़े कार्य के रूप में देखा।[3]
लेखक | चक्रवर्ती राजगोपालाचारी |
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भाषा | अंग्रेज़ी |
शैली | पौराणिक कथा |
प्रकाशक | भारतीय विद्या भवन |
प्रकाशन तिथि | १९५७ |
प्रकाशन स्थान | भारत |
मीडिया प्रकार | मुद्रित |
आई.एस.बी.एन | 978-81-7276-365-7 |
ओ.सी.एल.सी | 19243018 |
२००१ के अनुसार पुस्तक की १० लाख प्रतियाँ विक्रय की जा चुकी हैं।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Ramayana and Mahabharata: catalogue of books in the Sahitya Akademi Library [रामायण और महाभारत: साहित्य अकादमी पुस्तकालय में पुस्तकों की तालिका] (अंग्रेज़ी में). भारतीय साहित्य अकादमी. 1987. पृ॰ 6. OCLC 29798356.
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दिए जाने पर|url= भी दिया जाना चाहिए
(मदद) - ↑ Complete works of Gosvami Tulsidas [गोस्वामी तुलसीदास का पूर्ण कार्य] (अंग्रेज़ी में). ४. वाराणसी : प्रच्या प्रकाशन. १९७८. पपृ॰ ४१९. OCLC 6124096.
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दिए जाने पर|url= भी दिया जाना चाहिए
(मदद) - ↑ अग्रवाल, एम॰ जी॰ (२००८). Freedom fighters of India [भारत के स्वतंत्रता सैनानी]. ईशा बूक्स. पृ॰ 104. OCLC 259734603. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8205-472-1. मूल से 4 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 दिसंबर 2013. पाठ "language-अंग्रेज़ी" की उपेक्षा की गयी (मदद)
- ↑ जे वेंकटेशन (२० दिसम्बर २००१). "PM releases one millionth book of Ramayana" [प्रधानमंत्री ने रामायण की दस लाख वीं प्रति जारी की] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. मूल से 2 नवंबर 2003 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ दिसम्बर २०१३.