रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' हिन्दी भाषा के कवि थे। इनका जन्म - 01 मई 1915 को ग्राम किशनपुर, जिला - फतेहपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था एवं मृत्यु - 12 अक्टूबर 1995 को हुई थी। शुक्ल ने जबलपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में वर्षों तक अध्यापन किया तथा विभागाध्यक्ष रहे। रामेश्वर छायावाद युग के उत्तरार्ध के कवि हैं। बाद में इन्होंने मार्क्सवादी तथा प्रगतिशील कविताएं भी लिखीं। इनकी भाषा में नए विशेषण और नए उपमान प्रयुक्त हुए हैं। मुख्य कविता-संग्रह हैं : 'मधुलिका, 'अपराजिता, 'किरण बेला, 'वर्षांत के बादल और 'विराम चिन्ह। इन्होंने उपन्यास, निबंध तथा हिन्दी साहित्य का अनुशीलन आदि ग्रंथ भी लिखे। [1]
रामेश्वर शुक्ल अंचल | |
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जन्म | 1 मई 1915 |
मौत | अक्टूबर 12, 1995 |
पेशा | छायावादी कवि |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs | उल्का (उपन्यास), चढ़ती धूप1966, शीलजयी (काव्य संग्रह )1976, कुंवर की दुल्हन (कहानी) 1980, अपराजिता (प्रबंध काव्य)1983, मधुलिका (काव्य संग्रह), लाल चूनर, किरण बेला, करील, वर्षांत के बादल, विराम चिन्ह, |
खिताब |
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रचनाएँ
संपादित करें- उल्का (उपन्यास),
- चढ़ती धूप1966,
- शीलजयी (काव्य संग्रह )1976,
- कुंवर की दुल्हन (कहानी) 1980,
- अपराजिता (प्रबंध काव्य)1983,
- शीलजयी (खंडकाव्य)
- मधुलिका (काव्य संग्रह),
- लाल चूनर, किरण बेला, करील, वर्षांत के बादल, विराम चिन्ह,
सम्मान
संपादित करें- जबलपुर विश्वविद्यालय से डी लिट् की मानद उपाधि
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मान
- हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा साहित्य वाचस्पति सम्मान
- राष्ट्रपति द्वारा विशेष सम्मान
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' / परिचय". kavitakosh.org/. कविताकोश. मूल से 13 अप्रैल 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2017.