राम चरण (गुरु)
गुरु राम चरण या रामचरण जी महाराज अठारहवीं सदी के आरम्भ में राजस्थान के जयपुर में उत्पन्न के एक संत थे। इन्होने रामसनेही संप्रदाय की स्थापना की। ये निर्गुण भक्ति शाखा के संत थे।[1][2]
राम चरण | |
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चित्र:SwamiRamCharan.jpg | |
संस्कृत | राम चरण |
धर्म | हिन्दू धर्म |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म |
राम किशन माघ शुक्ल चतुर्दशी, 1776 विक्रम संवत ( फरवरी 24, 1720 A.D.) सोडा गाँव, टोंक जिला, मेवाड़, भारत |
निधन |
वैशाख कृष्ण पंचमी 1855 विक्रम संवत ( 1799 A.D.) शाहपुरा, भील वाड़ा, राजस्थान |
शांतचित्त स्थान |
शाहपुरा, भील वाड़ा, राजस्थान 25.620253 N,74.92153 E |
पद तैनाती | |
उपदि | Founder-acharya of the Ramdwara, H.Q. Shahpura |
पूर्वाधिकारी | कृपा राम |
धार्मिक जीवनकाल | |
पद | गुरु, सन्यासी, आचार्य |
वेबसाइट | [1] |
जीवन
संपादित करेंरामचरण जी का जन्म माघ शुक्ला 14 शनिवार संवत् 1776 (1719 ई॰) को अपने ननिहाल सोडा नामक ग्राम में हुआ। यह स्थान राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा नामक नगर के समीप है। आपके पिताजी का नाम बख्तराम जी तथा माताजी का नाम देउजी था। ये पीपलू से 10KM दुर बनवाड़ा में निवास करते थे।
इनके गुरु कृपाराम जी महाराज थे जिन्होंने इन्हें राम भक्ति की शिक्षा दी। सं. 1817 में ये भीलवाडा गये और वहीं अपनी अणभैवाणी की रचना की। इनके निवास हेतु वि. सं. 1822 में देवकरण जी तोषनीवाल ने रामद्वारा का निर्माण कराया गया।
स्वामीजी रामचरण जी महाराज वैषाख कृष्ण पंचमी गुरूवार सं. 1855 को शाहपुरा में ही ब्रहम्लीन हुए|
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ तोन्गारिया, राहुल. "राजस्थानी संस्कृति में दादू एवं रामस्नेही सम्प्रदाय का योगदान". ignca.nic.in. मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2015.
- ↑ "रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक रामचरण महाप्रभु". दैनिक भास्कर. मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2015.
बाहरी कड़ियाँ
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