राव गोपाल देव
19वीं सदी के भारतीय क्रांतिकारी (1829-1862)
राव गोपाल देव अहीरवाल में उन्नीसवीं सदी के क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान अपने चचेरे भाई राव तुला राम के साथ खुद को संबद्ध किया था । [2] वह प्रसिद्ध राव शाहबाज़ सिंह की छठी पीढ़ी के वंशज थे और राव तुला राम के पहले चचेरे भाई थे। उन्हें 1855 में अपने पिता राव नाथू राम की मृत्यु के बाद रेवाड़ी के 841 गाँवों की जागीर विरासत में मिली। [3]
राव गोपालदेव सिंह | |
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राव बहादुर | |
नेता 1857 का भारतीय विद्रोह | |
पूर्ववर्ती | राव नाथूराम सिंह |
उत्तरवर्ती |
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जन्म | 1829 रेवाड़ी, अहिरवाल, पंजाब |
निधन | 1862[1] |
पिता | राव नाथूराम सिंह |
पेशा | शासक और सेना कमांडर |
यह सभी देखें
संपादित करें- राव मित्र सेन अहीर
- राव गुजरमल सिंह
- राव रूदा सिंह
राव गोपाल देव पर पुस्तकें
संपादित करें- Malik, Ravindra; ARSu, Team (2020-01-01). HARYANA GK: HARYANA AT THE START OF 2020: Haryana GK for Haryana Civil Services (HCS) & Other State Examinations (अंग्रेज़ी में). MyARSu. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-64783-786-0.
- Textbooks from India (अंग्रेज़ी में). National Council of Educational Research and Training. 2003. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7450-129-5.
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "Mahendragarh at A Glance >> History >>Modern Period". mahendragarh.gov.in. National portal of India. मूल से 23 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 March 2016.
- ↑ Sharma, Suresh K. (2006). Haryana: Past and Present. Mittal. पपृ॰ 252–53. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8324-046-8. मूल से 29 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जून 2020.
- ↑ Yadava, S. D. S. (2006). Followers of Krishna: Yadavas of India (अंग्रेज़ी में). Lancer Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7062-216-1.
- डॉ रविन्द्र सिंह यादव और विजयपाल, १ k५ k की क्रांति के पुरोधा: राव राजा तुलाराम, पुनीत प्रकाशन, जयपुर, २०१३
- अनिल यादव, क्रांतिदूत - राव राजा तुलाराम, सरिता बुक हाउस, 1999, दिल्ली।