रा नवघन
रा नवघन , 1025–1044 CE में गुजरात के जूनागढ़ में वामनस्थली का चूड़ासमा अहीर शासक था। वह रा दिया का पुत्र था तथा सोलंकी राजा की कैद से बचा के एक दासी ने उसे देवायत बोदार अहीर को सौंप दिया था। अहीर चूड़ासमा राजाओं के समर्थक थे, इन्हीं अहीर समर्थकों से साथ मिलकर नवघन ने सोलंकी राजा को पराजित करके वामनस्थली का राज्य पुनः हासिल किया।[1]
जूनागढ़ में रा नवघन ने कई वर्षों तक शासन किया। उसके शासन काल में ही उसकी धर्म बहन जाहल अहीर का सिंध प्रांत के हमीर सुमरो ने अपहरण कर लिया था। रा नवघन ने हमीर सुमरो को मार कर अपनी बहन की रक्षा की थी।[2] रा नवघन, रा खेंगर के पिता थे।[3] दयाश्रय व कुमार प्रबंध आदि प्रसिद्ध महाकाव्यों में रा नवघन, रा खेंगर दोनों को ही 'अहीर राणा' या 'चरवाहा राजा' के नाम से संबोधित किया गया है।[4][5][6] रा नवघन प्रथम जूनागढ़ शासक रा दियास का पुत्र था। रा दियास सोलंकी राजा के साथ युद्ध में पराजित हुआ व मारा गया। एक साल से भी कम आयु के पुत्र रा नवघन को अकेला छोड़ कर रा दियास की पत्नी सती हो गयी। सोलंकी राजा रा दियास के पुत्र को मारना चाहता था तथा उसकी सोलंकी राजा से रक्षा हेतु रा नवघन को देवायत बोदार नामक विश्वसनीय अहीर को सौप दिया गया।.[7][8] देवायत बोदार ने नवघन को दत्तक पुत्र स्वीकार किया व अपने पुत्र की तरह पाला पोसा। परंतु किसी धोखेबाज़ ने इसकी खबर राजा सोलंकी को दे दी और इस खबर को गलत साबित करने हेतु देवत बोदार ने अपने स्वयं के पुत्र का बलिदान देकर नवघन को बचाया। कालांतर में देवायत बोदार ने सोलंकी राजा के विरुद्ध युद्ध लड़ने की ठान ली।.[9] बोदार अहीरों व सोलंकी राजा के बीच घमासान युद्ध हुआ।.[10][11] अंत में अहीर जीत गए और चूड़ासम वंश की पुनर्स्थापना हुयी व रा नवघन राजा बनाया गया।.[12][13][14][15]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Indian Antiquary (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. 1873.
- ↑ Registrar, India Office of the; General, India Office of the Registrar (1965). Census of India, 1961: Gujarat (अंग्रेज़ी में). Manager of Publications.
- ↑ Indian Antiquary (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. 1873.
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- ↑ Pfeffer, Georg; Behera, Deepak Kumar (1997). Contemporary Society: Tribal Studies : Professor Satya Narayana Ratha Felicitation Volumes (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7022-640-6.
- ↑ Kumar, Naresh (2003). Encyclopaedia of Folklore and Folktales of South Asia (अंग्रेज़ी में). Anmol Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-261-1400-9.
- ↑ Junagadh.), Ranchodji Amarji (Divan of (1882). Târikh-i-Soraṭh: A History of the Provinces of Soraṭh and Hâlâr in Kâthiâwâd (अंग्रेज़ी में). Educ. Soc. Press, & Thacker.
- ↑ Burgess, James (1971). Report on the Antiquities of Kâṭhiâwâḍ and Kachh, Being the Result of the Second Season's Operations of the Archaeological Survey of Western India, 1874-75 (अंग्रेज़ी में). Indological Book House.
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- ↑ Padma, Sree (2014-07-03). Inventing and Reinventing the Goddess: Contemporary Iterations of Hindu Deities on the Move (अंग्रेज़ी में). Lexington Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7391-9002-9.
- ↑ Rickmers, Christian Mabel (1899). The Chronology of India, from the Earliest Times to the Beginning Os the Sixteenth Century (अंग्रेज़ी में). A. Constable & Company.
- ↑ Indian Antiquary (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. 1873.
- ↑ Singhji, Virbhadra (1994). The Rajputs of Saurashtra (अंग्रेज़ी में). Popular Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7154-546-9.
- ↑ Mitra, Sudipta (2005). Gir Forest and the Saga of the Asiatic Lion (अंग्रेज़ी में). Indus Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7387-183-2.
- ↑ Padma, Sree (2014-07-03). Inventing and Reinventing the Goddess: Contemporary Iterations of Hindu Deities on the Move (अंग्रेज़ी में). Lexington Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7391-9002-9.