ऑर्डर (विनिमय)

(रुझान रेखा से अनुप्रेषित)

विनिमय आदेश (अंग्रेज़ी:ऑर्डर) स्टॉक, बॉण्ड, वस्तु या शेयर बाजार में एक उपभोक्ता द्वारा अपने दलाल को दिया गया विनिमय बाजार में क्रय-विक्रय करने का एक निर्देश होता है। ये निर्देश सरल या जटिल हो सकते हैं। ऐसे आदेशों के कुछ मानक निर्देश होते हैं। वे इस प्रकार से हैं।

स्टॉप लॉस

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स्टॉप लॉस किसी शेयर या सूचकांक का वह मूल्य होता है, जिस पर पहुंचने के बाद सौदे बंद कर दिये जाते हैं।[1] वित्तीय बाजार में किसी भी खरीदे जाने वाले शेयर के भाव के ऊपर जाने की संभावना भी होती है और नीचे जाने की आशंका भी बनी रहती है। शेयर का भाव यदि नीचे गिरने लगता है तो वह काफी नीचे पहुंच सकता है। अतएव शेयर क्रय करते समय ही इसके स्टॉप लॉस को तय किया जाता है। उदाहरणतः यदि सौ रूपए का शेयर लिया गया है, तो ९५ या ९० रूपए आने पर बेच दिया जाए। इससे अधिक नीचे भाव पहुंचने पर भी इसे किस कीमत तक रखना है, या बेचना है; यही स्टॉप लॉस होता है।[2] अनुभवियों के अनुसार शेयर खरीदते समय ही स्टॉप लॉस के बारे में तय कर लेना अधिक लाभप्रद रहता है। यह सुविधा ब्रोकर के कंप्यूटर में उपलब्ध होती है। सफ़ल एवं अनुभवी स्टॉक निवेशक रिटर्न का अनुमान और स्टॉप लॉस पर सदा ही गृद्ध-दृष्टि बनाये रखते हैं।[3] स्टॉप लॉस को स्टॉप ऑर्डर भी कहा जाता है।

किसी शेयर के बढ़ते हुए भाव के आंकड़ों की सारणी में जिस स्थान पर शेयर-भाव ट्रेंड लाइन को काट कर नीचे की ओर जाए, वहीं उस शेयर का स्टॉपलॉस होता है।[1] इसी तरह मंदी के सौदों में भाव जहां ट्रेंड लाइन को काटकर ऊपर आ जाए, वहीं उन सौदों का स्टॉपलॉस होता है। जब स्टॉपलॉस को भाव के साथ बढ़ाया या घटाया जाता है, तो उसे ट्रेलिंग स्टॉपलॉस कहते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं:

  • क्रय रोक आदेश या बाय स्टॉप ऑर्डर
  • विक्रय रोक आदेश या सेल स्टॉप ऑर्डर
  • व्यापार रोक सीमा आदेश या स्टॉप लिमिट ऑर्डर
  • ट्रेलिंग लिमिट ऑर्डर
  • ट्रेलिंग स्टॉप लिमिट ऑर्डर
  • ट्रेलिंग स्टॉप ट्रेलिंग लिमिट ऑर्डर

टॉप और बॉटम

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बाजार में चढ़ते हुए शेयर के भाव का ग्राफ़ जहां से नीचे की ओर मुड़ता है, उस स्थिति या स्थान को टॉप या शीर्ष कहते हैं। इसी तरह गिरते हुए भाव में ग्राफ़ जहां से चढ़ना शुरू कर देता है, वहीं बॉटम कहलाता है। तकनीकी विश्लेषण में टॉप और बॉटम का बड़ा महत्व होता है। यदि किसी चार्ट में हर अगला टॉप और बॉटम क्रमश: पिछले टॉप और बॉटम से ऊंचा हो, तो शेयर या सूचकांक तेजी के दौर में कहलाता है। इसी तरह किसी चार्ट में हर अगला टॉप और बॉटम क्रमश: पिछले टॉप और बॉटम से नीचे हो, तो शेयर या सूचकांक मंदी के दौर में माना जाता है।[1]

रुझान रेखा

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शेयर के भाव के बार चार्ट में किसी शेयर के हर दिन के उच्चतम और न्यूनतम भावों को एक सीधी रेखा से जोड़ने पर जो रेखा मिलती है, रुझान रेखा या ट्रेंड लाइन कहलाती है। गिरते हुए शेयर की ट्रेंड लाइन उस शेयर के उच्चतम भाव से लाइन खींचते हैं, जबकि चढ़ते हुए शेयर की ट्रेंड लाइन खींचने के लिए न्यूनतम भाव से लाइन खींची जाती है।[1] बेहतर परिणाम हेतु किसी एक दिन के उच्चतम या न्यूनतम भाव की जगह कई दिनों के उच्चतम या न्यूनतम भावों के घनत्व वाले क्षेत्रों से रेखा खींची जाती है। व्यापार रेखा निवेशकों के लिए अत्यंत सहायक होती है, जिसे अंग्रेजी में ट्रेंड इज द बेस्ट फ्रेंड भी कहते हैं। ट्रेंड टूटने का अर्थ होता है कि शेयर की चाल की दिशा बदलने वाली है। यानी अगर शेयर भाव गिर रहा हो और एकाएक शेयर की कीमतें ऊपर से खींची गई रुझान रेखा को काटकर ऊपर की ओर आने लगें, तो समझना चाहिए कि बढ़त शुरू होने वाली है। इसके उलट अगर चढ़ते हुए शेयर या इंडेक्स के निचले भाव से खींची गई रुझान रेखा कीमतों के ऊपर जाने लगे, तो तेजी के सौदे काट लेने चाहिए।

विश्लेषण

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रिटर्न पर नज़र रखने और मिलने वाले का अनुमान लगाने से निवेशक को वित्तीय लक्ष्यों की जानकारी मिलने पर लाभ-वसूली सरल हो जाती है। यह इस निर्णय को आसान बनाता है कि निवेशक को किसी कारोबार विशेष में निवेश करना लाभप्रद है या नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि रिटर्न - जोखिम अनुपात पक्ष में नहीं है तो वह कारोबार नहीं करना चाहिये।[3] जैसे, यदि १०० रुपए के लक्ष्य के साथ ९० रुपए का कोई शेयर खरीदते हैं और स्टॉप लॉस ७५ रुपए से नीचे है तो रिटर्न-जोखिम अनुपात पक्ष में नहीं है। इस मामले में लक्ष्य कीमत पर शेयर बेचने के बाद १० रुपए प्रति शेयर के प्रत्याशित लाभ के लिए १५ रुपए प्रति शेयर की हानि नुकसान उठाने को तैयार हैं। इस तरह से रिटर्न की तुलना में जोखिम अधिक है और समझदारी है कि इस शेयर में पैसा न लगाएं। इस प्रकार स्टॉप लॉस्द की जानकारी निवेश करना तय करने में अत्यंत सहायक होती है। अधिकांश विश्लेषकों को लगता है कि ट्रेडरों को जोखिम सहने की क्षमता के आधार पर स्टॉप लॉस तय करना चाहिए।

  1. टॉप और बॉटम क्या होते हैं?[मृत कड़ियाँ]। लाभलक्ष्मी.कॉम
  2. स्टॉप लॉस[मृत कड़ियाँ]। हिन्दुस्तान लाइव। ७ दिसम्बर २००९
  3. Archived 2009-03-25 at the वेबैक मशीन। नवभारत टाइम्स। २१ मार्च २००९। इकनॉमिक टाइम्स

बाहरी कड़ियाँ

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