रुपया
रुपया (रु॰) (हिंदी और उर्दू: रुपया, संस्कृत: रूप्यकम् से उत्प्रेरित जिसका अर्थ चांदी का सिक्का है) भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस और सेशल्स में उपयोग मे आने वाली मुद्रा का नाम है। प्रबुद्ध इंटरटेनमेंट नेचुआ जलालपुर गोपालगंज बिहार द्बारा जन मानस को रुपया की महता को दर्शाते हूए " रूपया' टेली फिल्म भोजपुरी का निर्माण किया है।इंडोनेशिया की मुद्रा को रुपिया जबकि मालदीव की मुद्रा को रुफियाह, के नाम से जाना जाता है जो असल मे हिन्दी शब्द रुपया का ही बदला हुआ रूप है। भारतीय और पाकिस्तानी रुपये मे सौ पैसे होते हैं (एक पैसा) में, श्रीलंकाई रुपये में १०० सेंट, तथा नेपाली रुपये को सौ पैसे या चार सूकों (एकवचन सूक) या दो मोहरों (एकवचन मोहर) मे विभाजित किया जा सकता है।
नामकरण विक्कीतिवारी
संपादित करें2000"रुपया" शब्द का उद्गम संस्कृत के शब्द रुप् या रुप्याह् मे निहित है, जिसका अर्थ कच्ची चांदी होता है और रूप्यकम् का अर्थ चांदी का सिक्का है। कालांतर मे पूरे उपमहाद्वीप मे मौद्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए तीनों धातुओं के सिक्कों का मानकीकरण किया गया।
मूल्य
संपादित करें‘रुपया’ आज तक प्रचलन मे है। भारत मे ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन मे रहा, इस दौरान इसका वजन ११.६६ ग्राम था और इसके भार का ९१.७% तक शुद्ध चांदी थी। १९वीं शताब्दी के अंत मे रुपया प्रथागत ब्रिटिश मुद्रा विनिमय दर, के अनुसार एक शिलिंग और चार पेंस के बराबर था वहीं यह एक पाउंड स्टर्लिंग का १ / १५ हिस्सा था।
उन्नीसवीं सदी मे जब दुनिया में सबसे सशक्त अर्थव्यवस्थायें स्वर्ण मानक पर आधारित थीं तब चांदी से बने रुपये के मूल्य मे भीषण गिरावट आयी। संयुक्त राज्य अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय उपनिवेशों में विशाल मात्रा मे चांदी के स्रोत मिलने के परिणामस्वरूप चांदी का मूल्य सोने के अपेक्षा काफी गिर गया। अचानक भारत की मानक मुद्रा से अब बाहर की दुनिया से ज्यादा खरीद नहीं की जा सकती थी। इस घटना को ‘रुपए की गिरावट "के रूप में जाना जाता है।
मूल्य वर्ग
संपादित करेंपहले रुपए (११.६६ ग्राम) को १६ आने या ६४ पैसे या १९२ पाई में बांटा जाता था। रुपये का दशमलवीकरण १८६९ में सीलोन (श्रीलंका) में, १९५७ में भारत मे और १९६१ में पाकिस्तान में हुआ। इस प्रकार अब एक भारतीय रुपया १०० पैसे में विभाजित हो गया। भारत में कभी कभी पैसे के लिए नया पैसा शब्द भी इस्तेमाल किया जाता था। भारत मे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा जारी की जाती है, जबकि पाकिस्तान मे यह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के द्वारा नियंत्रित होता है।
असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली असमिया और बांग्ला भाषाओं में, रुपये को टका के रूप में जाना जाता है और भारतीय बैंक नोटों पर भी इसी रूप में लिखा जाता है। भारत और पाकिस्तान की मुद्रा १, २, ५, १०, २०, ५०, १००, २००, ५०० और २००० रुपये के मूल्यवर्ग में जारी की जाती है, वहीं पाकिस्तान मे ५००० रुपये का नोट भी जारी किया जाता है। रुपये की बड़ी मूल्यवर्ग अक्सर लाख (१,००,०००) करोड़ (१,००,००,०००) और अरब (१,००,००,००,०००) रुपए में गिने जाते हैं।
भारतीय रुपये का प्रतीक चिह्न
संपादित करेंवर्ष २०१० में भारत सरकार द्वारा एक रुपये के लिये प्रतीक चिह्न निर्धारित करने हेतु एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया[1]। जूरी द्वारा सभी प्रविष्टियों में से पाँच डिजाइनों को चुना गया[2] जिनमें से अन्तिम रूप से आइआइटी के प्रवक्ता उदय कुमार के डिजाइन[3] को चुना गया।