लखनादौन

लखनादौन का संक्षिप्त परिचय

लखनादौन (जाहिलाबाद के नाम से भी जाना जाता है) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी ज़िले में स्थित एक छोटा सा शहर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। व जनपद पंचायत का मुख्यालय भी है, लखनादौन सागौन (टीक) और तेन्दु के उत्पादन के लिए जाना जाता है और यहाँ का खोया भी प्रसिद्ध है।[1][2]

लखनादौन
Lakhnadon
लखनादौन is located in मध्य प्रदेश
लखनादौन
लखनादौन
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 22°36′N 79°36′E / 22.60°N 79.60°E / 22.60; 79.60निर्देशांक: 22°36′N 79°36′E / 22.60°N 79.60°E / 22.60; 79.60
देश भारत
राज्यमध्य प्रदेश
ज़िलासिवनी ज़िला
ऊँचाई607 मी (1,991 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल17,302
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
दूरभाष कोड07690

लखन कुंवर जी महाराज

लखनादौन एक नगर, तहसील, विधानसभा क्षेत्र और नगर पंचायत है। यह सिवनी से 61 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा की ओर लखनादौन-नागपुर -जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रंमाक 34 पर स्थित है। यहाँ की भौगोलिक स्थति 22.33 उत्तरी अक्षांश से 22.58 उत्तरी अक्षांश तथा 79.17 पूर्वी देशातंर से 79.44 पूर्वी देशांतर के मध्य लगभग 3602.80 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ आबाद ग्रामों की संख्या लगभग 445 है। यहाँ का जनसख्या घनत्व 121 प्रति वर्ग किलोमीटर है। सन् 1914 में लखनादौन को तहसील का दर्जा मिला जिसका कार्यालय लखनादौन नगर पर संचालित किया गया है। यह भारत वर्ष की 100 वर्ष पुरानी एकमात्र तहसील है।

मध्यप्रदेश के सतपुडा पठार में सिवनी जिला के उत्तर में स्थित लखनादौन पठार एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र लखनादौन, घंसोर, धनौरा एवं छपारा विकासखण्ड के क्षेत्र सम्मिलित है। यहाँ का अधिकांश भाग सघन वन क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ फैला हुआ है। लखनादौन नगर सतपुड़ा पर्वत के दक्षिणी छोर के आंचल में एवं नर्मदा नदी के बेसिन में बसा हुआ है।

लखनादौन बहुत प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है, कहा जाता है कि लखनादौन को राजा " लखनकुवंर" ने बसाया था। इस आधार पर इस नगर को लखनादौन के नाम से जाना जाता है। यहाँ पुराने मंदिरों और इमारतों के अवशेष मिलते है। लखनादौन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर सोनटोरिया नाम की टेकरी है, उसके आस-पास सुलेमानी गुरिया नाम के पत्थर अधिक मात्रा में पाये गये है। लखनादौन के शिलालेख नागपुर संग्रहालय में रखे गये है, इनमें विक्रम दुबे का नाम लिखा है। वहीं दूसरी और यह कृषि से आश्रित है यहाँ की धरती से,उपजा 'अनाज'देश के कोने-कोने तक पहुंचता है! जहाँ पर प्रमुख रूप से मक्का,मूंगफली और धान का 'उत्पादन' अपार होता है!तो वहाँ के 'व्यापारियों'का भी,देश की 'अर्थव्यवस्था'में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साहू,बनिया,जैन जैसी समाज का'उत्पादन व व्यापार' के क्षेत्र में हमेशा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वहाँ के 'नागरिकों' का राजा लखन कुंवर 'से गहरा नाता था। अंग्रेजों द्वारा 'लखनादौन' का नामकरण किया गया था। यहाँ घूमने के लिए मुख्य स्थान सिद्धबाबा का मंदिर जो कि शहर से लगभग 2 किमी मण्डला रोड में स्थित है। इसके अलावा यहाँ शिव जी का बहुत दुर्लभ एवं प्राचीन मंदिर स्थित है जो कि लगभग शहर से 8 किमी दूर जंगल मे स्थित है, स्थानीय लोगो द्वारा इस मंदिर का नाम मठघोघरा दिया गया है, जो कि सतह से लगभग 250 फ़ीट भूमि से नीचे बना हुआ है।

दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थल

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  • समुंदराजा
  • मठघोघरा
  • पायली सरोवर
  • गुढ़ी की गुफा
  • कोठी घाट
  • आदेगाँव का किला
  • वनविद्यालय
  • सिद्ध बाबा मंदिर
  • जैन मंदिर समनापुर
  • चिलाचोन्द बांध
  • 'प्रकृति'दर्शन बाम्हनवाड़ा

प्रमुख धार्मिक स्थल

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  • बंजारी
  • गायत्री मंदिर
  • जैन मंदिर
  • राम मंदिर
  • दुर्गाम्बा मंदिर पावर हाउस
  • खैरमाई मंदिर
  • संकटमोचन हनुमान मंदिर पावर हाउस
  • काल भैरव मंदिर सेैलुआ
  • बालात्रिपुर सुंदरी माता मंदिर गनेशगंज
  • सिध्द बाबा सेैलुआ
  • काल भैरव मंदिर आदेगाँव
  • दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर कृषि फार्म
  • भोलेनाथ पहाड़ी तिराहा
  • 'शिवमंदिर'दीनाराम साहू मार्ग-बाम्हनवाड़ा
  • साढदेव का मेला
  • रिक्षारिया देव का मेला
  • रामनगरी मेला
  • सिध्दबाबा मेला भाईसनवाही
  • भीमगढ बांध
  • चीलाचौँद बांध
  • इमलिया बांध
  • केवलारी बांध

सामाजिक गांव

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आपातकालीन सेवा

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