वादियुल क़ुरा का दूसरा अभियान
वादियुल क़ुरा का दूसरा अभियान इस्लामिक कैलेंडर के 6 हिजरी (जनवरी, 628 सीई) के नौवें महीने में हुआ। अभियान का नेतृत्व ज़ैद बिन हारिसा या अबू बक्र ने किया था। एक घात के बदले में बानू फजरा समूह के खिलाफ ऑपरेशन किया गया था। जायद इब्न हरिता के नेतृत्व में 12 के एक समूह ने शत्रुतापूर्ण जनजातियों के हमलों के खिलाफ मदीना के आसपास की रक्षा की। पार्टी पर रात के समय सोते समय हमला किया गया, नौ मुसलमान मारे गए और ज़ैद इब्न हारिस खुद बुरी तरह घायल होने के बाद भाग निकले।
पृष्ठभूमि
संपादित करेंजायद इब्न हारिस सीरिया के लिए एक व्यापारिक अभियान पर गए थे और उनके साथ मुहम्मद (pbuh) के साथियों के लिए माल था। जब वह सीरिया में वाडियाल कुर पहुंचे, तो उन्होंने बनू बद्र के फज्र जनजाति के एक समूह को देखा। उन्होंने उसके साथियों पर हमला किया और उनका सब कुछ (सामान) छीन लिया।
उनके कुछ साथी मारे गए और वे स्वयं घायल हो गए। ज़ायद ने अनुष्ठान शुद्धता के लिए अपना सिर नहीं धोने की कसम खाई थी (जिसका अर्थ है कि उसने संभोग से दूर रहने की कसम खाई थी) जब तक कि वह फज़ारा के लोगों से नहीं लड़ता।
जवाबी हमला
संपादित करेंचोटों से उबरने और सुबह की प्रार्थना करने के बाद, टुकड़ी को दुश्मन के खिलाफ आगे बढ़ने का आदेश दिया गया। उसने वादी अल-कुरा में उन पर हमला किया और अल-क़ुरा में कई लोगों को मार डाला। उनमें से कुछ मारे गए और अन्य को पकड़ लिया गया। कुल मिलाकर, 30 घुड़सवार मारे गए। अल-कुरा का नेतृत्व उम्म किरफा नाम की एक बूढ़ी महिला ने किया था।
वह उमयना की मौसी उम्म किरफा को वापस मुहम्मद (pbuh) के पास ले गया। जायद ने उम्म किरफा की बेटी को भी पकड़ लिया और उसे मुहम्मद (pbuh) के पास ले गए। उसने उसे मुस्लिम कैदियों के बदले मेकानियों को सौंप दिया। - साहिह मुस्लिम हदीस संग्रह के अनुसार।
इस्लामिक स्रोत
संपादित करेंइस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि यह सरिय्या हज़रत अबू बक्र सिद्दीक रजि० या हज़रत ज़ैद बिन हारिसा के नेतृत्त्व में रमज़ान 06 हि० में रवाना किया गया। इस की वजह यह थी कि बनू फ़ज़ारा की एक शाखा ने धोखे से अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कत्ल करने का प्रोग्राम बनाया था. इसलिए आप ने हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० को रवाना फ़रमाया। हज़रत सलमा बिन अकवअ रजि० का बयान है कि इस झड़प में मैं भी आप के साथ था। जब हम सुबह की नमाज़ पढ़ चुके तो इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद के आदेश पर हम लोगों ने छापा मारा और सोते पर धावा बोल दिया। अबू बक्र सिद्दीक रज़ि० ने कुछ लोगों को कत्ल किया। मैंने एक गिरोह को देखा, जिस में औरतें और बच्चे भी थे। मुझे डर हुआ कि कहीं ये लोग मुझ से पहले पहाड़ पर पहुंच जाएं। इसलिए मैंने उनको पकड़ने की कोशिश की और उनके और पहाड़ के दर्मियान एक तीर चलाया। तीर देख कर ये लोग ठहर गए। इनमें उम्मे करफा नामी एक औरत थी, जो एक पुरानी पोस्तीन ओढ़े हुए थी। उसके साथ उसकी बेटी भी थी जो उस की सबसे खूबसूरत औरतों में से थी। मैं उन सब को हांकता हुआ अबू बक्र सिद्दीक रज़ि० के पास ले आया। उन्होंने वह लड़की अता की। मैंन उसका कपड़ा तक न खोला था कि बाद में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह लड़की सलमा बिन अकवअ से लेकर मक्का भेज दी और उस के बदले वहां के कई मुसलमान कैदियों को रिहा करा लिया।"
उम्मे करफा एक शैतान सिफ़त औरत थी, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हत्या के उपाय किया करती थी और इस उद्देश्य के लिए उसने अपने परिवार के तीस घुड़सवार भी तैयार किए थे, उसके तीसों सवार मारे गए।[1]
सराया और ग़ज़वात
संपादित करेंअरबी शब्द ग़ज़वा [2] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[3] [4]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या वादियुल कुरा". पृ॰ 674. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
- ↑ Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
- ↑ siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
- ↑ ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Ar Raheeq Al Makhtum – The Sealed Nectar ( Biography Of The Noble Prophet)
- अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)