वार्ता:आषाढ़ का एक दिन
Latest comment: 3 वर्ष पहले by Shubham8p in topic नाटककार की टिप्पणी
नाटककार की टिप्पणी
संपादित करेंअपने दूसरे नाटक ("लहरों के राजहंस") की भूमिका में मोहन राकेश नें लिखा कि "मेघदूत पढ़ते हुए मुझे लगा करता था कि वह कहानी निर्वासित यक्ष की उतनी नहीं है, जितनी स्वयं अपनी आत्मा से निर्वासित उस कवि की जिसने अपनी ही एक अपराध-अनुभूति को इस परिकल्पना में ढाल दिया है।" मोहन राकेश ने कालिदास की इसी निहित अपराध-अनुभूति को "आषाढ़ का एक दिन" का आधार बनाया। Shubham8p (वार्ता) 09:35, 13 जुलाई 2021 (UTC)