विकिपीडिया:वार्ता दिशानिर्देश
ये पन्ना हिंदी विकिपीडिया के एक दिशानिर्देश के बारे में है। ये एक मानक है जिसका पालन सभी संपादकों को आमतौर पर करना चाहिए। इसमें बदलाव तभी किया जाना चाहिए जब इसपर सदस्यों में आम सहमती बनी हो। |
विकिपीडिया पर अनेक स्थानों पर सम्पादक आपस में वार्ता कर सकते हैं। इस वार्ता का उद्देश्य विकिपीडिया के किसी भी पहलू से सम्बन्धित हो सकता है। वार्ता आम तौर पर निम्न स्थानों पर होती है:
वार्ता
नामस्थान: किसी भी लेख से सम्बन्धित वार्ता उसके वार्ता पृष्ठ पर होती है। लेख के वार्ता पृष्ठ पर जाने के लिये "संवाद" पर क्लिक करें।- चौपाल: चौपाल वह स्थान है जहाँ विकिपीडिया से सम्बन्धित ऐसे विषयों पर चर्चा होती है जो किसी एक विषय अथवा समूह तक सीमित नहीं हैं अपितु सभी सम्पादकों से सम्बन्धित हैं।
- सदस्य वार्ता पृष्ठ: सदस्य वार्ता पृष्ठों के प्रयोग सदस्यों से बात करने के लिये होता है। हर सदस्य का अपना अलग वार्ता पृष्ठ होता है।
इन सभी स्थानों पर वार्ता करते समय सदस्यों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये:
- सभ्य रहें: वार्ता हमेशा सभ्य तरीके से की जानी चाहिये। कभी किसी सदस्य को बुरा भला ना कहें।
- नवागुन्तकों का स्वागत करें: नये सदस्यों से वार्ता करते समय यह ध्यान रखें कि वे अभी नये हैं और उन्हें विकिपीडिया की नीतियों का ज्ञान नहीं है। वे जाने-अनजाने में कुछ नीतियों अथवा दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर सकते हैं। ऐसे में पुराने सदस्यों से ये अपेक्षा है कि वे नये सदस्यों को उनकी गलती धैर्य सहित समझायें, और उनकी गलती ठीक भी करें। नये सदस्यों को उनकी गलतियों के लिये डाँटना नहीं चाहिये, अपितु उन्हें नीतियाँ समझाई जानी चाहियें।
- वार्ता का प्रयोग सोशल नेटवर्किंग के लिये बिल्कुल न करें। विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोश बनाने की परियोजना है। ऐसे में यद्यपि अन्य सदस्यों को जानने की कोशिश करना अच्छी बात है, परन्तु हमेशा यह ध्यान रखें कि संगठन का प्रथम उद्देश्य ज्ञानकोश बनाना है, परस्पर बातें करना नहीं।
- हिन्दी का प्रयोग करें: जहाँ तक हो सके हिन्दी विकिपीडिया पर वार्ता के लिये आम बोलचाल की हिन्दी भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिये ताकि अन्य सभी सदस्य वार्ता को आसानी से समझ सकें।
- तर्क बिल्कुल न दोहरायें: किसी भी विषय पर चर्चा करते समय यदि तर्क दोहराये जायें या कुतर्क किये जायें, तो चर्चा आगे नहीं बढ़ पाती, उल्टे लिखने और पढ़ने वालों का समय व्यर्थ होता है। अतः किसी भी चर्चा में कोशिश यह की जानी चाहिये कि कोई भी तर्क केवल एक ही बार दिया जाये।
- तर्क विषय पर दें, सदस्य के बारे में नहीं: किसी भी विषय पर चर्चा करते समय इस बात का ध्यान रखें क्योंकि दूसरे पक्ष के सदस्यों के व्यवहार के सम्बन्ध में दिये गये तर्क विषय की चर्चा में कोई लाभ नहीं पहुँचाते। किसी भी सदस्य के पूर्वाग्रह ग्रस्त हो जाने पर एक अच्छे लेख की हानि हो सकती है।