वार्ता:इस्लाम की आलोचना
मै इस प्रकार के लेख (इस्लाम की आलोचना) निर्माण को बेकार और बकवास मानता हूँ । इस प्रकार के लेख, मै समझता हूँ कि भारतीय परम्परा के अनुरूप नही हैं । अन्य लेखको की राय क्या है हम जानाना चाहते हैं । आप इस पर अपनी टिप्पणी देने की कृपा करें । --राजीवमास ०८:४०, ९ अक्तूबर २००९ (UTC)
- क्या आपका मतलब है कि भारतीय परम्परा है - गुलामी, शुतुर्मुर्गी संस्कृति और सच्चाई से मुंह फेरना?
- राजीव जी की बात सही है कि हमारी भारतीय परंपरा किसी की बुड़ाई करना नहीं है। पर आलोचना का मतलब उसके सही एवं गलत दोनों ही पहलुओं को देखना है। हिन्दी को छोड़ भी दें तो अन्य ११ भाषाओं की विकिपीडिया में इस पर लेख है।--Munita Prasadवार्ता ०९:०४, ९ अक्तूबर २००९ (UTC)
देखिए यह आपका मत है कि भारतीय परम्परा गुलामी, शुतुर्मुर्गी संस्कृति और सच्चाई से मुंह फेरना है। (माफ् किजिए लेकिन यह तथ्य आपकी मानसिकता दर्शाता हैं) मै यह समझता हुँ कि इस प्रकार के लेखक अधुरे ज्ञान को लेकर चलते हैं । मै यहाँ भारतीय परम्परा का बखान नही कर रहा । निवेदन केवल इतना है कि इस प्रकार के लेख एक गलत चलन को बढाएगें । आलोचना करने का भी अपना तरीका होता हैं । देखने में आता है कि एक माँ अपने बच्चे को तब तक क दूध नही पिलाती जब तक वह रोता नही हैं अब क्या आप किसी माँ की आलोचना करेंगे कि वह बच्चे को रोने देती हैं पिर उस पर दया दिखाती हैं ? अगर आपके मन मैं खुद गलत भावना है तो आप किसी की भी आलोचना कर सकते हैं । अगर आप फिर भी लिखने को आतुर है तो हैं तो एक काम करे इस्लाम की एक प्रथा जैसी हिन्दूओं मै जाति प्रथा, सती प्रथा, नर बली प्रथा, देव-दासी प्रथा, दहेज प्रथा, होती हैं, वैसी ही खोजे किनकी वजह से एक मानव का सदियों से सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शारीरिक, शोषण होता आया हैं, और आज भी होता हैं । आप उस पर लेख बनाए, पूरे इस्लाम को ही गलत ठहरअने की क्या जरूरत हैं । कल अगर आप जैसा कोई आजाद यहाँ आ गय तो कुछ दिनो एक लेख आ सकता है हिन्दू की आलोचना फिर पाकिस्तान की आलोचना, फिर ?? की आलोचना !!!!!!!!! हो गया लेखन । देखिए जो गलती ११ भाषाओं में हो रही है उसे हम क्यों करें ? क्या और कुछ नही बचा लिखने को । --राजीवमास ११:३१, १३ अक्तूबर २००९ (UTC)
- राजीवमास जी, लगता है कि "आलोचना" शब्द आप पहली बार सुन रहे हैं। आलोचना अपने-आप में एक बहुत प्रतिष्ठित और पुरानी प्रथा है। इससे चीजों का दूसरा पक्ष सामने आता है। जाति प्रथा में कोई बुराई है तो उसकी आलोचना नहीं की जायेगी? साम्राज्यवाद की आलोचना पर लेख नहीं लिखे जा सकते? 'पूंजीवाद' और साम्यवाद की आलोचना करना क्या पाप है? विकिपिडिया पर केवल इस्लाम की आलोचना ही नहीं है; इस तरह के हजारों आलोचनात्मक लेख हैं। हजारों लेख ऐसे हैं जिन पर भारी विवाद है लेकिन इनको हटाने का महान सुझाव शायद ही कहीं और दिया जाता हो।अनुनाद सिंह ०६:५६, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- राजीवमास जी, क्या आपने उपर लिखा है वह आपकी मानसिकता है या किसी और की? (माफ् किजिए लेकिन यह तथ्य आपकी मानसिकता दर्शाता हैं) कहीं आप 'व्यक्तिगत हमला' तो नहीं कर रहे हैं? हिन्दी विकि के 'महाप्रबन्धक' श्री सुमित सिन्हा से कह दूँगा। आपके विरुद्ध सख्त कार्यवाही हो सकती है। (वैसे, यह 'तथ्य' क्या चीज होती है?) अनुनाद सिंह ०८:०७, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- ओह आप है अनुनाद जी , नमस्ते, आपने हस्ताक्षर नही दिए तो मै जान नही पाया । प्रिय, मुझे लगता है कि आप मेरी उपरोक्त संवाद का अर्थ जान गए है, लेकिन क्योकी आपने इस लेख में योगदान दिया है इस कारण शायद लम्बे संवाद करने के बाद ही अपना मन बदलेंगें । अनुनाद जी, मै आपके लेखन का कायल हुँ, मैने आपके ही सानिध्य में रहकर विकिपिडीया के समझा और जाना । जहाँ तक इस्लाम की आलोचना नामक लेख का प्रशन है । आपने ठीक कहा कि मेरा विवाद आलोचना शब्द से ही है । पहली बात तो आलोचना सीधे-सीधे करना ठीक नही । आपका एक वेज्ञानिक और मानविय गुणों पर आधारित एक सटीक आलोचनात्मक पहलू होना चहिए । आलोचना के मुख्य बिन्दु जो इस लेख में दिए गए है उसके अनेक बिन्दु हास्यास्पद हैं जैसे हाल के दिनों में इस बात के लिये इस्लाम की आलोचना हुई है कि मुसलमान पश्चिमी देशों के समाज में घुल-मिल पाने में अक्षम रहे हैं। एवं अन्य । अनुनादजी, पूंजीवाद और साम्यवाद लोगो की आर्थिक वैचारिकता से जुडा है जब्की धर्म लोगो के मन से जुडा होता हैं । आपने मेरे उपर के संवाद के हर पहलु पर टिप्प्णी की लेकिन मेरे माँ के और बच्चे के उदाहरण पर आलोचनात्मक टिप्पणी नही दी क्यों ? क्योकी वो आपके मन से जुडा है आपके ही नही वरन हम सब के मन से जुडा हैं । अगर विकिपिडीया पर हजारों लेख ऐसे हैं जिन पर भारी विवाद है तो हम हिन्दी विकिपिडीया को तो इस विवाद से दूर रख सकते हैं, वास्तव में यह लेख ना होकर एक वर्ग विशेष के विरोध में किया गया एक बिना सिद्ध किए झूठ का पुलिंदा भर हैं । आप ज्ञानी है अपने आलोचना करने के आयाम को बदलिए । बाकी आप मुझसे क्ष्रेष्ठ है जो आप सोचेंगे ठीक ही होगा ।--राजीवमास ०८:४९, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- मैं समझ रहा हूँ कि आप मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हैं। रही बात "बच्चे और माँ वाला उदाहरण" तो मुझे लगता है कि मौजूदा स्थिति के लिये यह सटीक उदाहरण नहीं है। (बुरा मत मानियेगा)। यह कहना कि दूसरी विकिपिडिया (या दूसरे लोग) क्या करते हैं उससे हमें कोई मतलब नहीं - यह तर्क के परे है। क्या आप अंग्रेजी और जर्मन वाला संगत लेख मिटा पायेंगे? ये मत कहियेगा कि वे लोग नासमझ हैं तो हम भी क्या उनके जैसा बन जायेंगे? रही बात मिटाने की, आप को मैं क्या बताऊँ कि मिटाने के अतिरिक्त बहुत से और भी बेहतर विकल्प हैं - कुछ शब्दों, वाक्यों या अंशों को सुधारना/बदलना; कुछ चुने हुए अंशों को हटाना; "तथ्य चाहिये" या इसी तरह के फ्लैग लगाना आदि। बाकी, मेरा क्या है? इस लेख को आप नहीं हटायेंगे तो अपने सुमित भिया तो हटा ही देंगे। अनुनाद सिंह ०९:१९, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- ठीक अनुनाद जी, मै आपका समर्थन कर हुँ। लगता है अम दोनो एक ही पटरी पर आते जा रहे हैं । आप इस लेख को शिर्षक इस्लाम की आलोचना को बदल कर कोई दूसरा शिर्षक दे दें जो दिल को कम दुखे: और लगे कि हिन्दी विकिपिडीया किसी धर्म विशेष की आलोचना नही कर रहा बल्कि तत्कालीन समय में उस्का मुल्यांकन एक मानविय परिवेष में कर रहा है । धीरे-धीरे हम सब मिल्कर इसके लेख को भी एक सही आलोचनात्मक पहलु में बदल सकते हैं । आपको दिपावली की हर्दिक शुभकामानाँएं --राजीवमास ०९:३६, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- आप दोनों ही भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। राजीव जी बस एक बात कहनी थी एवं आपसे ही कहनी थी क्योंकि अनुनाद जी बहुत ही वरिष्ठ विकिपीडियन हैं एवं वे इस बात को समझते भी हैं। मैं लेख के अंदर क्या लिखा है उसके बारे में नहीं कहना चाहती हूँ। लेख के शीर्षक में आलोचना शब्द का व्यवहार हुआ है जिस आलोचना शब्द का अर्थ आप नहीं समझ रहे हैं। आलोचना का अर्थ गुण दोष निरुपण करना या गुण दोष की परख है। बाकी आपलोग लगे रहिए ईश्वर करें इसी प्रकार स्वस्थ आलोचना एवं वार्ता हो जिससे हमारी प्रिय हिन्दी विकिपीडिया में उच्च स्तरीय अच्छे लेख लिखे जाएँ।--Munita Prasadवार्ता ११:०६, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- राजीवमास जी, मैं इस लेख का नाम बदलने के बारे में कुछ विचार किया किन्तु मुझे कुछ भी विकल्प नहीं सूझा। इसमें दो ही शब्द हैं और दोनो ही मुझे सार्थक लग रहे हैं। आप को यदि कुछ सूझे तो अवश्य प्रस्तावित करें। आपको भी दीप-पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! अनुनाद सिंह ११:३७, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
लेख ठीक है
संपादित करेंमैंने पूरी चर्चा पढ़ी और मुझे लगता है की "इस्लाम की आलोचना" वाले लेख में कोई बुराई नहीं है, बल्कि इसमें और भी विस्तार करके इसे अंग्रेज़ी और जर्मन विकियों के इसी नाम वाले लेखों के जितना लम्बा बना देना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह है की मुसलमानों ने ईसाइयों पर उतने अत्याचार नहीं किए जितने की हिन्दुओं पर और फिर भी हम इस लेख को अनावश्यक मानते है पता नहीं क्यों। और यह तर्क देना की यह हमारी परम्परा नहीं की किसी की आलोचना करें, यह समस्या का समाधान नहीं है। हम यह नहीं कह रहे की इस्लाम के विरुद्ध अघटित बातें लिखें लेकिन उन तथ्यों से तो मुख नहीं फेरा जा सकता ना जो घटित हुए हैं जैसे की बर्बर इस्लामी आततायियों द्वारा लाखों हिन्दुओं की हत्या जो आज भी पाकिस्तान और बंग्लादेश में जारी है। इस लेख में हमें अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं लिखनी है बल्कि इतिहास के तथ्यों को लिखना है की क्यों इस्लाम की आलोचना की जाती रही है। और यदि आप प्रमाण ही चाहते हैं तो अंग्रेज़ी विकि के इन लेखों को पढ़िए तो पता चल जाएगा, और फिर भी आप कहते है की ऐसे लेख नहीं होने चाहिए पता नहीं क्यों।
- en:Persecution of Hindus
- en:Negationism in India: Concealing the Record of Islam
- en:Muslim conquest in the Indian subcontinent
- en:The History of India, as Told by Its Own Historians. The Muhammadan Period
- en:Hindu Temples: What Happened to Them
- en:Muslim League Attack on Sikhs and Hindus in the Punjab 1947
- en:Anti-Hinduism
- en:Decline of Hinduism in Pakistan
और यह भी देखें
- Muslim Persecution of Hindus in India
- Persecution of Hindus in Bangladesh
- Stop Persecution Of Hindus Assert yourself - Hindus are 83 pct of India
- Wiki: Persecution of Hindus
हाँ हिन्दू धर्म और अन्य धर्मों की भी बुराइयों के विषय में लेख लिखे जा सकते है लेकिन यह एक एतिहासिक तथ्य है की पूरा का पूरा इस्लामी इतिहास आतताइयों से भरा हुआ है। इसलिए इस लेख में कोई बुराई नहीं है। रोहित रावत १६:१३, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
- मैं भी रोहित रावत जी के विचारों से सहमत हूँ। यह लेख एक ऐतिहासिक एवं सामाजिक सत्य है और इसके लिखे जाने में कोई बुराई नहीं। सर्व सम्मति से डिलीट वाला साँचा हटा दिया जाना चाहिए और इस लेख का समुचित विकास करना चाहिए।--Evian २१:५६, १६ अक्तूबर २००९ (UTC)
सभी सद्स्यों की बात जानते हुए "डिलीट" का टैग हटाया जा रहा हैं । सभी लेखको से आशा की जा रही है कि लेख आपसी सदभावना को बनाए रखते हुए तथ्यों पर आधारित होगा । साथ लेखको से निवेदन है कि सकारात्मक होकर इस प्रकार के लेखों का निर्माण करें, जिनसे लोगों की भावनाए जुडी होती हैं ।--राजीवमास ०७:४१, १९ अक्तूबर २००९ (UTC)
राजीवमास जी आदाब,मे खुद भी इस लेख को पडने से बहुत आहत हुआ हू।क्योकि हमे किसी के बारे मे आलोचना या तारिफ तभी करनी चाहिये जब हमे उस के बारे मे पुरी और सही जानकारी हो।इस्लाम मजहब के बारे मे पड़कर अपनी राय दे, यही आशा हे की हम आपस मे भाई-भाई की तरह रहे।इस देश और सारी दुनिया मे इन्सानियत की जित हो।जय हिन्द॥॥॥।(जावेद शाह् इन्दोर)१९:०५, २८ अक्तूबर २००९ (UTC)~~
लगाये गये टैगों का औचित्य
संपादित करेंइस लेख पर तीन टैग लगाये गये हैं। कृपया स्पष्ट करें कि यह लेख 'निबन्ध' कैसे है ; इतने सारे सन्दर्भों के होते हुए और इस विषय पर दूसरी भाषाओं में लेख होने के बावजूद 'मूलशोध' कैसे है; तथा कौन सा कथन इसे 'अतटस्थ' बना रहा है? ये टैग लगाने वाले के अपने विचार हैं या इन टैगों के उपयोग का विस्तार से कहीं वर्णन है --अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:47, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- अनुनाद सिंह जी, हमारी विकि पर व्यक्तिगत टिप्पणी अथवा निबंध के लिये एक ही टैग है। दूसरे आनुभाग की टिप्पणियाँ जिनके लिये यह नहीं बताया गया है कि ऐसा कौन कह रहा, कहाँ से सत्यापनीय है - उन्हें ध्यान से देखें। उदाहरण के लिये - "इस्लाम की आलोचना का बहुत बडा कारण यह भी है कि वो शांति के नाम पर हिंसा - हत्या - बलात्कार सहित दासता को लूटमार को बढावा देता है, इस्लामिक कानूनों यानि शरीयत में व्यक्ति (तथाकथित अपराधी) के सुधार का कोई रास्ता पूरा नहीं बल्कि रक्तपाती सजाओं व अंगभग सरीखे प्रावधानों की ही भरमार है जो पूरी तरह तब भी अमानवीय थे, बर्बर थे और अब सरासर अप्रांसगिक!" यह बात कौन कह रहा है? बाकायदा संबोधन चिह्न के साथ खत्म होने वाला यह वाक्य संदर्भ के अभाव में साफ़ व्यक्तिगत टिप्पणी की तरह प्रतीत हो रहा जो संपादक सदस्य का अपना मत भी हो सकता है।
इस तरह के कथन ही इसे मूल शोध भी बना रहे और गैर-तटस्थ भी। आनुभाग आलोचना के मुख्य बिंदु: इसमें गुणावगुण का विवेचन होना था, जबकि वर्तमान में केवल वही बिंदु गिनाए गये हैं (कुछ बिना किसी हवाले के) जो केवल नकारात्मक छवि को संपोषित करते हैं। केवल एक पक्ष दिखान तटस्थता नहीं। उचित वजन के साथ सभी पहलू शामिल होने चाहियें। इस्लाम के विचारक खुद इन आलोचनाओं पर क्या कहते हैं, यह भी शामिल होना चाहिये, और यदि समर्थकों और विरोधियों के अलावा किसी और व्यक्ति ने ऐकेडमिक रूप से इन आलोचनाओं पर विचार किया है तो वह भी शामिल होना चाहिये।--सत्यम् मिश्र बातचीत 06:38, 18 जनवरी 2016 (UTC)- टैगों के बारे में उन साँचों के प्रलेखन पृष्ठ देख सकते हैं, परन्तु इनकी स्थिति बहुतअच्छी नहीं और हो सकता है किसी टैग का प्रलेखन पन्ना मौजूद न हो। इसके लिये पृष्ठ बनाने और इन्हें एकत्र करने का उद्यम भी कर रहा हूँ। --सत्यम् मिश्र बातचीत 06:42, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- सत्यम मिश्र जी, आप खुद मान रहे हैं कि इन साँचों के प्रलेखन पृष्टों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। तो क्या टैग लगाने वाले 'अन्दाज से' टैग लगा रहे हैं? लेख का निर्माण करने वाला कैसे जानेगा कि इस लेख में जो टैग लगा है उसका ठीक-ठीक अर्थ क्या है और उसे क्या करना चाहिये? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:06, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: हर टैग का एक नाम है (सार्थक), टैग आमतौर पर एक या दो लाइनें भी जोड़ता है जो समस्या को सूचित करतीं हैं। ज्यादातर दशा में टैग में लगी लाइन किसी विकिनीति की कड़ी उपलब्ध कराती है (जहाँ ऐसा नहीं है वहाँ यह माना गया होगा कि टैग की लाइन समझदार के लिये काफ़ी है)। ज्यादातर प्रलेखन पन्नों पर इस्तेमाल के निर्देश भी हैं। यदि किसी में नहीं है तो उसे बनाया जाना चाहिये। जितनी जानकारी उपलब्ध है उसके आधार पर टैग लगाना अगर आपको अन्दाज से लगाना लगता है तो आप टैगों के बारे में आम चर्चा चौपाल पर कर सकते हैं। सुधार कर सकते हों तो और भी अच्छा है, स्वागत ! फिलहाल तो इस लेख में गिनाए गये सुधारों की आवश्यकता है ही।--सत्यम् मिश्र बातचीत 07:46, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, यदि सार्थक नाम से ही टैग का अर्थ समझने की बात कर रहे हैं तो 'निबन्ध' का अर्थ क्या होता है। विकि पर इस पर अनेकों भाषाओं में लेख हैं। क्या यहाँ निबन्ध' का वही अर्थ है? 'मूल शोध' का यहाँ अर्थ वही है जो विज्ञान में होता है? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 08:00, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- इसके अलावा, आप लिखते हैं- 'टैग आमतौर पर एक दो लाइनें भी जोड़ता है' - सही है। मूलशोध वाले टैग में ये लाइनें हैं- इस लेख की तटस्थता इस समय विवादित है। कृपया वार्ता पन्ने की चर्चा को देखें। इस केस में 'वार्ता पन्ने की चर्चा' कहाँ है? यदि नहीं है, तो इससे तो बहुत साफ है कि टैग लगाने वाले ने इस टैग के बारे में नहीं पढ़ा है और अन्दाज से या 'देखा-देखी' टैग लगा दिया।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 08:11, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, प्रश्न यह है कि लेख में मूल शोध अथवा अप्रमाणित दावे हैं या नहीं? आपने टैग पर आपत्ति की, मैंने आपको उदाहरण दिया कि कौन सा दावा अप्रमाणित है। आखिर मैंने कैसे ढूँढा? टैग देख कर मुझे यही तो ढूँढना था कि इसमें कहाँ वह समस्या है जिसे टैग सुधारने को कह रहा है। परेशानी कहाँ है?? --सत्यम् मिश्र बातचीत 08:32, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, समस्या इतनी आसान नहीं है। आप जिसे 'सार्थक शब्द' कह रहे हैं वे विकि के पारिभाषिक शब्द हैं। यदि इसकी असंदिग्ध परिभाषा नहीं दी गयी होगी तो एक ही चीज को आप कुछ समझेंगे, मैं कुछ और तीसरा कुछ और। आपने इसे मूल शोध तो घोषित कर दिया लेकिन किस परिभाषा के आधार पर मूल शोध है यह नहीं बताया? परिभाषा को 'कामन सेंस' और 'सार्थक शब्द' के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:40, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: उपरोक्त दशा में जहाँ आपको इन टैगों में लिखित शब्दावली के अर्थ पर संदेह है तो आप यथोचित जगह चर्चा करें। यह एक लेख का वार्ता पृष्ठ है। --सत्यम् मिश्र बातचीत 16:50, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, मैं तो यह जानना चाहता हूँ कि आपने किस लिखित परिभाषा के आधार पर इसे 'मूलशोध' घोषित किया। आपने तो अन्दाज से इसे 'मूलशोध' नहीं कहा होगा। 'लिखित शब्दावली पर सन्देह' की बात तो तब उठेगी जब आप बतायेंगे कि आप कहाँ दी गयी परिभाषा का अनुसरण कर रहे हैं। और जहाँ तक इस विषय में उचित जगह पर चर्चा शुरू करने का प्रश्न है, चर्चा तो मैं शुरू करूँगा; लेकिन इससे बेहतर हो कि प्रबन्धक के रूप में आप इसे शुरू करें क्योंकि इसका सीधा सम्बन्ध प्रबन्धन से है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 03:58, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, इस पूरी वार्ता में आप वस्तुतः क्या चाह रहे हैं इसका "अंदाजा" लगाने की कोशिश में मैं संभवतः विफल तो नहीं हो रहा? लिखित परिभाषायें जितनी शिद्दत से खोज रहे हैं उस पर एक प्रश्न मेरा भी है। विकिपीडिया की कुछ नीतियां और दिशानिर्देश हैं - आपने इनमें से कितनों को पढ़ा हैं? किस-किस का अनुपालन लेख बनाने में करते हैं? इन निर्देशों को समझने के लिये इनके निर्वचन हेतु कुछ विशिष्ट करते हैं अथवा अंदाजा लगाते हैं? मुझे यह मानने में या अंदाजा लगाने में दिक्कत महसूस हो रही है कि आप इनसे नितांत अपरिचित रहते हुए अब तक कैसे लेख बनाते रहे हैं। और अगर आप विकिनीतियों से परिचित हैं तो इस बात से अभी तक कैसे अपरिचित रह गये कि मूल शोध, सत्यापनीयता इत्यादि के बारे में विकिपीडिया की नीतियां कहाँ लिखी हैं, क्या कहती हैं, खुद इन्हें कैसे पढ़ा जाय इसके बारे में क्या कहा गया है?
- @अनुनाद सिंह: हर टैग का एक नाम है (सार्थक), टैग आमतौर पर एक या दो लाइनें भी जोड़ता है जो समस्या को सूचित करतीं हैं। ज्यादातर दशा में टैग में लगी लाइन किसी विकिनीति की कड़ी उपलब्ध कराती है (जहाँ ऐसा नहीं है वहाँ यह माना गया होगा कि टैग की लाइन समझदार के लिये काफ़ी है)। ज्यादातर प्रलेखन पन्नों पर इस्तेमाल के निर्देश भी हैं। यदि किसी में नहीं है तो उसे बनाया जाना चाहिये। जितनी जानकारी उपलब्ध है उसके आधार पर टैग लगाना अगर आपको अन्दाज से लगाना लगता है तो आप टैगों के बारे में आम चर्चा चौपाल पर कर सकते हैं। सुधार कर सकते हों तो और भी अच्छा है, स्वागत ! फिलहाल तो इस लेख में गिनाए गये सुधारों की आवश्यकता है ही।--सत्यम् मिश्र बातचीत 07:46, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- सत्यम मिश्र जी, आप खुद मान रहे हैं कि इन साँचों के प्रलेखन पृष्टों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। तो क्या टैग लगाने वाले 'अन्दाज से' टैग लगा रहे हैं? लेख का निर्माण करने वाला कैसे जानेगा कि इस लेख में जो टैग लगा है उसका ठीक-ठीक अर्थ क्या है और उसे क्या करना चाहिये? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:06, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- टैगों के बारे में उन साँचों के प्रलेखन पृष्ठ देख सकते हैं, परन्तु इनकी स्थिति बहुतअच्छी नहीं और हो सकता है किसी टैग का प्रलेखन पन्ना मौजूद न हो। इसके लिये पृष्ठ बनाने और इन्हें एकत्र करने का उद्यम भी कर रहा हूँ। --सत्यम् मिश्र बातचीत 06:42, 18 जनवरी 2016 (UTC)
- प्रश्नों का उत्तर आप मेरे वार्ता पन्ने पर दे सकते हैं। क्योंकि यह एक लेख का वार्ता पृष्ठ है जहाँ केवल इस लेख में सुधार हेतु (मेरा अंदाजा है कि सुधार की परिभाषा भी पूछी ही जाने वाली है) चर्चा की जानी चाहिये। यह परिभाषायें समझने समझाने की जगह नहीं है।
- आप पहले जो चाहते थे कि टैग औचित्य क्या है, उसका यथासंभव उत्तर देने का प्रयास मैंने किया है। यह मानते हुए यह प्रयास किया था कि आप विकिपीडिया पर इस्तेमाल होने वाली शब्दावली से परिचित होंगे। आप इन शब्दों की परिभाषा पर ही प्रश्न कर रहे तो पहले इसी को सुलझाने का प्रयास किया जाए। आप बताएँ कि आप विकिपीडिया पर किन किन पारिभाषिक शब्दों से अपना काम चलाते हैं और उनकी कौन सी लिखित परिभाषायें हैं। मैं उन्हीं शब्दों का प्रयोग करके अपनी बात रखने की कोशिश करूँगा। (परन्तु यहाँ नहीं) या आम चर्चा की जगह नहीं। --सत्यम् मिश्र बातचीत 07:04, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, किसी ने इस लेख पर कुछ टैग लगाये। मैने उनके औचित्य का प्रश्न उठाया। आपने उत्तर देने की कोशिश की। मैने आपके उत्तर का आधार पूछा। अब आपको इसमें समस्या क्या दिख रही है? क्या विकिपीडिया लोगों के दिमाग में बैठे अपने-अपने विचारों से चलती है? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 07:53, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: मैं भी वही पूछ रहा हूँ सर जी! कि अचानक आपको मूल शोध और सत्यापनीयता इत्यादि की परिभाषा जानने की उत्सुकता हो गयी, अभी तक आप किन नियमों के अनुसार विकिपीडिया पर चल रहे थे? क्या आप इन आधारों से परिचित नहीं हैं? --सत्यम् मिश्र बातचीत 08:02, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, मैं विकि की बहुत सारी बातों और नीतियों से परिचित नहीं हूँ। मैं आज यह प्रश्न इसलिये पूछ रहा हूँ क्योंकि आज आपने इसे मूललेख घोषित किया है।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 09:40, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, आप बतायें तो कि किनसे परिचित हैं। क्या आप यह कहना चाह रहे कि आप मूल शोध (या टैग में वर्णित अन्य समस्याओं) को विकिपीडिया पर कैसे परिभाषित किया जाता है इससे अपरिचित हैं? आपबिना यह जाने अब तक लेख बनाते आये हैं कि विकिपीडिया पर मूल शोध किसे कहते हैं?--सत्यम् मिश्र बातचीत 11:01, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, हाँ मूलशोध का नाम बहुत दिनों से सुन रहा हूँ किन्तु उसके बारे में पढ़ नहीं पाया था क्योंकि उसके बारे में पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ी।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 11:09, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: मैं हत-प्रभ हूँ, और "सत्यापनीयता" और "तटस्थता" उनके बारे में?--सत्यम् मिश्र बातचीत 11:58, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, "सत्यापनीयता" और "तटस्थता" के बारे में कई बार पढ़ा है। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 12:02, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, उन उपरोक्त दोनों में मूल शोध के निषेध की कड़ी भी है। यह भी कि ये तीनों मुख्य सामग्री नीतियाँ हैं। आप एक बार अवलोकन करके पुनः इन टैगों पर विचार करें और मेरी गलतियाँ इंगित करें। --सत्यम् मिश्र बातचीत 12:11, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, आपने अन्ततः परिभाषा वाली पंक्तियाँ नहीं बतायीं। तो मैं अपने हिसाब से मान लेता हूँ कि अंग्रेजी विकि के इस पेज के हिसाब से आप कह रहे होंगे। अंग्रेजी विकि को इस लिये कहना पड़ रहा है कि हिन्दी वाला पेज उसी का (मशीनी + मानवीय) अनुवाद है जिसके कारण उसकी भाषा बहुत उटपटांग है और उसे आसानी से नहीं समझा जा सकता है और उसके आधार पर तर्कवितर्क करना खतरे से खाली नहीं है। क्या आगे की चर्चा के लिये मेरा यह मानना ठीक रहेगा?--अनुनाद सिंह (वार्ता) 13:10, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, हिन्दी वाला अनुवाद इतना खराब भी नहीं। परन्तु पूरा नहीं है, अंग्रेजी वाली कड़ी ज्यादा विस्तृत है। आप इसके अनुसार अपने बिंदु रख सकते हैं। --सत्यम् मिश्र बातचीत 15:39, 19 जनवरी 2016 (UTC)
- @सत्यम् मिश्र: जी, इस पेज की पहली कुछ पंक्तियों में मूलशोध उसे कहा गया है जिसे पहले किसी अन्य ने न कहा हो (या कहा भी हो तो वर्तमान समय में लिखित रूप में उपलब्ध न हो)। अर्थात जिस बात को पहली बार कोई कह रहा हो, वह मूलशोध है। यदि मूलशोध के परिभाषा की मेरी यह समझ आपको सही लगती है तो कृपया बतायें कि ऊपर जो अनुच्छेद आपने उद्धृत करके कहा है कि 'इस तरह के कथन ही इसे मूल शोध भी बना रहे और गैर-तटस्थ भी' - तो क्या आपको लगता है कि यह कथन कोई पहली बार कह रहा है, और इस तरह के पूर्वकालिक कथनों का लिखित रूप में पाया जाना असम्भव है?--अनुनाद सिंह (वार्ता) 05:13, 20 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, सत्यम् जी ने जो कथन उद्धृत किया है उसे WP:ASSERT के अनुसार लिखा जाना चाहिए। --गौरव सूद (वार्ता) 06:11, 20 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, मूल शोध कहकर (टैग लगा कर) यही संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि इस तरह के अनुच्छेद अप्रकाशित हो सकते हैं। या संभव है कि प्रकाशित बातों के आधार पर इस तरह के निष्कर्ष सीधे विकिपीडिया पर संपादन करते समय निकाले गये हैं और इन्हें विकिपीडिया की ओर से लिखा हुआ प्रस्तुत किया गया है। --सत्यम् मिश्र बातचीत 12:22, 20 जनवरी 2016 (UTC)
- @अनुनाद सिंह: जी, सत्यम् जी ने जो कथन उद्धृत किया है उसे WP:ASSERT के अनुसार लिखा जाना चाहिए। --गौरव सूद (वार्ता) 06:11, 20 जनवरी 2016 (UTC)
@Gauravsood0289: गौरव सूद जी, सत्यम् जी को ही मेरे इस प्रश्न का उत्तर देने दीजिये क्योंकि उन्होने ही लगाये गये टैगों का औचित्य बताया है। आपके पास समय हो तो इस प्रश्न का उत्तर दें कि इस लेख पर 'मूल शोध' का टैग लगाने वाले ने 'चर्चा पृष्ट' पर चर्चा क्यों नहीं शुरू की।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 06:38, 20 जनवरी 2016 (UTC)