वार्ता:जौनपुरी

Latest comment: 6 वर्ष पहले by Pranshu dwivedi in topic परिचय

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राग जौनपुरी

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इस राग को असवारी तहत से उत्पन्न माना गया है। इसमें ग,ध और नि स्वर कोमल लगते हैं।अरोह में ग वज्र है और अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते है।इसे दिन के दूसरे पहर मे गया जाता है।

मतभेद-- इसके अरोह मे कभी -कभी कुछ गायक शुद्ध नि भी प्रयोग करते हैं । प्रचार में कोमल निषाद है।

विशेषता- 1-कुछ विद्वानों की धारणा है कि जौनपुरी के सुल्तान हुसैन शरकी ने इसकी की रचना की थी इसलिए इसे जौनपुरी राग कहा गया। 2-इसे आसावरी राग से बचाने के लिए रे म प, बार-बार प्रयोग करते हैं ।

Pranshu dwivedi (वार्ता) 10:38, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)उत्तर दें

परिचय

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राग जौनपुरी Pranshu dwivedi (वार्ता) 12:55, 26 फ़रवरी 2018 (UTC)उत्तर दें

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