वार्ता:नंद वंश
Maurya Rajwansh
संपादित करेंSain Nand Maurya Rajwansh Dhanvantari Sain (वार्ता) 02:47, 11 अक्टूबर 2019 (UTC)
Sain Nand Maurya Rajwansh (Nai)Samaj Dhanvantari Sain (वार्ता) 02:49, 11 अक्टूबर 2019 (UTC)
नंद वंश का शाक्य वंशी मौर्यों का क्या संबंध? किस पुराण और धर्म ग्रंथो में चंद्रगुप्त को नंद वंश या महापद्मनंद का पुत्र लिखा है? Amansinghmurao (वार्ता) 14:42, 28 जुलाई 2021 (UTC)
गलत लेख
संपादित करेंनंद वंश से चंद्रगुप्त का कोई संबंध नहीं है, पुराणों और धर्म ग्रंथो में चंद्रगुप्त का वंश शाक्य वंश की शाखा है, मोरिया से मौर्य हुआ। मुद्राराक्षस जैसे नाटक सीरियल केवल कल्पना पर आधारित होते हैं, और सीरियल को इतिहास मानना बेवकूफी का परिचय है! सारे पुराणों और धर्म ग्रंथो को पढ़ लीजिए, कहीं भी चंद्रगुप्त को शुद्र या महापदमनंद का पुत्र नहीं लिखा। ये केवल काल्पनिक नाटक मुद्राराक्षस और बृहद कथा मंजरी जैसी काल्पनिक स्टोरी से इतिहास निर्णय नहीं किया जा सकता , ये देखा जाय की ऐसे नाटक और स्टोरी किस पुराण को आधार मान कर लिखे गए? Amansinghmurao (वार्ता) 14:40, 28 जुलाई 2021 (UTC)
शाक्य वंशी मौर्य राजवंश
संपादित करें||शाक्यवंश||
(सूर्यवंश की 115वी पीढ़ी)
सूर्य वंश की 115 वी पीढ़ी में जन्मे महराजा शाक्य सिंह जी का जन्म हुआ जिन्होंने शाक्य वंश की स्थापना की।
रणञ्जयात्सञ्जयस्तस्माच्छाक्यश्शाक्याच्छुद्धोदनस्तस्माद्राहुलस्ततः |८|
- - विष्णुपुराण
रणंजय संजय शाक्य शुद्दोधन सिद्धार्थ राहुल |८|
||मौर्यवंश|| (उपशाखा)
तेन तस्स नगरस्स सामिनो साकिया च तेस पुत्त - पुत्ता सकल जम्बूद्वीपे मोरिया नाम ति पाकटा जाता ।
- - उत्तरविहारट्टकथायंथेरमहिंद
उस नगर के समीप शाक्य के पुत्र-पौत्र सकल जंबूद्वीप में मौर्य नाम से प्रसिद्ध हुए।
चन्दवड्ढनो राजस्स मोरिय रञ्ञो सा अहू। राजमहेसी धम्ममोरिया पुत्तातस्सासि चन्दगुप्तो’ति॥ (उत्तरविहारट्टकथायंथेरमहिंद)
मोरिय नगर के राजा चंद्रवर्द्धन मोरिया और धर्मा मोरिया के पुत्र चंद्रगुप्त हुए।
नोट :- मूरा एक काल्पनिक नाम है जो विशाखादत की एक कल्पना की उपज है, जो उसने अपने मुद्राराक्षस में लिखी, उसने कहा की मूरा नाम पुराण से उसने लिया परंतु पुराणों में तो मूरा शब्द कही है ही नहीं ।
ये लाइन तो आपने विष्णुपुराण में तो देखी होगी, तब इसका हिंदी अनुवाद नहीं था,
और जो विशाखदत्त ने इस पर अपने मुद्राराक्षस में टिप्पणी की , उसे ही सबने सत्य मान लिया।
" ततश्र नव चैतान्नन्दान कौटिल्यो ब्राह्मणस्समुद्धरिस्यति ||२६|| तेषामभावे मौर्याः पृथ्वीं भोक्ष्यन्ति ॥२७॥ कौटिल्य एवं चन्द्रगुप्तमुत्पन्नं राज्येऽभिक्ष्यति ||२८|| " (विष्णु-पुराण)
इसमें एक वाक्य आया "चन्द्रगुप्तमुत्पन्नं" जिसका अर्थ उसने निकाला "मूरा उत्पन्न चंद्रगुप्त"
शुक्र है की इस विद्वान की नजर "गुप्त वंश" के शासक "चंद्रगुप्त प्रथम" के विवाह के श्लोक पर नहीं पड़ी, नहीं तो इसका भी अनुवाद "मु" से "मूरा" कर देता।
“श्री महाराजाधिराज चंद्रगुप्तस्य लिच्छवि दौहित्रस्य महादेव्यां कुमारदेव्यामुत्पन्नस्य महाराजाधिराज श्री समुद्रगुप्तस्य”।
"कुमारदेव्यामुत्पन्नस्य" इसका अर्थ भी वो निकलता "मूरा उत्पन्न कुमारदेवा"
एक और श्लोक पर इसकी नजर नहीं पड़ी, कायस्थ की उत्पत्ति का श्लोक , नहीं तो इसका भी वो अर्थ "मु" से "मूरा" निकाल देता।
मम् कायात्समुत्पन्न, स्थितौ कायोऽभवत्त | कायस्थ इति तस्याथ, नाम चक्रे पितामहा || (पद्म पुराण पाताल खण्ड)
"कायात्समुत्पन्न" इसका अर्थ वो ऐसे निकलता "मूरा उत्पन्न कायस्थ"
सबसे अनुरोध है की कृपया , मुद्राराक्षस, कथासरित्सागर, वृहदकथामंजरी नाटको को ऐतिहासिक साक्ष्य ना माने, क्योंकि इतिहास भी नाटक, नौटंकी, फिल्म, सीरियल, वेब सीरीज, को ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं मानता।
" दुई सुत जनमें सीय के , कुश लव वीर सुभाव। कुश से कुशवाहा भए, कुइरी काछी मुराव ।। " (कुशवाहा क्षत्रियोत्पत्ति मीमांसा)
मुराव अर्थात मौर्य सरकारी दस्तावेजों में ओबीसी में दर्ज मुराव/, मुराई/मौर्य।
कुशवंश की शाखा शाक्य वंश की उपशाख मौर्य वंश कुश के वंशज कुशवाहा।
धन्यवाद!
काल्पनिक मूरा। Amansinghmurao (वार्ता) 15:06, 28 जुलाई 2021 (UTC)
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