वार्ता:प्यार
जब प्यार किसी से होता है।
संपादित करेंमेरे ख्याल से, जब कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को देख कर अत्यधिक प्रभावित हो जाये, उससे मिल कर सर्वाधिक प्रसन्न हो जाये, उसके वचन पर मंत्रमुग्ध हो जाये, उसकी क्रिया पर फ़िदा हो जाये, उसके दृष्टि पर विलीन हो जाये, उसके मिलन पर विचलित हो जाये, उससे विरह पर सुस्त हो जाये, उससे विच्छेद पर न्यौछावर हो जाये, उसके साथ विचरण पर कटिबद्ध हो जाये, जीवन पर आधारित हो जाये वो प्यार है। उसकी खुशी में सर्वाधिक प्राप्त करने लगे, उसके दुःख में सबसे ज्यादा चिंतित हो जाये, उसकी इक्षा में खुद को जला कर भस्म कर दे वो प्यार है। रवि कुमार बरनवाल (वार्ता) 13:09, 1 फ़रवरी 2022 (UTC)
प्यार
संपादित करेंअलग-अलग नामों, अलग-अलग अहसासों में पिरोया प्यार[1] इंसान को मिली हुई वाक़ई एक खूबसूरत नियामत है। कभी-कभी सोचता हूँ प्यार नहीं होता तो शायद ज़िंदगी मरुस्थल की तरह होती। सब कुछ होने के बाद भी अगर प्यार न हो तो ज़िंदगी जैसे खाली-खाली सी लगती है। जीने के लिए जिस तरह पानी और भोजन चाहिए होता है, उसी तरह जीने के लिए प्यार भी जरूरी है। प्यार के बिना ज़िंदगी गुजारी तो जा सकती है लेकिन जी नहीं जा सकती।
प्यार एक मन का भाव है।[2] ह्रदय से उपजा स्नेह हैं। हमारे जीवन में प्रेम अहम भूमिका निभाता है। किसी ने सच ही कहा है कि ये क़ायनात प्रेम से चलती हैं। भरोसे से चलती हैं। स्नेह से वो धागा हैं जिसे हम एक दूसरे से बंधे हुए हैं। दूर रहते हुए भी हम सब एक दूसरे के करीब हैं इनकी वजह सिर्फ प्यार हैं। स्नेह हैं। प्यार से रिश्ते प्रगाढ़ होते हैं। प्यार तो प्रेम है चाहे वो प्रकृति से हो या अपनी मातृभमि से हो।[3]
एक खूबसूरत एहसास है । जो किसी के भी दिल में किसी भी व्यक्ति के लिए पनप सकता है । जब प्यार होना होता है तो कोई चाहे कितने भी जतन क्यों ना कर ले, प्यार हो कर ही रहता है। प्यार के कई रूप होत हैं, और अलग-अलग लोगो के लिए इसकी अलग-अलग परिभाषाए होती है। किसी के लिए ये प्यार ही जिंदगी है। किसी के लिए प्यार एक खूबसूरत एहसास है जो जीने के लिए जरूरी है।[4]
प्यार कहते किसे कोई बतलाये तो प्यार का गीत गाना गजब हो गया, दोनों तन का मिलन क्या यही प्यार है तन से तन को मिलाना गजब हो गया। मैने पूछा शमा से तो कहने लगी अर्थ परवाना तुमको ही बतलायेगा, मै कही पर जलूं वो कही पर भी हो मिटने नज़दीक मेरे वो आजायेगा।[5]
प्रेम, इश्क़, मुहब्बत, जैसे कई रंगों में यह इंद्रधनुषी प्यार ज़िंदगी में कभी न कभी उभर कर आता ही है। एक ख़ास उम्र याने कि किशोरावस्था में तो प्यार दिल के अधखुले झरोखे से ताक-झाँक कर ही लेता है लेकिन प्यार हर उम्र में जवाँ-जवाँ होता है।
प्यार की पहली कली बड़ी, शर्मीली, बड़ी, घमंडी है - खिलने पर भी फूल में नहीं खिलती! ज्यादातर मामलों में यह बिसवां दशा में खो जाता है। पहला प्यार किशोरावस्था में, यानी किशोरावस्था में, लगभग सभी, पुरुष और महिलाएं, प्यार में पड़ जाते हैं - वह प्यार अधिक मीठा, अधिक उदासीन और प्लेटोनिक होता है। बस कल्पना करना... और दिन-रात पंखों पर उड़ना - आकाश में - हवा में ऐसा लगता है मानो आप जमीन पर आसानी से कदम नहीं रखना चाहते![6]
प्यार एक स्वर्गिक अनुभूति है, एक पवित्र और पावन एहसास है, यहाँ प्यार केवल स्त्री-पुरुष के बीच ही नहीं होता याने कि प्यार में केवल स्त्री-पुरुष, युवा-युवती या लड़के-लड़की का होना जरूरी नहीं है, प्यार तो किसी से भी हो सकता है। प्यार तो इंसान-इंसान के बीच होता है, माता-पिता का बच्चों के प्रति, भँवरों-कीट-पतंगों का फूलों के प्रति,मनुष्य का मूक प्राणियों के प्रति, ईश्वर के प्रति, नन्हें बच्चों की शरारतों के प्रति, भाई-बहनों का एक दूसरे के प्रति, अपने घनिष्ठ मित्रों के प्रति, अपने काम के प्रति, अपनी कलाओं के प्रति… प्यार सबके बीच होता है, हो सकता है।[7]
दर्दे दिल की दवा लेकर आया है प्यार फिर एक बार। प्यार होता है तो बहुत होता है और जब दूर चला जाता है तो कील की तरह दिल मे चुभ जाता है। ये वही प्यार है जो दुनिया को नहीं दिल को समझ आता है।[8]
सच्चा प्यार वह मीठा एहसास है, जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है, ये उस दवा की तरह है, जिससे किसी गहरे से गहरे घाव को भी भरा जा सकता है। प्यार किसी के प्रति एक अनूठा और अटूट भाव है, जिसे लाखों शब्दों द्वारा भी बयां नहीं किया जा सकता। यह एक पल में होता है, और जिंदगी भर के लिए आपके दिल में याद बन कर रह जाता है।[9]
प्यार में जितना लिखा जाए उतना कम है, लिखने से ज्यादा उन एहसासों को महसूस करना जरूरी है। प्यार के प्रति समर्पण और विश्वास यह प्यार की रूह है, प्राण है, आत्मा है।
प्यार वो नही जो कह कर दिखाया जाये, प्यार वो है जो छुप कर निभाया जाये। प्यार वो आस्मां है, जिसे कभी दबाया ना जाये। प्यार वो ज़मीन है, जिसे कभी गिराया ना जाये। प्यार वो आग है, जिसे कभी बुझाया ना जाये। प्यार वो सुकून है, जिसे कभी छोड़ा ना जाये। प्यार वो एहसास है, जो हमेशा महसूस किया जाये। प्यार वो गीत है, जिसे ज़िन्दगी भर गुनगुनाया जाये। प्यार वो जीत है, जिसे हमेशा मनाया जाये। प्यार वो रीत है, जिसे ज़िन्दगी भर निभाया जाये। प्यार वो कमजोरी है, जिसे कभी आजमाया ना जाये। प्यार वो ताकत है, जिसे कभी भुलाया ना जाये। प्यार वो वचन है, जिसे कभी तोड़ा ना जाये। प्यार वो आदत है, जिसे कभी भुला ना जाये। प्यार वो इज़्ज़त है, जिसे कभी ठुकराया ना जाये। प्यार वो भगवान है, जिसे कभी रूठा ना जाये। प्यार वो बचपना है, जिसे कभी भुलाया ना जाये। प्यार वो ज़मीर है, जिसे कभी बेचा ना जाये। प्यार वो ज़िद है, जिसमें कभी रोका ना जाये। प्यार वो सुख है, जिसमें कभी रोया ना जाये। प्यार वो मंदिर है, जिसे रोज पूजा जाये।[10] ☆★चाहर धर्मेंद्र--ॐ जय श्री राम-- 06:47, 27 मई 2022 (UTC)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "प्यार". अभिगमन तिथि 27 मई 2022.
- ↑ "प्यार क्या होता है हिंदी में". अभिगमन तिथि 31 मई 2022.
- ↑ एलआरसेजू थोब, 'प्रिंस'. सिल सिले प्यार के Sil sile pyar ke. साहित्यदर्शन प्रकाशन.
- ↑ अक्षिका, अग्रवाल. प्यार के रंग. द ड्रीमर्स स्टूडियो पब्लिकेशन हाउस. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2022.
- ↑ डॉ उमाशंकर, पाराशर. प्यार का खिलौना (काव्य संग्रह). वर्जिन साहित्यपीठ. अभिगमन तिथि 17 दिसंबर 2018.
- ↑ गोपाल, पात्र. पहला प्यार. पेंसिल. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2021.
- ↑ डॉ. सुषमा, गजापुरे 'सुदिव'. प्यार में... भारतीय साहित्य इंक. अभिगमन तिथि 30 अप्रैल 2021.
- ↑ कैसर, कल्पब्रिक्स. प्यार के पन्ने दर्दे दिल की दवा. कैसर सुनील कल्पब्रिक्स.
- ↑ "सच्चा प्यार क्या होता है और सच्चा प्यार क्यों होता है।". अभिगमन तिथि 27 मई 2022.
- ↑ नेहा, रावत. "प्यार क्या है". अभिगमन तिथि 27 मई 2019.