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संजा एक लोक पर्व है जो भारत के प्रान्तों में -मध्य प्रदेश, राजस्थान के क्षेत्रीय इलाको में अविवाहित बालिकाओ द्वारा मनाया जाता है जिसमे श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों तक पट्टे पर या दीवाल पर गोबर से आकृतियॉ बनाई जाती है शाम को सभी सहेलिया इकठ्ठा होंती है , गीत गाए जाते है व प्रसाद वितरित किया जाता है प्रसाद का भोग लगाने से पहले सभी सहेलीयो को प्रसाद बताना होता है जिसे ताड़ना कहते है। बाद में घर घर जाके गीत गाये जाते हैंआखरी दिन सर्वपित्र अमावस्या को 16 दिन बनाई सुखी आकृतियो को सभी मिलकर नदी सरोवर में विसर्जित कर दी जाती है इस तरह ये पर्व मनाया जाता है जिसमे संजा माता गौरा का रूप होती है जिससे अच्छे पति पाने मनोकामना की जाती है ।जो विवाहित है और इन 16 दिनों तक अपने ससुराल से मायके में आई है ऐसा माना जाता है।

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