युवा पीढ़ी में पर्यावरण की समझ विकसित करना होगासंपादित करें
हम लोग सभ्यता काल से ही पर्यावरण का संरक्षण करते आए हैं सिंधु सभ्यता के लोग नीम, पीपल आदि के वृक्षों को पूजा करते थे । वैदिक काल में पूरी क्रियाकलाप जंगलों में ही होती थी गुरुकुल जंगलों में बने होते थे जहां शिक्षक और छात्र आमने-सामने बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे प्रकृति की गोद में बैठ कर धारणा, ध्यान, समाधि लिया करते थे । प्राचीन ग्रंथ हमारे बताते हैं कि मनुष्य का शरीर पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु जैसे पांच तत्वों से मिलकर बना है, यदि इनमें से एक भी तत्व दूषित होता है तो इसका प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है यही कारण है कि प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को देवी देवताओं का स्थान दिया है ।
प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों से औषधि बनाना और इनसे इलाज करना हम सब को सिखाया है । कुछ प्रसिद्ध चिकित्सक का नाम जो पर्यावरण में उपस्थित जड़ी बूटियों से लोगों का फ्री में इलाज करते थे- जैसे अश्विनी कुमार, धनवंतरी, चरक, सुश्रुत, ऋषि भरद्वाज, जीवक, नागार्जुन, पतंजलि और चवन (चवनप्राश) इनके बारे में युवा को जानकारी होनी चाहिए जो हमारे समाज को हमारे पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है । हमारे वेदों में जैसे ऋग्वेद के औषधि सूक्त में वृक्षों और वनस्पतियों के औषधीय गुणों के बारे में कहा गया है उन्हें माता की उपमा दी गई है, पेड़ पौधे हमारे रक्षा कवच हैं । यजुर्वेद में पर्यावरण की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए मानव को सौंपने की बात कही गई है । अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में पृथ्वी को वृक्ष वनस्पतियों के माता के रूप में स्वीकार किया गया है।
रामायण में मानव और पर्यावरण का अनूठा झलक दिखाई पड़ता है जिसने प्रकृति और पर्यावरण के समस्त तत्वों का समावेश है इसमें वायु के बारे में कहा गया है कि वायु प्राण है, वायु परमसुख है तथा वायु संपूर्ण जगत का मूल्य है । इसलिए पर्यावरण को बचाना हमारा कर्तव्य है हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है हमें जल जंगल और जमीन की भी रक्षा करनी है । भगवतगीता में कहा गया है कि पर्यावरण संरक्षण मानव का परम कर्तव्य है । मनुस्मृति में कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी वृक्ष की लताओं उनकी शाखाओं को काटता है तो वह दंड का भागीदार होगा ।
आज युवा अपने आधुनिकता में मस्त हो गया है जिससे पर्यावरण के महत्त्व को कम समझने लगा है उसको लगता है कि मेरे अकेले करने से क्या हो जायेगा, मै ही यह जिम्मेदारी निर्वहन क्यों करूँ | हमारे शास्त्रों में पर्यावरण के लिए बहुत कुछ कहा गया है पहले के ऋषि मुनि जड़ी बूटियो से इलाज किया करते थे | बड़े से बड़े असाध्य रोगों को ठीक करते थे | पर्यावरण के महत्त्व को हम युवा पीढ़ी को समझना होगा और जन जन में इसकी महती को फैलाना होगा ताकि पर्यावरण को स्वच्छ व सुरक्षित रख सके |
समय परिवर्तन के साथ साथ सब कुछ परिवर्तित होता गया हम सब आधुनिकता के पथ पर इस कदर अग्रसर हो गए हैं कि हम लोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं जंगलों को काट कर बड़ी-बड़ी इमारतें बना रहे हैं, मेट्रो सिटीज बना रहे हैं, मॉल बना रहे हैं, जंगलों को काटकर कागज बना रहे हैं उन्हें काटकर तस्करी कर रहे हैं ।
पर्यावरण में जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आदि शामिल है हमारे घरों में चल रहे एसी, फ्रीज ग्लोबल वार्मिंग के बड़े स्रोत हैं । जल, जंगल, जमीन की रक्षा सदियों से आदिम जनजातियां करती आ रही है अगर भारत में जनजाति जंगलों की रक्षा ना करती तो आज पूरा भारत इमारतों का देश होता । यहां भी अन्य देशों की तरह स्वच्छ हवा, पानी ना मिल पाता । मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और नार्थ ईस्ट जंगलों का बहुत बड़ा भाग इनके पास है जो धरती को संतुलित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । रोज लाखों वृक्ष कट रहे हैं इनकी रोकथाम के लिए नियम कानून तो हैं लेकिन लागू नहीं हो पाता । अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस, गंगा एक्सप्रेस हाईवे ,कोलकाता- दिल्ली हाईवे बनाने में करोड़ों वृक्षों की आहुति दी गई है जिसे विकास का नाम दिया गया। हम लोगों ने कोविड-19 के दौरान इस पर्यावरण की महत्ता को समझा।
वर्ल्ड एनवायरमेंट डे 2022 की थीम ओनली वन अर्थ है यह 50 साल बाद फिर दोहराया गया है जो 1972 में जब पहली बार विश्व पर्यावरण कॉन्फ्रेंस हुआ था।
अंत में हम यही कहना चाहते हैं कि युवा पीढ़ी हर रोज पर्यावरण से प्रभावित होता है और पर्यावरण को दूषित भी करता है, इसलिए कुछ प्रश्नों के उत्तर हमें स्वयं खोजने होंगे-
1. सांस लेने के लिए वायु कहां से मिलती है?
2. जीवित रहने के लिए भोजन कहां से प्राप्त होता है?
3. पीने के लिए पानी कहां से आता है?
4. मकान बनाने के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है यह कहां से आता है?
5. पेड़ों से हमें क्या मिलता है?
6. बारिश किसके कारण होती है?
7. पर्यावरण दूषित होने पर कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?
8. पर्यावरण को बचाने के लिए क्या क्या कदम उठाने चाहिए?
9. पर्यावरण जागरूकता अभियान सबसे ज्यादा कौन सा छात्र संगठन चलाता है?
10. किस छात्र संगठन ने एक करोड़ वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है?
शरद कुमार
शोधछात्र (शिक्षाशास्त्र) सी.एस.जे.एम.विश्वविद्यालय कानपूर
प्रान्त कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी, कानपुर पश्चिम ( कानपुर प्रान्त) शरद कुमार पीएचडी (वार्ता) 19:00, 8 जून 2022 (UTC)