विक्रमशिला सेतु बिहार के भागलपुर के पास गंगा के ऊपर निर्मित एक पुल है, जिसका नाम विक्रमाशिला के प्राचीन महाविहार के नाम पर रखा गया था। इस महाविहार का निर्माण राजा धर्मपाल (783 से 820 ई) ने किया था।

विक्रमशिला सेतु
निर्देशांक25°16′41″N 87°01′37″E / 25.278°N 87.027°E / 25.278; 87.027
आयुध सर्वेक्षण राष्ट्रीय ग्रिड[1]
वहनइसके दोनों तरफ दो-लेन वाला मार्ग तथा पैदल यात्रियों के लिए मार्ग है।
स्थानभागलपुर
रखरखावबिहार सरकार
लक्षण
सामग्रीकंक्रीट तथा लोहा
कुल लम्बाई4,700 मीटर (15,400 फीट)
इतिहास
निर्माण पूर्ण2001
खुला2001
बंद हुआNo
सांख्यिकी
दैनिक ट्रैफिकएकांगी
टोलभारी वाहनों एवं चार-पहिया वाहनों के लिए

विक्रमशिला सेतु भारत में पानी पर ५वां सबसे लंबा पुल है। 4.7 किमी लंबा दो लेन पुल गंगा के दोनों ओर निर्मित एनएच 80 और एनएच 31 के बीच एक लिंक के रूप में कार्य करता है। यह गंगा के दक्षिण तट पर भागलपुर की तरफ बरारी घाट से उत्तर तट पर नवगछिया तक है।[1] यह सेतु भागलपुर को पूर्णिया और कैथीर से भी जोड़ता है। इसने भागलपुर और गंगा में स्थानों के बीच सड़क यात्रा दूरी को काफी कम कर दिया है।

जून 2018 में, 4,37 9.01 करोड़ रुपये के व्यय के साथ, विक्रमशिला रेलवे स्टेशन और कटारिया रेलवे स्टेशन (नवगछिया रेलवे स्टेशन के पास) के बीच एक और 24 किमी लंबी विक्रमशिला-कटरिया गंगा ब्रिज (पीरपैती-नवगछिया) को मंजूरी दे दी गई थी।[2]

वाई आकार में ब्रिज के दोनों तरफ से रेल लाइन मिलेगी। उत्तर में कटरिया और नवगछिया तथा दक्षिण में विक्रमशिला और शिवनारायणपुर स्टेशन की तरफ लाइन जुड़ेगी।[3]

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "CM for a bridge parallel to Vikramshila Setu". मूल से 19 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 जून 2018.
  2. "'Bridge parallel to Rajendra Setu to be ready in 3 years'". मूल से 28 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 जून 2018.
  3. "तीन वर्षों में तैयार हो जाएगा मोकामा-बरौनी के बीच नया रेल पुल, PM ने किया था शिलान्‍यास". मूल से 13 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 जून 2018.