विजय स्तम्भ
विजय स्तम्भ, भारत के राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित एक स्तम्भ या टॉवर है। इसे मेवाड़ नरेश महाराणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा की सेना पर सारंगपुर की लड़ाई में विजय के स्मारक के रूप में सन् 1440–1448 इस्वी के मध्य बनवाया था। यह राजस्थान पुलिस और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रतीक चिह्न में शामिल है। इसे "भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश" और "हिन्दू देवी देवताओं का अजायबघर", garud dhwaj और विष्णु स्तम्भ भी कहते हैं।
विजय स्तम्भ | |
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विष्णु स्तम्भ | |
अन्य नाम | विष्णु ध्वज |
सामान्य विवरण | |
प्रकार | स्तम्भ |
स्थान | चित्तौड़गढ़, राजस्थान, भारत |
निर्देशांक | 24°53′16″N 74°38′43″E / 24.887870°N 74.645157°Eनिर्देशांक: 24°53′16″N 74°38′43″E / 24.887870°N 74.645157°E |
निर्माणकार्य शुरू | 1440 इस्वी |
निर्माण सम्पन्न | 1448 इस्वी |
स्वामित्व | भारत सरकार और राजस्थान सरकार |
व्यवस्थापन | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण |
ऊँचाई | 37.19 मी॰ (122 फीट)[1] |
प्राविधिक विवरण | |
गृहमूल | 9[1] |
योजना एवं निर्माण | |
वास्तुकार | सूत्रधार जैता[1] |
विकासक | महाराणा कुम्भा |
वास्तुकार
संपादित करेंइसे महाराणा कुम्भा ने बनवाया था। इसके वास्तुकार: मंडन, जैता व उसके पुत्र नाथा, पुंजा थे। उपेन्द्रनाथ डे ने इसको(प्रथम मंजिल पर विष्णु मंदिर होने के कारण) विष्णु ध्वज कहा है।
संरचना
संपादित करेंइसकी ऊंचाई 122 फिट (37.19 मीटर) और चौड़ाई 30 फिट हैं। यह एक 9 मंजिला इमारत है।
वास्तु
संपादित करें122 फीट ऊंचा, 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है। इसमें ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। स्तम्भ का निर्माण राणा कुम्भा अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया था। इस स्तम्भ के आन्तरिक तथा बाह्य भागों पर भारतीय देवी-देवताओं, अर्द्धनारीश्वर, उमा-महेश्वर, लक्ष्मीनारायण, ब्रह्मा, सावित्री, हरिहर, पितामह विष्णु के विभिन्न अवतारों तथा रामायण एवं महाभारत के पात्रों की सेंकड़ों मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
"कुम्भा द्वारा निर्मित विजय स्तम्भ का संबंध मात्र राजनीतिक विजय से नहीं है, वरन् यह भारतीय संस्कृति और स्थापत्य का ज्ञानकोष है।" मुद्राशास्त्र के अंतराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान प्रो॰एस.के.भट्ट ने स्तम्भ की नौ मंजिलों का सचित्र उल्लेख करते हुए कहा है कि "राजनीतिक विजय के प्रतीक स्तम्भ के रूप में मीनारें बनायी जाती है जबकि यहां इसके प्रत्येक तल में धर्म और संस्कृति के भिन्न-भिन्न आयामों को प्रस्तुत करने के लिए भिन्न-भिन्न स्थापत्य शैली अपनाई गई है।"
इस टावर की 9 वी मंजिल पर कीर्तिस्तम्भ प्रशस्ति लिखी है इसके लेखक अत्रि ओर महेश भट्ट है इन दोनों को अभिकभी के नाम से भी जानते है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ "Chittaurgarh Fort, Distt. Chittaurgarh". Archaeological Survey of India. मूल से 2007-10-21 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 April 2015.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- महाराणा कुंभा का बनाया विजय स्तंभ (दैनिक ट्रिब्यून)
- फोटो