श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र

अयोध्या के राम मंदिर के प्रबंधन के लिए बनाया गया ट्रस्ट

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले न्यास (ट्रस्ट) का नाम है। [4][5][6]

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र
Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra
सिद्धांत रामो विग्रहवान् धर्मः
(राम, धर्म के मूर्त रूप हैं।)
प्रकार न्यास (ट्रस्ट)
उद्देश्य अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण और प्रबंधन
मुख्यालय R-20, ग्रेटर कैलाश, पार्ट - १, नई दिल्ली
स्थान
क्षेत्र
अयोध्या, उत्तर प्रदेश
सदस्यता
१५[1][2]
अध्यक्ष
महंत नृत्य गोपाल दास
महासचिव
चम्पत राय
जालस्थल srjbtkshetra.org[3]

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार ०५ फरवरी २०२० को लोकसभा में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' होगा। इस ट्रस्ट में कुल १५ सदस्य होंगे।

लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था [7]कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र सरकार ने इसका नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट रखा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत सरकार ने राजपत्र जारी कर कहा है कि विवादित स्थल के आंतरिक और बाह्य प्रांगण का कब्जा न्यास को सौंप दिया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार और ट्रस्ट स्कीम के तहत भूमि पर विकास कराएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में १५ ट्रस्टी होंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्टी संपादित करें

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके बताया कि ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों में ऐडवोकेट के. पराशरण, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और अयोध्या राज परिवार से जुड़े राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र जैसे नाम प्रमुख हैं।[8]

अब 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट में शामिल किए गए लोगों के नामों की घोषणा कर दी गई है। ट्रस्ट के नियमों के मुताबिक, इसमें १० स्थायी सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकार होगा, बाकी के पांच सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है, एक ट्रस्टी हमेशा दलित समाज से रहेगा। लगभग सभी सदस्यों के हिंदू होने की अनिवार्यता भी रखी गई है। इस ट्रस्ट में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख लोग:

पद्मश्री के. पराशरण

सबसे पहला नाम वरिष्ठ वकील, पद्मश्री के. पराशरण का है। पराशरण ने अयोध्या केस में लंबे समय से हिंदू पक्ष की पैरवी की। आखिर तक चली सुनवाई में भी पराशरण खुद बहस करते थे। रामलला के पक्ष में फैसला लाने में उनका अहम योगदान रहा है। ९२ साल के के. पराशरण सेतु समुद्रम प्रॉजेक्ट के खिलाफ भी केस लड़ चुके हैं। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सबरीमाला मामले में भगवान अय्यप्पा के वकील रहे पराशरण को भारतीय इतिहास, वेद पुराण और धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है। राम मंदिर केस के दौरान उन्होंने स्कन्द पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की थी।

बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र

अयोध्या के कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने राम जन्मभूमि रिसीवर का चार्ज छोड़ दिया है। उन्होंने यह चार्ज अयोध्या राज परिवार के बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को सौंप दिया है। बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के ट्रस्टी बनाए गए हैं। राम जन्म भूमि ट्रस्ट की घोषणा होने के बाद कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने अपना पद छोड़ दिया। अभी तक के नियमों के मुताबिक, कमिश्वर ही राम जन्मभूमि के रिसीवर होते हैं। इस मौके पर डीएम अनुज झा भी मौजूद रहे।

डॉ अनिल कुमार मिश्र

पेशे से होम्योपैथी के डॉक्टर अनिल कुमार मिश्र फैजाबाद] की लक्ष्मणपुरी कॉलोनी में रहते हैं। आंबेडकर नगर जिले के पहतीपुर के पतौना गांव के मूल निवासी अनिल कुमार मिश्र राम मंदिर आंदोलन के दौरान विनय कटियार के साथ जुड़े थे। बाद में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े। इस समय वह आरएसएस के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह हैं। वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार पद पर भी कार्यरत हैं।

कामेश्वर चौपाल

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके बताया कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट में एक सदस्य दलित समुदाय से भी होगा। इसके तहत कामेश्वर चौपाल को भी ट्रस्ट में जगह मिली है। १९८९ के राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में कामेश्वर ने ही राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। १९९१ में वह राम विलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। आरएसएस ने उन्हें पहले कारसेवक का भी दर्जा दिया है।

महंत दिनेंद्र दास

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकार रहे निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक के प्रमुख महंत दिनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में जगह मिली है। महंत दिनेंद्र दास अयोध्या के बैैैैैरागी साधु है। अयोध्या के निर्मोही अखाड़ा के महंत हैं। अयोध्या जिले के मयाबाजार के पास मठिया सरैया गांव के मूलनिवासी हैं। १० साल की उम्र में ही इनको मठिया के आश्रम का महंत बना दिया गया था। उसी के बाद यह साधु परंपरा में शामिल हो गए। बीए की पढ़ाई करने के लिए अयोध्या में रहने लगे तो निर्माही अखाड़ा से जुड़ गए। १९९२ में निर्मोही अखाड़ा के बैरागी बने, उसके बाद १९९३ में पंच और उपसरपंच बना दिए गए। २०१७ में यहां के सरपंच महंत भास्कर दास ने उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी दी। महंत भास्कर दास के निधन के बाद २०१७ में पंचों ने उन्हे निर्मोही अखाड़ा का महंत बना दिया। तब से वह यहां के महंत बने हुए हैं।

इनके अलावा कुछ प्रशासनिक अधिकारियों को भी ट्रस्ट में शामिल किए जाने का नियम बनाया गया है। बताते चलें कि अयोध्या में मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी अब ट्रस्ट के हाथ में ही होगी। साथ ही सरकार का अब इसमें हस्तक्षेप नहीं रहेगा। मंदिर निर्माण से संबंधी सभी फैसले ट्रस्ट के द्वारा ही लिए जाएंगे। ट्रस्ट के ऐलान के बाद अयोध्या में राम मंदिर के साथ-साथ बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने भी इसका स्वागत किया।

केंद्र सरकार का आईएएस अधिकारी

एक सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। यह सदस्य एक आईएएस अधिकारी होगा, जोकि हिंदू धर्म को मानने वाला हो। यह अधिकारी जॉइंट सेक्रेटरी से नीचे पद का अधिकारी नहीं होना चाहिए, इसके अलावा यह पदेन अधिकारी होना चाहिए। यह अधिकारी केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत भी होना चाहिए।

राज्य सरकार का आईएएस अधिकारी

एक सदस्य राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। यह सदस्य भी आईएएस अधिकारी होगा और राज्य सरकार के तहत कार्यरत होगा। इसकी रैंक सेक्रेटरी से नीचे की नहीं होनी चाहिए। यह अधिकारी भी हिंदू धर्म मानने वाला होना चाहिए।

अयोध्या के डीएम भी होंगे ट्रस्टी

अयोध्या के जिलाधिकारी भी इस ट्रस्ट के सदस्य होंगे। हालांकि, इस सदस्य का हिंदू होना अनिवार्य है। अगर किसी स्थिति में जिलाधिकारी हिंदू नहीं होते हैं तो उनकी जगह पर ए़डीएम इस ट्रस्ट का हिस्सा होंगे। ये भी पदेन अधिकारी होंगे।

समिति का चेयरमैन संपादित करें

राम मंदिर कॉम्प्लेक्स से जुड़े मामलों के प्रशासनिक और विकास की समिति का चेयरमैन बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इस सदस्य का भी हिंदू होना अनिवार्य है और यह भी पदेन अधिकारी होगा ।ट्रस्ट के प्रथम चेयरमैन के पद पर महंत नृत्य गोपाल दास का चुनाव हुआ है व महासचिव पद हेतु चंपत राय को चुना गया है ।

ट्रस्ट के गठन के बाद राम मंदिर की जमीन का कब्जा सौंपा गया है।

- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज

- जगद्गुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज

- युगपुरुष परमानंद जी महाराज

- स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Members – Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra". मूल से 19 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2021.
  2. "Ram Mandir construction likely to begin soon".
  3. "Official website of Shri Ram Janmabhoomi Tirtha Kshetra Trust starts operating". news.abplive.com. 18 June 2020.
  4. Bhargava, Mahendra (५ फरवरी २०२०). "मोदी बोले- सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाया, पूरी 67 एकड़ जमीन ट्रस्ट को हस्तांतरित की जाएगी". Dainik Bhaskar. मूल से 5 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ फरवरी २०२०.
  5. "मोदी ने संसद में की राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा". BBC News हिंदी. ५ फरवरी २०२०. अभिगमन तिथि ५ फरवरी २०२०.
  6. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र https://www.bhaktibharat.com/blogs/shri-ram-janmabhoomi-teerth-kshetra Archived 2020-02-05 at the वेबैक मशीन
  7. Team, Amar Ujala Digital (5 February 2020). "श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र बनाएगा अयोध्या में भव्य मंदिर, 67.7 एकड़ जमीन भी मिली". Amar Ujala (मराठी में). मूल से 16 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 March 2020.
  8. "Trust Members". Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra. 10 March 2021. मूल से 24 नवंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 November 2023.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें