"बाजीराव द्वितीय": अवतरणों में अंतर

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== आत्मसमर्पण व मृत्यु ==
नवम्बर 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की 'अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी' को लूटकर जला दिया और [[खड़की]] स्थिति अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया। तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों - [[१ जनवरी]] [[1818]] में [[कोरेभीमा गाँवकोरेगाव की लडाई]], जिनमें ५०० [[महार]] सैनिकों ने पेशवा के २७,००० [[मराठा]] सैनिकों को पराजित किया था और एक महीने के बाद [[आष्टी]] की लड़ाई में पराजित हुआ। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन 3 जून, 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। अंग्रेज़ों ने इस बार पेशवा का पद ही समाप्त कर दिया और बाजीराव द्वितीय को अपदस्थ करके बंदी के रूप में [[कानपुर]] के निकट [[बिठूर]] भेज दिया जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। मराठों की स्वतंत्रता नष्ट करने के लिए बाजीराव द्वितीय सबसे अधिक जिम्मेदार था।
 
 
[[श्रेणी:मराठा साम्राज्य]]