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'''गुर्जरदेश''' या '''गुर्जरात्रा''' एक ऐतिहासिक क्षेत्र था जिसका विस्तार भारत के वर्तमान [[राजस्थान]] राज्य के पूर्वी हिस्से और [[गुजरात]] राज्य के उत्तरी हिस्से पर था यह माना जाता है गुर्जरात्रा गुर्जर देश यह जो नाम है [[गुर्जर]] जाति की वजह से पड़ा गुजरात में गुर्जर जाति का अहम योगदान रहा है गुजरात का नाम गुर्जरों की वजह से पड़ा है क्योंकि यहां पर गुर्जरों ने कई वर्षों तक अपना शासन जमाया रखा हैकि [[गुर्जर प्रतिहार]] पाचंवी सदी ईसवी के आसपास इस क्षेत्र में आए और [[अरावली]] के पश्चिम में अपनी मुख्य बस्तियाँ बसाईं, यह क्षेत्र गुर्जरात्रा के नाम से जाना गया और बाद में वे पूर्व और दक्षिण की ओर बढ़े।<ref name="Majumdar1977">{{cite book|author=रमेश चंद्र मजुमदार |title=एंशियेंट इंडिया |url=https://books.google.com/books?id=XNxiN5tzKOgC&pg=PA263|year=1977|publisher=मोतीलाल बनारसीदास |isbn=978-81-208-0436-4|pages=263– |language=en}}</ref> बाद में इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे इन्होंने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर अपना साम्राज्य क़ायम किया और कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया जो उनसे पहले हर्षवर्द्धन की राजधानी थी।<ref name="(India)1984">{{cite book|author=Gujarat (India)|title=Gujarat State Gazetteers: Ahmadabad|url=https://books.google.co.in/books?id=byIbAAAAIAAJ&dq=gujarat+gazetteer&focus=searchwithinvolume&q=Gurjarashtra|year=1984|publisher=Directorate of Government Print., Stationery and Publications, Gujarat State}}</ref><ref name="gujaratindia">[https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm गुजरात का इतिहास] ''gujaratindia.gov.in'' पर, प्रकाशक: गुजरात सरकार. {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190219015743/https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm |date=19 फ़रवरी 2019}}</ref> इससे पहले वर्तमान गुजरात राज्य के दक्षिणी भाग को [[लाट]], [[सौराष्ट्र]] और [[काठियावाड़]] के नाम से जाना जाता था। [[गुर्जर]] अपने शारीरिक ताकत और फौलादी शरीर के कारण एक बहुत ही उत्तम प्रकार के लड़ाके थे जो किसी भी परिस्थितियों में लड़ने में सक्षम थे अतः गुर्जरों ने छोटे-छोटे क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य जमाना शुरू किया उसके तत्पश्चात छठी शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार राजवंश की नीव पडनी शुरु हुई। सातवीं शताब्दी तक गुजरात के भरूच से निकालकर गुजरात राजस्थान हरियाणा पंजाब पश्चिमी उत्तर प्रदेश दिल्ली उत्तरी मध्य प्रदेश पर एक बहुत ही बड़े राजवंश शुरुआत हुई जिसे गुर्जर प्रतिहार राजवंश के नाम से जाना गया। अतः इस क्षेत्र को गुर्जराष्ट्र कहां जाने लगा।<ref name="Ahemdabad 1984">{{cite book|author=Gujarat (India)|title=Gujarat Gazetteers : Ahmadabad|url=https://books.google.co.in/books?id=aFNuAAAAMAAJ&q=Gurjarashtra+gazetteer&dq=Gurjarashtra+gazetteer&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwj6loi2so3zAhWeyjgGHZl7BwAQ6AF6BAgGEAM|year=1984| Gujarat Gazetteer}}</ref> इसके अलावा इस नाम की पहुँच और भी उत्तर में [[पंजाब]] तक देखी जाती है।<ref name="Majumdar1977" /> [[पंजाब, पाकिस्तान|पाकिस्तानी पंजाब]] का [[गुजरात ज़िला]], [[गुजराँवाला ज़िला]], [[गुजरांवाला]] शहर और [[रावलपिंडी ज़िले]] का गूज़र ख़ान शहर इत्यादि इसके उदाहरण गिनाये जाते हैं।{{cn}} हालाँकि, अन्य मत यह भी है स्वयं उस मूल आरंभिक क़बीले के लोगों का संस्कृत में अनूदित नाम था;<ref name="gujaratindia"/> और यह भी कि गुर्जरात्रा शब्द स्वयं ही गुजरात का संस्कृत रूप था।<ref name="Sinha1991">{{cite book|author=श्री नाथ सिन्हा |title=गुजरात के चालुक्यों का राजनीतिक इतिहास |url=https://books.google.com/books?id=EiscAAAAIAAJ|year=1991|publisher= कनिष्क पब्लिशिंग हाउस |isbn=978-81-85475-14-1|page=4 |quote=[[जॉर्ज बुहलर|व्यूलर]] का कहना है कि गुर्जरात्रा गुजरात का संस्कृत रूप था , जैसे सुरत्राण और गर्जनक सुल्तान और गजनव के संस्कृत रूप थे}}</ref>
{{स्रोत कम}}
'''गुर्जरदेश''' या '''गुर्जरात्रा''' एक ऐतिहासिक क्षेत्र था जिसका विस्तार भारत के वर्तमान [[राजस्थान]] राज्य के पूर्वी हिस्से और [[गुजरात]] राज्य के उत्तरी हिस्से पर था यह माना जाता है गुर्जरात्रा गुर्जर देश यह जो नाम है [[गुर्जर]] जाति की वजह से पड़ा गुजरात में गुर्जर जाति का अहम योगदान रहा है गुजरात का नाम गुर्जरों की वजह से पड़ा है क्योंकि यहां पर गुर्जरों ने कई वर्षों तक अपना शासन जमाया रखा है [[गुर्जर प्रतिहार]] पाचंवी सदी ईसवी के आसपास इस क्षेत्र में आए और [[अरावली]] के पश्चिम में अपनी मुख्य बस्तियाँ बसाईं, यह क्षेत्र गुर्जरात्रा के नाम से जाना गया और बाद में वे पूर्व और दक्षिण की ओर बढ़े।<ref name="Majumdar1977">{{cite book|author=रमेश चंद्र मजुमदार |title=एंशियेंट इंडिया |url=https://books.google.com/books?id=XNxiN5tzKOgC&pg=PA263|year=1977|publisher=मोतीलाल बनारसीदास |isbn=978-81-208-0436-4|pages=263– |language=en}}</ref> बाद में इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे इन्होंने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर अपना साम्राज्य क़ायम किया और कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया जो उनसे पहले हर्षवर्द्धन की राजधानी थी।<ref name="(India)1984">{{cite book|author=Gujarat (India)|title=Gujarat State Gazetteers: Ahmadabad|url=https://books.google.co.in/books?id=byIbAAAAIAAJ&dq=gujarat+gazetteer&focus=searchwithinvolume&q=Gurjarashtra|year=1984|publisher=Directorate of Government Print., Stationery and Publications, Gujarat State}}</ref><ref name="gujaratindia">[https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm गुजरात का इतिहास] ''gujaratindia.gov.in'' पर, प्रकाशक: गुजरात सरकार. {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190219015743/https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm |date=19 फ़रवरी 2019}}</ref> इससे पहले वर्तमान गुजरात राज्य के दक्षिणी भाग को [[लाट]], [[सौराष्ट्र]] और [[काठियावाड़]] के नाम से जाना जाता था। [[गुर्जर]] अपने शारीरिक ताकत और फौलादी शरीर के कारण एक बहुत ही उत्तम प्रकार के लड़ाके थे जो किसी भी परिस्थितियों में लड़ने में सक्षम थे अतः गुर्जरों ने छोटे-छोटे क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य जमाना शुरू किया उसके तत्पश्चात छठी शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार राजवंश की नीव पडनी शुरु हुई। सातवीं शताब्दी तक गुजरात के भरूच से निकालकर गुजरात राजस्थान हरियाणा पंजाब पश्चिमी उत्तर प्रदेश दिल्ली उत्तरी मध्य प्रदेश पर एक बहुत ही बड़े राजवंश शुरुआत हुई जिसे गुर्जर प्रतिहार राजवंश के नाम से जाना गया। अतः इस क्षेत्र को गुर्जराष्ट्र कहां जाने लगा।<ref name="Ahemdabad 1984">{{cite book|author=Gujarat (India)|title=Gujarat Gazetteers : Ahmadabad|url=https://books.google.co.in/books?id=aFNuAAAAMAAJ&q=Gurjarashtra+gazetteer&dq=Gurjarashtra+gazetteer&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwj6loi2so3zAhWeyjgGHZl7BwAQ6AF6BAgGEAM|year=1984| Gujarat Gazetteer}}</ref> इसके अलावा इस नाम की पहुँच और भी उत्तर में [[पंजाब]] तक देखी जाती है।<ref name="Majumdar1977" /> [[पंजाब, पाकिस्तान|पाकिस्तानी पंजाब]] का [[गुजरात ज़िला]], [[गुजराँवाला ज़िला]], [[गुजरांवाला]] शहर और [[रावलपिंडी ज़िले]] का गूज़र ख़ान शहर इत्यादि इसके उदाहरण गिनाये जाते हैं।{{cn}} हालाँकि, अन्य मत यह भी है स्वयं उस मूल आरंभिक क़बीले के लोगों का संस्कृत में अनूदित नाम था;<ref name="gujaratindia"/> और यह भी कि गुर्जरात्रा शब्द स्वयं ही गुजरात का संस्कृत रूप था।<ref name="Sinha1991">{{cite book|author=श्री नाथ सिन्हा |title=गुजरात के चालुक्यों का राजनीतिक इतिहास |url=https://books.google.com/books?id=EiscAAAAIAAJ|year=1991|publisher= कनिष्क पब्लिशिंग हाउस |isbn=978-81-85475-14-1|page=4 |quote=[[जॉर्ज बुहलर|व्यूलर]] का कहना है कि गुर्जरात्रा गुजरात का संस्कृत रूप था , जैसे सुरत्राण और गर्जनक सुल्तान और गजनव के संस्कृत रूप थे}}</ref>
 
==ऐतिहासिक संदर्भ==
[[गुर्जर ]] जाति के आधिपत्य के कारण आधुनिक [[राजस्थान]] जिसका गठन आजादी के बाद ३० मार्च,१९४९ को हुआ वह सातवीं शताब्दी में गुर्जरदेश कहलाता था। हर्ष वर्धन (606-647 ई.) के दरबारी कवि बाणभट्ट ने हर्ष-चरित नामक ग्रन्थ में हर्ष के पिता प्रभाकरवर्धन का राजाओं के साथ संघर्ष का ज़िक्र किया हैं। संभवतः उसका संघर्ष गुर्जर देश के [[गुर्जर ]] के साथ हुआ था| अतः गुर्जर छठी शताब्दी के अंत तक गुर्जर देश (आधुनिक राजस्थान) में स्थापित हो चुके थे। हेन सांग ने 641 ई. में सी-यू-की नामक पुस्तक में गुर्जरदेश का वर्णन किया हैं। हेन सांग ने मालवा के बाद ओचलि, कच्छ, वलभी, आनंदपुर, [[सौराष्ट्र]] और गुर्जर देश का वर्णन किया हैं। गुर्जर देश के विषय में उसने लिखा हैं कि ‘वल्लभी के देश से 1800 ली (300 मील) के करीब उत्तर में जाने पर गुर्जर राज्य में पहुँचते हैं| यह देश करीब 5000 ली (833 मील) के घेरे में हैं। उसकी राजधानी भीनमाल 33 ली (5 मील) के घेरे में हैं। ज़मीन की पैदावार और रीत-भांत सौराष्ट्र वालो से मिलती हुई हैं। आबादी घनी हैं लोग धनाढ्य और संपन्न हैं। वे बहुधा नास्तिक हैं, (अर्थात बौद्ध धर्म को नहीं मानने वाले हैं)। बौद्ध धर्म के अनुयाई थोड़े ही हैं। यहाँ एक संघाराम (बौद्ध मठ) हैं, जिसमे 100 श्रवण (बौद्ध साधु) रहते हैं, जो हीन यान और सर्वास्तिवाद निकाय के मानने वाले हैं। यहाँ कई दहाई देव मंदिर हैं, जिनमे भिन्न संप्रदायों के लोग रहते हैं। राजा गुर्जर क्षत्रिय जाति का हैं। वह २० वर्ष का हैं। वह बुद्धिमान और साहसी हैं। उसकी [[बौद्ध]] धर्म पर दृढ आस्था हैं और वह बुधिमानो का बाद आदर करता हैं।भीनमाल के रहने वाले ज्योत्षी ब्रह्मगुप्त ने शक संवत 550 (628 ई.) में अर्थात हेन सांग के वह आने के 13 वर्ष पूर्व ब्रह्मस्फुट नामक ग्रन्थ लिखा जिसमे उसने वहाँ के राजा का नाम गुर्जर सम्राट व्याघ्रमुख [[चपराणा राजवंश|चपराणा]] और उसके वंश का नाम चप (चपराना, चापोत्कट, चावडा) बताया हैं| हेन सांग के समय भीनमाल का राजा व्याघ्रमुख अथवा उसका पुत्र रहा होगा।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[गुर्जर]]
* [[गुर्जर-प्रतिहार राजवंश]]