"विकिपीडिया:चौपाल": अवतरणों में अंतर
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== डांगी और दांगी जाति की ऐतिहासिक स्थिति ==
जानकारी के अनुसार मंदसौर, ब्यावरा-राजगढ़, रतलाम, थार और उदयपुर आदि स्थानों में 'डांगी जातियों के लोग निवासरत हैं, जो गरीब और खेतीहर हैं, को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है। यह लोग आर्थिक संकट से आज भी जूझ रहे हैं। वहीं खरगौन और बुंदेलखंड के सागर, विदिशा, भोपाल, रायसेन, और चंबल संभाग के दतिया सहित अन्य जिलों में जो भी दांगी निवास करते हैं, उनमें सबसे ज्यादा भरमार उपजाति कछवाह राजपूत दागियों की है। पूर्व में दांगी जातियों का राजशाही इतिहास रहा है। 'दांगी' कछवाह या कच्छप राजपूतों की मुख्य शाखा है। यहां के दागियों का इतिहास पेशवा बाजीराव से जुड़ा होना भी बताया जाता है। यहां के वंशज राजस्थान-जयपुर के पूर्वज थे। इस बारे में नरवर और सागर जिले का ऐतिहासिक गजट में कछवाह वंशी राजपूतों की विस्तृत जानकारी का उल्लेख किया गया है। साथ ही सागर (गढ़पहरा) किले और सागर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के किले के अभिलख पर कछवाह राजपूत वंशी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाया गया है। इस किले का निर्माण राजा उदनशाह दांगी ने करवाया था। उसमें यह भी लिखा है कि भारत का सबसे बड़ा वंश 'कछवाह राजपूत वंश' है। साथ ही इतिहासकार ऐजेन्ट टॉड ने अपनी पुस्तक में 12 वीं शताब्दी के काल को राजपूत काल मान्ना है। [[विशेष:योगदान/2401:4900:1C83:8660:3DC9:1F2A:B60:77D0|2401:4900:1C83:8660:3DC9:1F2A:B60:77D0]] ([[सदस्य वार्ता:2401:4900:1C83:8660:3DC9:1F2A:B60:77D0|वार्ता]]) 11:57, 25 अक्टूबर 2024 (UTC)
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