"लिच्छवि": अवतरणों में अंतर

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प्रशासनीय कार्यों के सम्पादन के लिए लिच्छविगण की सभा थी जिसके 7707 सदस्य थे और सब राजा कहलाते थे। स्पष्ट प्रमाणों के अभाव में यह कहना कठिन है कि संघसभा के सभी सदस्यों का निर्वाचन होता था। ललितविस्तर में वर्णन आता है कि लिच्छवि परस्पर एक दूसरे को छोटा बड़ा नहीं मानते थे, सभी अपने को राजा समझते थे (ललित विस्तर अ. 3) इस संबंध में जातक का यह कथन भी महत्वपूर्ण है कि शासन निमित्त वैशाली नगर के गण राजाओं का अभिषेक किया जाता था। (वेसालिनगरे गणराजकुलानं अभिषेक पोक्खरणियं - जा. 4) भगवान् बुद्ध ने लिच्छवि गण के संबंध में कहा था कि सभी सदस्य एकमत होकर अधिवेशन में उपस्थित होते थे। बिना नियम बनाए कोई आज्ञा प्रेषित नहीं करते तथा पूर्व नियमों के अनुसार कार्य करते थे। (समग्गा सन्नि पतिस्संति समग्गा संघकरणीयानि करिस्संति महापरिनिव्वाण सुत्त, भा. 2)
 
 
== वैशाली के लिच्छवि ==
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* विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की । वैशालिका राजवंश का प्रथम शासक नमनेदिष्ट था, जबकि अन्तिम राजा सुति या प्रमाति था । इस राजवंश में २४ राजा हुए हैं ।
 
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