"आर्मीनियाई भाषा": अवतरणों में अंतर
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'''आर्मीनी भाषा''' [[भारत-यूरोपीय-भाषापरिवार]] की यह भाषा [[मेसोपोटैमिया]] तथा [[
आर्मीनी भाषा में पाँचवीं शताब्दी ई. के पूर्व का कोई ग्रंथ नहीं मिलता। इस भाषा का व्यंजनसमूह मूल रूप से भारतीय और काकेशी समूह की जार्जी भाषा से मिलता जुलता है। प् त् क् व्यंजनों का ब् द् ग् से परस्पर व्यत्यय हो गया है। उदाहरणार्थ, संस्कृत वश के लिए आर्मीनी में तस्न शब्द है। संस्कृत पितृ के लिए आर्मीनी में ह्यर है। आदिम भारोपीय भाषा से यह भाषा काफी दूर जा पड़ी है। संस्कृत द्वि और त्रि के लिए आर्मीनी में एर्कु और एरेख शब्द हैं। इसी से दूरी का अनुमान हो सकता है। व्याकरणात्मक लिंग प्राचीन आर्मीनी में भी नहीं मिलता। संस्कृत गौ के लिए आर्मीनी में केव् है। ऐसे शब्दों से ही आदि आदिम आर्यभाषा से इसकी व्युत्पत्ति सिद्ध होती है। आर्मीनी अधिकतर बोलचाल की भाषा रही है। ईरानी शब्दों के अतिरिक्त इसमें ग्रीक, अरबों और काकेशी के भी शब्द हैं।
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