"उत्तर अफ़्रीका": अवतरणों में अंतर
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*दूसरी धारा पश्चिमी भाग की [[बर्बर]] जातियाँ और [[बर्बरी भाषाओँ]] को लेकर बनी है, जो इस भाग का प्राचीन विरसा है। नील नदी से कुछ पश्चिम में मिस्र के ही सिवा नख़लिस्तान (ओएसिस) से बर्बर प्रभाव दिखने लगता है और यह पश्चिम में [[अंध महासागर]] तक फैला हुआ है।
*तीसरी धारा अरबी संस्कृति की है। अरबों ने [[इस्लामी]] दौर की शुरुआत के बाद उत्तर अफ़्रीका पर आक्रमण करके उसको अरब संस्कृति के साथ जोड़ लिया था। सदियों के बीतने से मिस्र की प्राचीन भाषा लगभग ख़त्म हो गयी और वह लोग अरबी बोलने लगे। बर्बर इलाक़ों पर भी अरबी प्रभाव इतना पड़ा के इन समाजों में बर्बरी की तुलना में अरबी बोलने वाले अधिक हो गए और अधिकाँश बर्बरी मूल के लोग अपने-आप को अरब समाज का हिस्सा समझने लगे।
*चौथी धारा यूरोपियाई [[
20वी में बहुत से बर्बर मूल के लोगों में अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए जागृति पैदा हुई। कुछ लोग सामाजिक, कला और सरकारी जीवन में बर्बरी भाषाओँ को मान्यता मिलने के लिए आन्दोलन चलाने लगे। इसके विपरीत कुछ अन्य लोगों को लगा के इस से अरब एकता को धक्का लगता है और वे इसका विरोध करने लगे। यह विवाद जारी है, हालांकि मोरक्को, अल्जीरिया और अन्य देशों में बर्बरी भाषाओँ की मान्यता धीरे-धीरे बढ़ती गयी है।
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