"पद्मनाभस्वामी मंदिर": अवतरणों में अंतर

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==महत्व==
मंदिर का महत्व यहाँ कीके पवित्रता पवित्र परिवेश से और बढ जाता है। मंदिर में धूप-दीप का प्रयोग एवं [[शंखनाद]] होता रहता है। मंदिर का समस्त वातावरण मनमोहक एवं सुगंधित रहता है। मंदिर में एक स्वर्णस्तंभ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौदर्य में इजाफा करता है। मंदिर के गलियारे में अनेकोंअनेक स्तंभ बनाए गए हैं जिन पर सुंदर नक़्क़ाशी की गई है जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देतेदेती है. हैं।
मन्दिर के दर्शन के लिए विशेष परिधान को धारण करना होता है जिसमें मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को [[धोती]] तथा स्त्रियों को [[साड़ी]] पहनपहनना करअनिवार्य ही प्रवेश करना होता है। इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में ओरऔर दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों मेमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु पद्मनाभस्वामी से सुख-शांति की कामना करते हैं।
 
मन्दिर के दर्शन के लिए विशेष परिधान को धारण करना होता है जिसमें मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को [[धोती]] तथा स्त्रियों को [[साड़ी]] पहन कर ही प्रवेश करना होता है। इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में ओर दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों मे लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं तथा प्रभु से सुख-शांति की कामना करते हैं।
 
==मंदिर का स्थापत्य==