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पद्मनाभस्वामी मंदिर
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'''पद्मनाभस्वामी मंदिर''' [[केरल]] के [[तिरुअनन्तपुरम]] में स्थित भगवान [[विष्णु]] का प्रसिद्ध [[हिन्दू]] मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के कईअनेक पर्यटन स्थलस्थलों में से भी एक में गिना जाता है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु के -भक्तों काकी महत्वपूर्ण स्थान रहा है. तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल भीआराधना-स्थली है. मंदिर की दशासंरचना में कई सुधार कार्य किए गए थेजाते रहे हैं. उदाहरणार्थ तथा 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया जो त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने द्वाराकरवाया संपन्नथा हो सका. हाल ही में, सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखानों को खोला गया। इसइन तहखानेतहखानों में रखी करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला है। हालांकि अभी भी तहखाने-बी को नहीं खोला गया है। सुप्रीमकोर्ट ने साफइस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि ये संपत्ति मंदिर काकी है और मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। हालांकिपद्मनाभ अभीस्वामी भीमंदिर तहखाना-बीके कोसाथ नहींएक खोलापौराणिक गयाकथा जुडी है। सुप्रीमकोर्टमान्यता नेहै कि सबसे पहले इस तहखानेस्थान कोसे खोलने[[विष्णु भगवान]] की [[प्रतिमा]] प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर रोकइस लगामंदिर दीका है।निर्माण किया गया है.
 
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु [[शेषनाग]] पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं. मान्यता है कि [[तिरुअनंतपुरम]] नाम भगवान के 'अनंत' नामक [[नाग]] के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मानाभपद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक इतिहास जुडा हुआ है। मान्यता है कि इस स्थान से [[विष्णु भगवान]] जी की [[प्रतिमा]] प्राप्त हुई थी और बाद में इसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
 
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल [[संस्कृति]] एवं [[साहित्य]] का अनुठाअनूठा संगम है. इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट हैंहै और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य में स्थित है इन्हीं सभी के मध्य में में स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु [[शेषनाग]] पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं. मान्यता है कि [[तिरुअनंतपुरम]] नाम भगवान के 'अनंत' नामक [[नाग]] के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मानाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है.
 
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल [[संस्कृति]] एवं [[साहित्य]] का अनुठा संगम है. इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट हैं और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य इन सभी अमूल्य निधियों के मध्य में स्थित है इन्हीं सभी के मध्य में में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर।
 
मंदिर की खूबसूरती को देखकर सभी के मन में भक्ति भाव का संचार स्वत: ही जागृत हो जाता है. पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. विष्णु भगवान के इस रूप के दर्शनों को करने के लिए विश्व भर से लोग यहाँ पहुँचते हैं. केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित यह मंदिर बहुत ही कुशल वास्तु शिल्प कारीगरी के द्वारा बनाया गया है. इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है.
 
==महत्व==