"गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान)": अवतरणों में अंतर

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[[File:Galileo Preparations - GPN-2000-000672.jpg|thumb|230px|गैलिलेयो यान निर्मित होते हुए]]
'''गैलिलेयो''' (Galileo) [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिकी]] अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था [[नासा]] का एक [[अंतरिक्ष यान]] था जो हमारे [[सौर मंडल]] के सबसे बड़े ग्रह [[बृहस्पति (ग्रह)|बृहस्पति]] और उसके [[बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह|प्राकृतिक उपग्रहों]] का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था। यह १८ अक्टूबर १९८९ को पृथ्वी से रोकेट के ज़रिये छोड़ा गया और ७ दिसम्बर १९९५ को बृहस्पति पहुँच गया। इसने बृहस्पति के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए उसमें एक छोटा यान छोड़ा और बृहस्पति के साथ-साथ उसके चंद्रमाओं का अध्ययन किया। गैलिलेयो का वज़न २,३८० किलोग्राम था।<ref name="ref04riluj">[http://books.google.com/books?id=EAD2-GrarkEC Deep Space Propulsion: A Roadmap to Interstellar Flight], K. F. Long, Springer, 2011, ISBN 9781461406068, ''... To arrive at the Jupiter system, Galileo conducted two gravity assists around the orbits of Venus and Earth. The spacecraft had a total mass of around 2380 kg. The propulsion on Galileo was a 400 N thrust engine ...''</ref> इसके द्वारा वायुमंडल में छोड़ा गया यान पैराशूट के प्रयोग से १५३ किलोमीटर तक उतरा, जहाँ उसने ४५० प्रति-घंटा तक की रफ़्तार की आंधियाँ झेलीं और तस्वीरें भेजीं और फिर निचले वायुमंडल की अत्यंत गर्मी से पिघलकर ख़त्म हो गया।<ref name="ref63lapel">[http://books.google.com/books?id=OJEBv7hHargC JupiterWorlds beyond, Ron Miller], Ron Miller, Twenty-First Century Books, 2002, ISBN 9780761323563, ''... It also launched a probe that plunged into Jupiter's atmosphere, where it descended on a parachute 95 miles (153 km) into the clouds. For nearly an hour it sent back information about weather conditions—measuring wind speeds of up to 450 miles (724 km) an hour, for instance— before it descended deep enough to be melted by the intense heat of the lower atmosphere ...''</ref>
 
गैलिलेयो ने बृहस्पति पर [[अमोनिया]] के बादल देखे, [[आयो (उपग्रह)|आयो]] पर ज्वालामुखी देखे, [[गैनिमीड (उपग्रह)|गैनिमीड]] और [[कलिस्टो (उपग्रह)|कलिस्टो]] पर सतह के नीचे खारे समुद्रों के मौजूद होने के संकेत पाए और [[युरोपा (उपग्रह)|युरोपा]] पर भी ऐसे समुद्र के ताज़ा प्रमाण पाए। इस यान के कार्यकाल के दौरान बृहस्पति पर शूमेकर-लेवी ९ नामक धूमकेतु गिरा और इस घटना का आँखों-देखा हाल उसने पृथ्वी को प्रसारित किया। उसने बृहस्पति के इर्द-गिर्द के हलके [[उपग्रही छल्लों]] को परखकर वैज्ञानिकों को यह अंदाज़ा लगाने में मदद की कि यह शायद विभिन्न चंद्रमाओं से उभरती हुई धुल से बने हैं। २१ सितम्बर २००३ को इसका कार्यकाल समाप्त घोषित किया गया। क्योंकि बृहस्पति के चंद्रमाओं में समुद्र और जीवन होने की संभावना है जिनके लिए इस यान पर मौजूद पृथ्वी से आये कीटाणु ख़तरनाक हो सकते थे इसलिए इस यान को ज़बरदस्ती बृहस्पति के वायुमंडल में तेज़ी से घुसकरघुसाकर जलाकर ध्वस्त कर दिया गया।<ref name="ref47quvob">[http://books.google.com/books?id=U4FZp6f6q6MC Introduction to planetary science: the geological perspective], Gunter Faure, Teresa M. Mensing, Springer, 2007, ISBN 9781402052330, ''... The Galileo spacecraft continued to orbit Jupiter for a total of eight years until September 21, 2003, when it was directed to plunge into Jupiter's atmosphere ...''</ref>
 
==इन्हें भी देखें==