"कोशिका": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Epithelial-cells.jpg|right|thumb|160px|कोशिका]]
'''कोशिका,''' जीवधारियों(Cell) कीसजीवों संरचनाके एवं जैविक-क्रियाओंशरीर की एकरचनात्मक इकाईऔर हैक्रियात्मक जो अवकलीय पारगम्य कला से घिरी होतीइकाई है और जिसमें प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य होतीरखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रुप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं।
'''कोशिका''' (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। कोशिका का अंग्रेजी शब्द ''सेल'' (''Cell'') लैटीन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे [[जीवाणु|जीवाणुओं]] के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे [[मनुष्य]] का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका का आविष्कार [[रॉबर्ट हूक]] ने [[१६६५]] ई० में किया।<ref name="Hooke">"<cite>... I could exceedingly plainly perceive it to be all perforated and porous, much like a Honey-comb, but that the pores of it were not regular [..] these pores, or cells, [..] were indeed the first microscopical pores I ever saw, and perhaps, that were ever seen, for I had not met with any Writer or Person, that had made any mention of them before this. . .</cite>" – Hooke describing his observations on a thin slice of cork. [http://www.ucmp.berkeley.edu/history/hooke.html Robert Hooke]</ref> [[१९३९]] ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने [[कोशिका सिद्धान्त]] प्रस्तुत किया जिसके अनुशार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।
 
'''कोशिका''' (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। कोशिका का अंग्रेजी शब्द ''सेल'' (''Cell'') लैटीन[[लैटिन भाषा]] के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे [[जीवाणु|जीवाणुओं]] के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे [[मनुष्य]] का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका का आविष्कार [[रॉबर्ट हूक]] ने [[१६६५]] ई० में किया।<ref name="Hooke">"<cite>... I could exceedingly plainly perceive it to be all perforated and porous, much like a Honey-comb, but that the pores of it were not regular [..] these pores, or cells, [..] were indeed the first microscopical pores I ever saw, and perhaps, that were ever seen, for I had not met with any Writer or Person, that had made any mention of them before this. . .</cite>" – Hooke describing his observations on a thin slice of cork. [http://www.ucmp.berkeley.edu/history/hooke.html Robert Hooke]</ref> [[१९३९]] ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने [[कोशिका सिद्धान्त]] प्रस्तुत किया जिसके अनुशार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।
सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं। कोशिकाओं के भीतर ही आवश्यक आनुवांशिक सूचनाएँ होती हैं जिनसे कोशिका के कार्यों का नियंत्रण होता है तथा सूचनाएँ अगली पीढ़ी की कोशिकाओं में स्थानान्तरित होती हैं।<ref>{{cite book
 
सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं। कोशिकाओं के भीतर ही आवश्यक [[अनुवांशिकता|आनुवांशिक सूचनाएँ]] होती हैं जिनसे कोशिका के कार्यों का नियंत्रण होता है तथा सूचनाएँ अगली पीढ़ी की कोशिकाओं में स्थानान्तरित होती हैं।<ref>{{cite book
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कोशिकाओं का विधिवत अध्ययन [[कोशिका विज्ञान]] (Cytology) या '[[कोशिका जीवविज्ञान]]' (Cell Biology) कहलाता है।
कुछ खास भिन्नताओं को छोड़ सभी प्रकार की कोशिकाओं, पादप एवं जन्तु कोशिका की संरचना लगभग एक जैसी होती है। ये सजीव और निर्जीव दोनों तरह की इकाइयों से मिलकर बनी होती हैं। एक सामान्य कोशिका या प्रारूपिक कोशिका के मुख्य तीन भाग हैं, कोशिकावरण, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक। कोशिकावरण कोशिका का सबसे बाहर का आवरण या घेरा है। पादप कोशिका में [[कोशिका भित्ति]] और [[कोशिका झिल्ली]] मिलकर कोशिकावरण का निर्माण करते हैं। जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती अतः कोशिका झिल्ली ही सबसे बाहरी आवरण है। कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक के बीच के भाग को कोशिका द्रव्य कहा जाता है, इसमें विभिन्न कोशिकांग होते हैं। केन्द्रक कोशिका के अन्दर पाये जाने वाली एक गोल एवं सघन रचना है। केन्द्रक को कोशिका का [[मस्तिष्क]] कहा जाता है। जिस प्रकार शरीर के सारे क्रियायों का नियंत्रण मस्तिष्क करता है ठीक उसी प्रकार कोशिका के सारे कार्यों का नियंत्रण केन्द्रक द्वारा होता है।
 
==आविष्कार एवं अनुसंधान का इतिहास==
कोशिका, जीवधारियों की संरचना एवं जैविक-क्रियाओं की एक इकाई है जो अवकलीय पारगम्य कला से घिरी होती है और जिसमें प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य होती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रुप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं।
*[[राबर्ट हुक]] ने 1665 में बोतल की [[कार्क]] की एक पतली परत के अध्ययन के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हें कोशा नाम दिया। यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफिया में छपा। राबर्ट हुक ने कोशा-भित्तियों के आधार पर कोशा शब्द प्रयोग किया। 1674 लुइवेनहाक ने जीवित कोशा का सर्वप्रथम अध्ययन किया। जबकि तदरोचित नामक वैज्ञानिक ने 1824 में कोशावाद का विचार प्रस्तुत किया, परन्तु इसका श्रेय वनवस्पति-विज्ञान-शास्त्री श्लाइडेन और जन्तु-विज्ञान-शास्त्री श्वान को दिया जाता है जिन्होंने ठीक प्रकार से कोशावाद को (1839 में) प्रस्तुत किया और बतलाया कि कोशाएँ पौधों तथा जन्तुओं की रचनात्मक इकाई हैं।
 
*'''1674''' लुइवेनहाक ने जीवित कोशा का सर्वप्रथम अध्ययन किया।
[[राबर्ट हुक]] ने 1665 में बोतल की [[कार्क]] की एक पतली परत के अध्ययन के आधार पर मधुमक्खी के छत्ते जैसे कोष्ठ देखे और इन्हें कोशा नाम दिया। यह तथ्य उनकी पुस्तक माइक्रोग्राफिया में छपा। राबर्ट हुक ने कोशा-भित्तियों के आधार पर कोशा शब्द प्रयोग किया। 1674 लुइवेनहाक ने जीवित कोशा का सर्वप्रथम अध्ययन किया। जबकि तदरोचित नामक वैज्ञानिक ने 1824 में कोशावाद का विचार प्रस्तुत किया, परन्तु इसका श्रेय वनवस्पति-विज्ञान-शास्त्री श्लाइडेन और जन्तु-विज्ञान-शास्त्री श्वान को दिया जाता है जिन्होंने ठीक प्रकार से कोशावाद को (1839 में) प्रस्तुत किया और बतलाया कि कोशाएँ पौधों तथा जन्तुओं की रचनात्मक इकाई हैं।
 
*तदरोचित नामक वैज्ञानिक ने 1824 में कोशावाद (cell theory) का विचार प्रस्तुत किया, परन्तु इसका श्रेय वनवस्पति-विज्ञान-शास्त्री श्लाइडेन (Matthias Jakob Schleiden) और जन्तु-विज्ञान-शास्त्री श्वान (Theodor Schwann) को दिया जाता है जिन्होंने ठीक प्रकार से कोशावाद को (1839 में) प्रस्तुत किया और बतलाया कि 'कोशाएँ पौधों तथा जन्तुओं की रचनात्मक इकाई हैं।'
 
* '''1855''' : रुडॉल्फ विर्चो ने विचार रखा कि कोशिकाएँ सदा [[कोशिका विभाजन|कोशिकाओं के विभाजन]] से ही पैदा होती हैं।
 
* '''1953''': वाट्सन और क्रिक (Watson and Crick) ने डीएनए के 'डबल-हेलिक्स संरचना' की पहली बार घोषणा की।
# '''1981''': लिन मार्गुलिस (Lynn Margulis) ने कोशिका क्रमविकास में 'सिबियोस' (Symbiosis in Cell Evolution) पर शोधपत्र प्रस्तुत किया।
 
==प्रकार==
[[चित्र:Celltypes.svg|right|thumb|300px|दो प्रकार की कोशिकाएँ : यूकैरोटिक (बाएँ) तथा प्रोकैरिओटिक (दाएँ)]]
कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं,
*[[प्रोकैरियोटिक कोशिका]] (eukaryotic cells) तथा
*[[यूकैरियोटिक कोशिका]] (Prokaryotic cell)
प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ |प्रायः isbnस्वतंत्र =होती 0-13-423476-6}}</ref>हैं कोशिकाजबकि दोयूकैरियोटिक प्रकारकोशिकाएँ, कीबहुकोशीय होतीप्राणियों हैं,में [[प्रोकैरियोटिकपायी कोशिका]] तथा [[यूकैरियोटिकजाती कोशिका]]।हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोई स्पष्ट [[केन्द्रक]] नहीं होता है। केन्द्रकीय पदार्थ [[कोशिका द्रव]] में बिखरे होते हैं। इस प्रकार की कोशिका जीवाणु तथा नीली हरी सैवाल में पायी जाती है। सभी उच्च श्रेणी के पौधों और जन्तुओं में यूकैरियोटिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओ में संगठित [[केन्द्रक]] पाया जाता है जो एक आवरण से ढका होता है।
 
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==कोशिका संरचना==
कोशिकाएँ सजीव होती हैं तथा वे सभी कार्य करती हैं, जिन्हें सजीव प्राणी करते हैं। इनका आकार अतिसूक्ष्म तथा आकृति गोलाकार, अंडाकार, स्तंभाकार, रोमकयुक्त, कशाभिकायुक्त, बहुभुजीय आदि प्रकार की होती है। ये जेली जैसी एक वस्तु द्वारा आवृत्तघिरी होती हैं। इस आवरण को कोशिकावरण (cell membrane) या कोशिका-झिल्ली कहते हैं।हैं यह झिल्ली अवकलीय पारगम्य (selectively permeable) होती है जिसका अर्थ है कि यह झिल्ली किसी पदार्थ ([[अणु]] या [[ऑयन]]) को मुक्त रूप से पार होने देती है, सीमित मात्रा में पार होने देती है या बिल्कुल रोक देती है। इसे कभी-कभी जीव-द्रव्य-'जीवद्रव्य कला' (plasma membrane) भी कहा जाता है। इसके भीतर निम्नलिखित संरचनाएँ पाई जाती हैं:-
 
(1) केंद्रक एवं केंद्रिका
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(8) लवक
 
कुछ खास भिन्नताओं को छोड़ सभी प्रकार की कोशिकाओं, पादप एवं जन्तु कोशिका की संरचना लगभग एक जैसी होती है। ये सजीव और निर्जीव दोनों तरह की इकाइयों से मिलकर बनी होती हैं। एक सामान्य कोशिका या प्रारूपिक कोशिका के मुख्य तीन भाग हैं, कोशिकावरण, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक। कोशिकावरण कोशिका का सबसे बाहर का आवरण या घेरा है। पादप कोशिका में [[कोशिका भित्ति]] और [[कोशिका झिल्ली]] मिलकर कोशिकावरण का निर्माण करते हैं। जन्तु कोशिका में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती अतः कोशिका झिल्ली ही सबसे बाहरी आवरण है। कोशिका झिल्ली एवं केन्द्रक के बीच के भाग को कोशिका द्रव्य कहा जाता है, इसमें विभिन्न कोशिकांग होते हैं। केन्द्रक कोशिका के अन्दर पाये जाने वाली एक गोल एवं सघन रचना है। केन्द्रक को कोशिका का '[[मस्तिष्क]]' कहा जाता है। जिस प्रकार शरीर के सारे क्रियायों का नियंत्रण मस्तिष्क करता है ठीक उसी प्रकार कोशिका के सारे कार्यों का नियंत्रण केन्द्रक द्वारा होता है।
 
=== केंद्रक (nucleus) ===
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===लवक (plastids)===
लवक अधिकतर पौधों में ही पाए जाते हैं। ये एक प्रकार के रंजक कण (pigment granules) हैं, जो जीवद्रव्य (protoplasm) में यत्रतत्र बिखरे रहते हैं। क्लोरोफिल (chlorophyll) धारक वर्ण के लवक को हरित्‌ लवक (chloroplas) कहा जाता है। इसी के कारण वृक्षों में हरापन दिखलाई देता है। क्लोरोफिल के ही कारण पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) करते हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार लवक कोशिकाद्रव्यीय वंशानुगति (cytoplasmic inheritance) के रूप में कोशिका विभाजन के समय संततिकोशिकाओं में सीधे सीधे स्थानांतरित हो जाते हैं।
 
==कार्य==
===वृद्धि तथा चयापचय===
===सृजन===
===प्रोटीन संश्लेषण===
 
==कोशिका-अनुसंधान का इतिहास==
 
== संदर्भ ==