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{{बौद्ध तीर्थ}}
{{main|नालंदा विश्वविद्यालय}}
नालन्दा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में
<!-- इस विश्वविद्यालय के बारे में माना जाता है कि यह विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय था। इसमें करीब 10000 छात्र एक साथ विद्या ग्रहण करते थे। यहां 2000 शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे। यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अदभूत नमूना था। यह पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था तथा इसमें प्रवेश के लिए केवल एक ही मुख्य द्वार था। इस परिसर में आठ विशाल भवन, दस मंदिर, कई प्रार्थनाकक्ष तथा अध्ययन कक्ष थे। इसके अलावा यहां सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी। इसका पुस्तकालय नौ मंजिला था। जिसमें पुस्तकों का अनुपम संग्रह था। इस पुस्तकालय में सभी विषयों से संबंधित पुस्तकें थी। इस विश्वविद्यालय में केवल भारत से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, पर्शिया तथा तुर्की से भी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। प्रसिद्ध चीनी विद्वान ह्वेनसांग ने भी यहीं से शिक्षा ग्रहण की थी। -->
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